इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय में आठवीं जनजातीय साहित्य महोत्सव का भव्य शुभारंभ
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय में आज आठवें जनजातीय साहित्य महोत्सव का शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में मध्य प्रदेश के जनजाति कार्य मंत्री श्री कुंवर विजय शाह,विशिष्ठ अतिथि के रूप में NITTTR भोपाल के निदेशक प्रो. चंद्र चारु त्रिपाठी, कार्यक्रम की अध्यक्षता अलीपुरद्वार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सरित कुमार चौधरी, संग्रहालय की और से डॉ. सूर्यकुमार पांडे और कार्यक्रम समन्वयक श्री सुधीर श्रीवास्तव उपस्थित रहे। कार्यक्रम का उद्घाटन दीप प्रज्वलन के साथ किया गया और सभी अतिथियों का स्वागत शाल, पुष्पगुच्छ और मोमेंटो देकर किया गया।
मुख्य अतिथि श्री कुंवर विजय साह ने अपने उद्बोधन में कहा, “कार्यक्रम की शोभा अतिथियों और आप सभी के योगदान से है। स्वागत के लिए बुके की बजाय बुक या पौधों का उपयोग करना चाहिए क्योंकि पौधे हमारे जीवन का आधार हैं।”
कार्यक्रम के समन्वयक श्री सुधीर श्रीवास्तव ने बताया कि जनजातीय साहित्य महोत्सव 2017 से मानव संग्रहालय में आयोजित किया जा रहा है और यह लगातार नई ऊंचाइयों को छू रहा है। प्रो. सरित कुमार चौधरी ने इसे राष्ट्रीय स्तर पर विस्तारित करने की जरूरत पर जोर दिया।
पैनल चर्चाओं का आयोजन
महोत्सव के दौरान तीन सत्रों का आयोजन किया गया:
जनजातीय फिल्म निर्माण: समावेशी कथाएं और आवाजें पर परिचर्चा
अध्यक्षता: फिल्म निर्माता श्री राजेश बादल।
वक्ता: एडवोकेट डॉ. बिंदु ए. (केरल), डॉ. शांता नाइक (कर्नाटक), डॉ. देबजानी मुखर्जी और श्री मुकेश दरबार (मध्य प्रदेश)।
वैश्वीकरण: आदिवासी साहित्य और उनकी संस्कृति
अध्यक्षता: प्रो. सरित कुमार चौधरी।
वक्ता: डॉ. गंगा सहाय मीना, श्री महादेव टोप्पो, श्री श्रीकांत नंदकुमार, श्री दयाराम राठोडिया और श्रीमती मंगला एस. गरवाल।
मिथक, लोककथाएं और महाकाव्य: आदिवासी साहित्य का आधार
अध्यक्षता: श्री महादेव टोप्पो।
वक्ता: श्री वसंत निर्गुणे, इंदुमति लामानी, डॉ. इंदु वी. मेनन, श्री जनार्दन गोंड, डॉ. राजेश राठवा, श्री शैलेंद्र के. शर्मा और डॉ. के.एस. मलान।
सांस्कृतिक और पारंपरिक प्रस्तुतियां
कार्यक्रम में दर्शकों के लिए पारंपरिक जनजातीय भोजन की विशेष व्यवस्था की गई थी, जिसमें विभिन्न जनजातीय व्यंजनों का आनंद लिया गया। साथ ही, एक भव्य पुस्तक प्रदर्शनी का आयोजन हुआ, जिसमें भोपाल के विभिन्न संस्थानों और पब्लिशर्स ने जनजातीय साहित्य से संबंधित पुस्तकें प्रदर्शित कीं।
शाम को राजस्थान के कलाकारों द्वारा कालबेलिया और घूमर नृत्य की मनमोहक प्रस्तुतियां हुईं, जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
यह महोत्सव जनजातीय साहित्य और संस्कृति को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और इसे राष्ट्रीय मंच तक पहुंचाने के प्रयासों में एक मील का पत्थर साबित होगा।
मुख्य अतिथि श्री कुंवर विजय साह ने अपने उद्बोधन में कहा, “कार्यक्रम की शोभा अतिथियों और आप सभी के योगदान से है। स्वागत के लिए बुके की बजाय बुक या पौधों का उपयोग करना चाहिए क्योंकि पौधे हमारे जीवन का आधार हैं।”
कार्यक्रम के समन्वयक श्री सुधीर श्रीवास्तव ने बताया कि जनजातीय साहित्य महोत्सव 2017 से मानव संग्रहालय में आयोजित किया जा रहा है और यह लगातार नई ऊंचाइयों को छू रहा है। प्रो. सरित कुमार चौधरी ने इसे राष्ट्रीय स्तर पर विस्तारित करने की जरूरत पर जोर दिया।
पैनल चर्चाओं का आयोजन
महोत्सव के दौरान तीन सत्रों का आयोजन किया गया:
जनजातीय फिल्म निर्माण: समावेशी कथाएं और आवाजें पर परिचर्चा
अध्यक्षता: फिल्म निर्माता श्री राजेश बादल।
वक्ता: एडवोकेट डॉ. बिंदु ए. (केरल), डॉ. शांता नाइक (कर्नाटक), डॉ. देबजानी मुखर्जी और श्री मुकेश दरबार (मध्य प्रदेश)।
वैश्वीकरण: आदिवासी साहित्य और उनकी संस्कृति
अध्यक्षता: प्रो. सरित कुमार चौधरी।
वक्ता: डॉ. गंगा सहाय मीना, श्री महादेव टोप्पो, श्री श्रीकांत नंदकुमार, श्री दयाराम राठोडिया और श्रीमती मंगला एस. गरवाल।
मिथक, लोककथाएं और महाकाव्य: आदिवासी साहित्य का आधार
अध्यक्षता: श्री महादेव टोप्पो।
वक्ता: श्री वसंत निर्गुणे, इंदुमति लामानी, डॉ. इंदु वी. मेनन, श्री जनार्दन गोंड, डॉ. राजेश राठवा, श्री शैलेंद्र के. शर्मा और डॉ. के.एस. मलान।
सांस्कृतिक और पारंपरिक प्रस्तुतियां
कार्यक्रम में दर्शकों के लिए पारंपरिक जनजातीय भोजन की विशेष व्यवस्था की गई थी, जिसमें विभिन्न जनजातीय व्यंजनों का आनंद लिया गया। साथ ही, एक भव्य पुस्तक प्रदर्शनी का आयोजन हुआ, जिसमें भोपाल के विभिन्न संस्थानों और पब्लिशर्स ने जनजातीय साहित्य से संबंधित पुस्तकें प्रदर्शित कीं।
शाम को राजस्थान के कलाकारों द्वारा कालबेलिया और घूमर नृत्य की मनमोहक प्रस्तुतियां हुईं, जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
यह महोत्सव जनजातीय साहित्य और संस्कृति को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और इसे राष्ट्रीय मंच तक पहुंचाने के प्रयासों में एक मील का पत्थर साबित होगा।