कुत्तों के भी ना खाने लायक मिठाई प्रसाद रूप में बेच रहे हैं दुकानदार

कुत्तों के भी ना खाने लायक मिठाई प्रसाद रूप में बेच रहे हैं दुकानदार  रिपोर्ट :- विजय द्विवेदी  जगम्मनपुर ,जालौन । ग्रामीण क्षेत्र में स्थानीय देव स्थलों पर भगवान व देवताओं को प्रसाद चढ़ने के लिए दुकानदारों द्वारा इतनी सड़ी एवं बदबूदार मिठाई का विक्रय किया जा रहा है जिसे कुत्ते भी खाना स्वीकार नहीं कर रहे हैं।   रामपुरा पंचनद क्षेत्र में वैसे तो अनेक धार्मिक स्थल है लेकिन यहां एक ऐसा भी मंदिर है जिसे क्षेत्रीय लोग तेरह के पुल के मसान बाबा के रूप में पूजने के लिए बड़ी संख्या में एकत्रित होते हैं । रामपुरा थाना क्षेत्र के ग्राम टीहर एवं जगम्मनपुर से क्रमशः दो व तीन किलोमीटर की दूरी पर नहर के किनारे तेरह का पुल नामक स्थल है , बताते हैं कि मुगल एवं अंग्रेजी शासन काल में ऊमरी से जगम्मनपुर आने के लिए इसी रास्ते का उपयोग किया जाता रहा है । नहर किनारे अनेक हरे-भरे वृक्ष एवं एक देवस्थल था जिसे लोग मसान बाबा के रूप में पूछते थे । मान्यता है कि इस रास्ते से गुजरने वाले प्रत्येक व्यक्ति को यहां रुक कर मंदिर में मसान बाबा को प्रणाम करने के लिए अनिवार्य रूप से जाना ही पड़ता है । पहले यहां एक छोटे से चबूतरे पर आड़ी तिरछी ईंटों से मकान बाबा का थान (घर) बनाया गया था , वर्तमान में यह स्थाव बहुत विकास कर गया है,अब यहां अनेक मंदिर , अतिथि गृह , बरामदा , कई कमरे आदि बन चुके हैं और यहां वर्ष भर भक्तों की भीड़ जुटने लगी है। आसपास गांव के कुछ स्थानीय लालची प्रवृत्ति एवं संकुचित सोच के लोगों ने श्रद्धालुओं की श्रद्धा का लाभ उठाने के लिए प्रसाद चढ़ाने के लिए अखाद्य मिठाई की दुकान खोल दी है और उन पर न जाने किस पदार्थ से निर्मित मिष्ठान बेचना शुरू कर दिया जिसे देवता क्या - मनुष्य भी इसे नहीं खा सकते है और तो और वहां घूमने वाले आवारा कुत्ते भी उस प्रसाद रूपी मिष्ठान को सूंघकर पूंछ दबाकर अजीब सी आवाज करते हुए भाग खड़े होते हैं । यदि इस प्रसाद को कोई एक ग्राम से ज्यादा खा ले तो उसे अपना इलाज करना ही पड़ेगा। आश्चर्यजनक यह है कि इस अखाद्य प्रसाद को देवता पर चढ़ाकर लोग अपनी मन्नत पूरी होने की कामना करते हैं ।  *खाद्य निरीक्षक की निगाह बड़े शिकारों पर*  उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य विभाग द्वारा नियुक्त खाद्य निरीक्षक होली, दीपावली ,रक्षाबंधन आदि पर्वों पर अपने सर्किल क्षेत्र के बाजारों में बड़े-बड़े दुकानदारों के संपर्क में रहते हैं । वार्षिक नजराना के अतिरिक्त त्यौहारी भेंट प्राप्त करने के बाद दुकानदारों से पूंछ कर किसी अच्छी क्वालिटी की वस्तु का सैंपल भर के अपने कर्तव्य की इतिश्री भी कर लेते हैं लेकिन छोटे-छोटे धार्मिक स्थलों पर प्रसाद रूप में खुलेआम विक्रय की जा रही बदवूदार मिठाई पर इन जिम्मेदार अधिकारियों ने कभी कोई ध्यान नहीं दिया । जिस दिन ऐसी खराब मिठाइयां खाकर कोई बड़ी घटना घटित होगी वह दिन इस क्षेत्र के लिए बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण होगा।
