संसद प्रश्न: जलवायु विज्ञान में भारत का वैश्विक नेतृत्व

संसद प्रश्न: जलवायु विज्ञान में भारत का वैश्विक नेतृत्व

मिशन मौसम को भारत को "मौसम के प्रति तैयार और जलवायु के प्रति स्मार्ट" राष्ट्र बनाने के लिए शुरू किया गया है, जिसके निम्नलिखित उद्देश्य हैं:

अवलोकन प्रणाली को सशक्त बनाना (In-situ और रिमोट सेंसिंग): अत्यधिक और उच्च-प्रभाव वाले मौसम से जीवन और संपत्ति की सुरक्षा के लिए, अवलोकन प्रणालियों और मॉडल क्षमताओं को बेहतर बनाना।

सामाजिक लाभ के लिए विज्ञान, नवाचार और प्रौद्योगिकी, और डेटा विज्ञान की बेहतर समझ और उपयोग करना

• जनता और हितधारकों (संख्यात्मक+एआई/एमएल) को सटीक जानकारी देने के लिए हमारे मॉडल/डेटा एसिमिलेशन/एचपीसी में सुधार करना

• आज और भविष्य के लिए पृथ्वी प्रणाली विज्ञान में प्रशिक्षित मानव संसाधन तैयार करना

• पूर्वानुमान प्रसार: समाज के साथ प्रभावी संचार: जिसमें सभी के लिए प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली प्रदान करना शामिल है

इस योजना का मुख्य उद्देश्य जलवायु परिवर्तन और अत्यधिक मौसम की घटनाओं के प्रभाव को कम करके कृषि, बिजली, सिंचाई, शिपिंग, जल संसाधन प्रबंधन, स्वास्थ्य, विमानन, परिवहन क्षेत्र, आपदा प्रबंधन, अपतटीय तेल प्रबंधन, सार्वजनिक सुरक्षा आदि जैसे विभिन्न मौसम और जलवायु-संवेदनशील क्षेत्रों को समर्थन देना और उष्णकटिबंधीय चक्रवातों, गंभीर तूफानों, धूल के तूफानों, भारी बारिश और बर्फबारी की घटनाओं, ठंड और गर्म लहरों आदि जैसे गंभीर मौसम की घटनाओं के लिए समुदायों की सामर्थ्य को मजबूत करना है।

उपर्युक्त लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, देश भर में एक अवलोकन नेटवर्क का विस्तार, आंकड़ों के समावेश के साथ-साथ संख्यात्मक मौसम पूर्वानुमान मॉडल के रिजोल्यूशन में सुधार, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग (एआई/एमएल), इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) का कार्यान्वयन, सामाजिक-आर्थिक अनुप्रयोगों के लिए आवश्यक अधिक विस्तारित लीड अवधि और बेहतर सटीकता के साथ विस्तृत स्तर पर बेहतर पूर्वानुमान उत्पादों के उत्पादन के लिए उन्नत सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) और जान-माल की हानि में कमी जैसी अति आवश्यक गतिविधियों की योजना बनाई गई है, ताकि बिहार सहित देश के हर हिस्से पर एक समान ध्यान केंद्रित किया जा सके।

मिशन मौसम योजना को 2024-26 के दौरान क्रियान्वित किया जाएगा। इस योजना का इसके क्रियान्वयन में शामिल संबंधित संस्थानों के प्रमुखों द्वारा निरंतर मूल्यांकन और निगरानी की जाएगी। इसके अतिरिक्त, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता वाली परियोजना प्रबंधन परिषद (पीएमसी) योजना की प्रगति और उपलब्धियों का आकलन करेगी।

यह जानकारी केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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Journalist Anil Prabhakar

Editor UPVIRAL24 NEWS