सांस्कृतिक संपत्ति की अवैध तस्करी
सरकार सांस्कृतिक संपत्ति की अवैध तस्करी की रोकथाम के लिए आवश्यक कदम उठा रही है। स्मारकों, स्थलों और संग्रहालयों में नियमित निगरानी कर्मचारियों के अलावा निजी सुरक्षा गार्ड और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल को आवश्यकतानुसार तैनात किया गया है। जब भी किसी प्राचीन वस्तु की चोरी की सूचना मिलती है, तो एफआईआर दर्ज की जाती है और कस्टम एग्जिट चैनलों सहित कानून प्रवर्तन एजेंसियों को 'लुक आउट नोटिस' जारी किया जाता है ताकि चोरी की गई प्राचीन वस्तु का पता लगाने और उसके निर्यात को रोकने के लिए निगरानी रखी जा सके। 26 जुलाई 2024 को अमेरिका के साथ एक सांस्कृतिक संपत्ति समझौते (सीपीए) पर भी हस्ताक्षर किए गए हैं, जिससे प्राचीन वस्तुओं की पुनः प्राप्ति आसान हो जाएगी।
जन जागरूकता के लिए प्रदर्शनियाँ और कार्यशालाएँ आयोजित की जाती हैं। हाल ही में, नई दिल्ली में विश्व धरोहर समिति की बैठक के 46वें सत्र के दौरान “री(एड)ड्रेस: रिटर्न ऑफ ट्रेजर्स” शीर्षक से प्रदर्शनी आयोजित की गई और ‘पुरातन वस्तुओं की तस्करी की रोकथाम’ पर कार्यशाला के एक भाग के रूप में चेन्नई में ‘जर्नी बियॉन्ड द बॉर्डर्स: रिटर्न ऑफ ट्रेजर्स’ शीर्षक से प्रदर्शनी आयोजित की गई। ‘सांस्कृतिक संपत्ति की अवैध तस्करी से लड़ने’ पर यूनेस्को क्षेत्रीय क्षमता निर्माण कार्यशाला के दौरान भी भारत द्वारा प्रतिनिधित्व किया गया।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण सांस्कृतिक संपत्ति के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार ने वर्ष 1976 से 2024 तक विदेशों से 655 पुरावशेष प्राप्त किए हैं, जिनमें से 642 पुरावशेष वर्ष 2014 से प्राप्त किए गए हैं।
यह जानकारी केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।