नीति आयोग ने ‘राज्यों में हरित परिवर्तन’ पर संगोष्ठी आयोजित की
नीति आयोग ने विद्युत मंत्रालय और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के सहयोग से ऊर्जा स्रोतों में बदलाव के लिए सतत समाधान को गति देने वाला ‘एसेट’ प्लेटफॉर्म लॉन्च किया
11 नवंबर 2024 को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में “राज्यों में हरित परिवर्तन” पर एक संगोष्ठी आयोजित की गई। इस कार्यक्रम का आयोजन ज्ञान भागीदार के रूप में आईएसईजी फाउंडेशन के सहयोग से भारत सरकार के नीति आयोग द्वारा किया गया।
संगोष्ठी में केंद्र और राज्य सरकारों के वरिष्ठ गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया, जिनमें नीति आयोग के उपाध्यक्ष श्री सुमन बेरी; नीति आयोग के सीईओ श्री बी.वी.आर. सुब्रह्मण्यम; एसईसीआई के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक श्री आर.पी. गुप्ता; पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की सचिव सुश्री लीना नंदन; विद्युत मंत्रालय के सचिव श्री पंकज अग्रवाल; पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के सचिव श्री पंकज जैन तथा नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के सचिव श्री प्रशांत कुमार सिंह शामिल थे।
नीति आयोग ने विद्युत मंत्रालय और नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के सहयोग से एसेट प्लेटफॉर्म- ‘ऊर्जा स्रोतों में परिवर्तन के लिए सतत समाधानों को गति देना’ लॉन्च किया। एसेट प्लेटफॉर्म राज्यों को उनके हरित परिवर्तन में तेजी लाने में सहायता करने के लिए समय की मांग के अनुरूप एक पहल है। यह प्लेटफॉर्म राज्य ऊर्जा परिवर्तन ब्लूप्रिंट तैयार करने के साथ-साथ इसके कार्यान्वयन में सहायता करेगा तथा निर्भर रहने योग्य परियोजनाओं की योजना तैयार करेगा। यह प्लेटफार्म राज्यों के सर्वोत्तम तौर-तरीकों के साथ-साथ बीईएसएस, हरित हाइड्रोजन, ऊर्जा दक्षता, ई-मोबिलिटी, अपतटीय पवन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में आगामी प्रौद्योगिकी और नवाचारों को प्रदर्शित करेगा।
भारत की 2047 तक विकसित भारत बनने और 2070 तक नेट-जीरो जीएचजी उत्सर्जन का लक्ष्य प्राप्त करने की राष्ट्रीय आकांक्षाओं को हासिल करने में राज्यों की भूमिका महत्वपूर्ण है। इसके लिए अगले दो दशकों में निरंतर आर्थिक विकास की आवश्यकता है। राज्यों को ऊर्जा स्रोतों में बदलाव से जुडी योजनाओं को विकसित और कार्यान्वित करने की आवश्यकता है, जो समग्र राष्ट्रीय लक्ष्यों के अनुरूप हों। इसमें तीन प्रमुख चरण शामिल हैं: पहला, ऊर्जा स्रोतों में बदलाव के लिए व्यापक ब्लूप्रिंट तैयार करना; दूसरा, निवेश योग्य परियोजनाएं विकसित करना और उनका प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करना और तीसरा, उभरती प्रौद्योगिकियों में नवाचार को बढ़ावा देना।.
श्री. नीति आयोग की उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने नवीकरणीय ऊर्जा विस्तार में वित्तीय चुनौतियों पर प्रकाश डाला, तथा निजी क्षेत्र द्वारा संचालित मॉडलों के तहत नवीकरणीय ऊर्जा विकास को बनाए रखने के लिए अभिनव वित्तपोषण व्यवस्था की जरूरत पर जोर दिया।
नीति आयोग के सीईओ श्री बी.वी.आर. सुब्रह्मण्यम ने सहकारी संघवाद की आवश्यकता पर बल दिया तथा राज्यों को राष्ट्रीय लक्ष्यों के अनुरूप ऊर्जा स्रोतों में बदलाव के लिए व्यावहारिक व व्यापक हरित योजनाओं को विकसित करने के लिए उपकरण प्रदान करने में एसेट की भूमिका का उल्लेख किया।
एसईसीआई के सीएमडी श्री आर.पी. गुप्ता ने भारत में नवीकरणीय ऊर्जा को आगे बढ़ाने तथा जीवाश्म ईंधन स्रोतों के उपयोग को कम करने एसईसीआई की भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने नवीकरणीय ऊर्जा में मौसमी रुकावट की चुनौती तथा उन्नत दीर्घकालिक भंडारण प्रौद्योगिकियों के व्यावसायीकरण की महत्वपूर्ण आवश्यकता पर जोर दिया।
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की सचिव सुश्री लीना नंदन ने लाइफ (पर्यावरण के अनुरूप जीवनशैली) अभियान जैसी पहलों तथा देश के वन क्षेत्र का विस्तार करने के चल रहे प्रयासों के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने "एक पेड़ माँ के नाम" जैसे कार्यक्रमों के प्रभाव पर प्रकाश डाला, जिसके कारण इस कार्यक्रम की शुरुआत से लेकर अब तक 99 करोड़ पौधे लगाए जा चुके हैं।
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के सचिव श्री पंकज जैन ने इथेनॉल, मेथनॉल, बायोगैस, सतत विमानन ईंधन (एसएएफ) जैसे वैकल्पिक स्वच्छ ईंधन की भूमिका और उनके उत्पादन के लिए अपशिष्ट के उपयोग पर ध्यान केंद्रित किया।
विद्युत मंत्रालय के सचिव श्री पंकज अग्रवाल ने हाइड्रो और आरई-आधारित भंडारण उपायों पर बढ़ती निर्भरता का उल्लेख करते हुए, निश्चित अवधि की अधिकतम मांगों को पूरा करने के लिए भारत की ऊर्जा अवसंरचना को मजबूत करने के प्रयासों को रेखांकित किया।
एमएनआरई के सचिव श्री प्रशांत कुमार सिंह ने सौर पीवी विनिर्माण क्षमता पर पीएलआई योजना के सकारात्मक प्रभाव, ग्रामीण सौर परिनियोजन को बढ़ावा देने में पीएम-कुसुम की सफलता और पीएम सूर्य घर योजना के तहत वितरित सौर पहलों के महत्व पर अद्यतन जानकारी साझा की, जो भारत के 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा तक पहुंचने के लक्ष्य में योगदान दे रहे हैं।
संगोष्ठी में राज्यों, निजी कंपनियों और थिंक टैंक की प्रस्तुतियों के साथ सर्वोत्तम तौर-तरीके के 2 अभ्यास सत्र शामिल थे।