वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025: अधिनियम बनाम विधेयक का अवलोकन
परिचय
वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 का उद्देश्य वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन करना है, ताकि वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में चुनौतियों का निवारण किया जा सके। प्रस्तावित परिवर्तन का उद्देश्य है:
पिछले अधिनियम की कमियों को दूर करना और वक्फ बोर्डों की दक्षता में वृद्धि करना।
वक्फ की परिभाषाओं को अद्यतन करना।
पंजीकरण प्रक्रिया में सुधार।
वक्फ अभिलेखों के प्रबंधन में प्रौद्योगिकी की भूमिका बढ़ाना।
मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक, 2025 का प्राथमिक उद्देश्य मुसलमान वक्फ अधिनियम, 1923 को निरस्त करना है, जो आधुनिक भारत में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन के लिए पुराना और अपर्याप्त हो गया है।
निरसन का उद्देश्य : वक्फ अधिनियम, 1995 के तहत वक्फ संपत्तियों के प्रशासन और प्रबंधन में एकरूपता, पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना है, इस प्रकार इस निरर्थक कानून के अस्तित्व के कारण होने वाली विसंगतियों और अस्पष्टताओं को समाप्त करना है।
प्रमुख मुद्दे: वक्फ संपत्तियों की अपरिवर्तनीयता: "एक बार वक्फ, हमेशा वक्फ" के सिद्धांत ने विभिन्न विवादों और दावों को जन्म दिया है। जिनमें से कुछ, बेट द्वारका में दो द्वीपों पर दावे की तरह, अदालतों द्वारा हैरान करने वाले माने गए हैं।
मुकदमेबाजी और कुप्रबंधन: वक्फ अधिनियम, 1995 और इसके वर्ष 2013 के संशोधन की अक्षमता के लिये आलोचना की गई है, जिससे अतिक्रमण, कुप्रबंधन, स्वामित्व विवाद और पंजीकरण एवं सर्वेक्षण में देरी जैसे मुद्दे सामने आते हैं। वक्फ संपत्तियों के स्वामित्व, अधिकार और कब्जे की समस्या पंजीकरण, अधिकरण के कार्य करने के ढंग और संबंधित बडे़ पैमाने पर मुकदमों आदि की शिकायतों के संबंध में मंत्रालय को कई मुद्दों से भी अवगत कराया गया है।
कोई न्यायिक निरीक्षण नहीं: न्यायाधिकरण के फैसलों पर कोई न्यायिक निरीक्षण नहीं होता है, जो वक्फ प्रबंधन को और जटिल बनाता है। उच्च न्यायिक निकाय में अपील करने की संभावना के बिना, ट्रिब्यूनल द्वारा किए गए निर्णय वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही को कमजोर कर सकते हैं।
असंतोषजनक सर्वेक्षण कार्य: सर्वेक्षण आयुक्त द्वारा वक्फ संपत्तियों के सर्वेक्षण का कार्य असंतोषजनक पाया गया। यहां तक कि गुजरात और उत्तराखंड राज्य में वक्फ संपत्तियों का सर्वेक्षण अभी शुरू किया जाना है। उत्तर प्रदेश में, सर्वेक्षण का आदेश 2014 में दिया गया था और इसे अभी तक शुरू नहीं किया गया है। सर्वेक्षण पूरा न होने का प्रमुख मुद्दा सर्वेक्षण कार्य में सर्वेक्षण आयुक्तों की विशेषज्ञता का अभाव है। इसके अलावा, वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण के कार्य को सुचारू रूप से पूरा करने में राजस्व विभाग के साथ सर्वेक्षण रिपोर्टों के समन्वय के मुद्दे हैं।
प्रावधानों का गलत उपयोग: यह देखा गया कि राज्य वक्फ बोर्डों ने भी अधिनियम के कुछ प्रावधानों का दुरुपयोग किया है जिससे समुदायों के बीच असामंजस्य और असंतोष पैदा हुआ है। वक्फ संपत्ति को अर्जित करने और वक्फ संपत्ति घोषित करने के लिए वक्फ अधिनियम की धारा 40 का व्यापक रूप से दुरुपयोग किया गया था। इससे न केवल भारी संख्या में मुकदमे उत्पन्न हुए हैं बल्कि समुदायों के बीच भी असामंजस्य पैदा हुआ है।
संवैधानिक वैधता: वक्फ अधिनियम देश के केवल एक धर्म की धार्मिक संपत्तियों के लिए एक विशेष अधिनियम है, जब किसी अन्य धर्म के लिए ऐसा कोई कानून मौजूद नहीं है। वास्तव में, वर्तमान में दिल्ली उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई है जिसमें यही प्रश्न पूछा गया है। वक्फ की संवैधानिक वैधता को लेकर दायर इस याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है।
समाहार
वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025, भारत में वक्फ संपत्ति प्रबंधन के शासन, पारदर्शिता और दक्षता को बढ़ाने के उद्देश्य से महत्वपूर्ण सुधार पेश करता है। मुकदमेबाजी और न्यायिक निरीक्षण की कमी जैसे लंबे समय से चले आ रहे मुद्दों को संबोधित करके, विधेयक एक अधिक सुव्यवस्थित और जवाबदेह ढांचा बनाने का प्रयास करता है। प्रमुख परिवर्तनों में वक्फ के गठन को फिर से परिभाषित करना, सर्वेक्षण और पंजीकरण प्रक्रिया में सुधार करना, सरकारी निगरानी को सशक्त बनाना, गैर-मुस्लिम सदस्यों और महिलाओं को वक्फ से संबंधित निकायों में शामिल करके समावेशिता सुनिश्चित करना शामिल है। ये प्रावधान भारत में वक्फ संपत्ति प्रबंधन के आधुनिकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।