फर्जी मोबाइल कनेक्शन
दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने फर्जी दस्तावेजों पर प्राप्त मोबाइल कनेक्शनों की पहचान के लिए एआई आधारित उपकरण विकसित किया है और विश्लेषण के आधार पर, दूरसंचार सेवा प्रदाताओं द्वारा पुनः सत्यापन के बाद 78.33 लाख मोबाइल कनेक्शन काट दिए गए हैं। इसके अलावा, साइबर अपराध में संलिप्तता की रिपोर्टिंग के आधार पर 6.78 लाख मोबाइल कनेक्शन काट दिए गए हैं।
ग्राहकों को मोबाइल कनेक्शन जारी करने के लिए मौजूदा अपने ग्राहक को जानो (केवाईसी) ढांचे को मजबूत करने के लिए, दूरसंचार विभाग ने अब दूरसंचार लाइसेंसधारियों को अपने पॉइंट ऑफ सेल (पीओएस) {फ्रैंचाइजी, वितरक और एजेंट} को पंजीकृत करना अनिवार्य कर दिया है, जो ग्राहकों का पंजीकरण करते हैं और लाइसेंसधारियों की ओर से सिम जारी करते हैं। इन दिशा-निर्देशों में, अन्य बातों के साथ-साथ निम्न बातें अनिवार्य हैं:
प्रत्येक पी.ओ.एस. का पूर्ण सत्यापन;
पीओएस का बायोमेट्रिक सत्यापन;
व्यवसाय के स्थान और पीओएस के स्थानीय निवास के पते का भौतिक सत्यापन;
जम्मू-कश्मीर, असम और उत्तर पूर्व लाइसेंस सेवा क्षेत्रों (एलएसए) में पीओएस का पुलिस सत्यापन;
पीओएस के दायरे और कर्तव्यों, संचालन के क्षेत्र (एलएसए के भीतर सीमित), समझौते की समाप्ति सहित उल्लंघन के लिए दंडात्मक कार्रवाई से संबंधित विशिष्ट प्रावधानों वाले पारस्परिक समझौतों पर हस्ताक्षर;
यदि पीओएस द्वारा दिए गए दस्तावेज/सूचना गलत/जाली हैं और कानून प्रवर्तन एजेंसियों (एलईए)/एलएसए के निर्देश पर हैं तो इन सभी टीएसपी को ब्लैकलिस्ट किया जाएगा;
काली सूची (ब्लैक लिस्ट) में डाले गए पीओएस द्वारा नामांकित सभी मोबाइल उपभोक्ताओं का पुनः सत्यापन;
यदि कोई मौजूदा पीओएस 31.01.2025 के बाद बिना पंजीकरण के ग्राहकों का रजिस्ट्रेशन करता हुआ पाया जाता है, तो प्रति पीओएस 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा; आदि।
इसके अलावा, दूरसंचार विभाग ने मौजूदा केवाईसी निर्देशों में भी संशोधन किया है, जिसमें पहले के भारी संख्या में कनेक्शन ढांचे को बंद करना और व्यावसायिक कनेक्शन ढांचे की शुरूआत करना शामिल है, जहां कनेक्शन चालू होने(एक्टिव) से पहले प्रत्येक अंतिम उपयोगकर्ता का केवाईसी अनिवार्य कर दिया गया है। इसके अलावा, सब्सक्राइबर आइडेंटिटी मॉड्यूल (सिम) स्वैप/रिप्लेसमेंट के लिए एक मजबूत केवाईसी प्रक्रिया भी शुरू की गई है। कागज आधारित केवाईसी प्रक्रिया भी 01.01.2024 से बंद कर दी गई है।
यह जानकारी संचार एवं ग्रामीण विकास राज्य मंत्री डॉ. पेम्मासनी चंद्रशेखर ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।