कुत्तों के भी ना खाने लायक मिठाई प्रसाद रूप में बेच रहे हैं दुकानदार  रिपोर्ट :- विजय द्विवेदी  जगम्मनपुर ,जालौन । ग्रामीण क्षेत्र में स्थानीय देव स्थलों पर भगवान व देवताओं को प्रसाद चढ़ने के लिए दुकानदारों द्वारा इतनी सड़ी एवं बदबूदार मिठाई का विक्रय किया जा रहा है जिसे कुत्ते भी खाना स्वीकार नहीं कर रहे हैं।   रामपुरा पंचनद क्षेत्र में वैसे तो अनेक धार्मिक स्थल है लेकिन यहां एक ऐसा भी मंदिर है जिसे क्षेत्रीय लोग तेरह के पुल के मसान बाबा के रूप में पूजने के लिए बड़ी संख्या में एकत्रित होते हैं । रामपुरा थाना क्षेत्र के ग्राम टीहर एवं जगम्मनपुर से क्रमशः दो व तीन किलोमीटर की दूरी पर नहर के किनारे तेरह का पुल नामक स्थल है , बताते हैं कि मुगल एवं अंग्रेजी शासन काल में ऊमरी से जगम्मनपुर आने के लिए इसी रास्ते का उपयोग किया जाता रहा है । नहर किनारे अनेक हरे-भरे वृक्ष एवं एक देवस्थल था जिसे लोग मसान बाबा के रूप में पूछते थे । मान्यता है कि इस रास्ते से गुजरने वाले प्रत्येक व्यक्ति को यहां रुक कर मंदिर में मसान बाबा को प्रणाम करने के लिए अनिवार्य रूप से जाना ही पड़ता है । पहले यहां एक छोटे से चबूतरे पर आड़ी तिरछी ईंटों से मकान बाबा का थान (घर) बनाया गया था , वर्तमान में यह स्थाव बहुत विकास कर गया है,अब यहां अनेक मंदिर , अतिथि गृह , बरामदा , कई कमरे आदि बन चुके हैं और यहां वर्ष भर भक्तों की भीड़ जुटने लगी है। आसपास गांव के कुछ स्थानीय लालची प्रवृत्ति एवं संकुचित सोच के लोगों ने श्रद्धालुओं की श्रद्धा का लाभ उठाने के लिए प्रसाद चढ़ाने के लिए अखाद्य मिठाई की दुकान खोल दी है और उन पर न जाने किस पदार्थ से निर्मित मिष्ठान बेचना शुरू कर दिया जिसे देवता क्या - मनुष्य भी इसे नहीं खा सकते है और तो और वहां घूमने वाले आवारा कुत्ते भी उस प्रसाद रूपी मिष्ठान को सूंघकर पूंछ दबाकर अजीब सी आवाज करते हुए भाग खड़े होते हैं । यदि इस प्रसाद को कोई एक ग्राम से ज्यादा खा ले तो उसे अपना इलाज करना ही पड़ेगा। आश्चर्यजनक यह है कि इस अखाद्य प्रसाद को देवता पर चढ़ाकर लोग अपनी मन्नत पूरी होने की कामना करते हैं ।  *खाद्य निरीक्षक की निगाह बड़े शिकारों पर*  उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य विभाग द्वारा नियुक्त खाद्य निरीक्षक होली, दीपावली ,रक्षाबंधन आदि पर्वों पर अपने सर्किल क्षेत्र के बाजारों में बड़े-बड़े दुकानदारों के संपर्क में रहते हैं । वार्षिक नजराना के अतिरिक्त त्यौहारी भेंट प्राप्त करने के बाद दुकानदारों से पूंछ कर किसी अच्छी क्वालिटी की वस्तु का सैंपल भर के अपने कर्तव्य की इतिश्री भी कर लेते हैं लेकिन छोटे-छोटे धार्मिक स्थलों पर प्रसाद रूप में खुलेआम विक्रय की जा रही बदवूदार मिठाई पर इन जिम्मेदार अधिकारियों ने कभी कोई ध्यान नहीं दिया । जिस दिन ऐसी खराब मिठाइयां खाकर कोई बड़ी घटना घटित होगी वह दिन इस क्षेत्र के लिए बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण होगा।

कुत्तों के भी ना खाने लायक मिठाई प्रसाद रूप में बेच रहे हैं दुकानदार

रिपोर्ट :- विजय द्विवेदी

जगम्मनपुर ,जालौन । ग्रामीण क्षेत्र में स्थानीय देव स्थलों पर भगवान व देवताओं को प्रसाद चढ़ने के लिए दुकानदारों द्वारा इतनी सड़ी एवं बदबूदार मिठाई का विक्रय किया जा रहा है जिसे कुत्ते भी खाना स्वीकार नहीं कर रहे हैं।

 रामपुरा पंचनद क्षेत्र में वैसे तो अनेक धार्मिक स्थल है लेकिन यहां एक ऐसा भी मंदिर है जिसे क्षेत्रीय लोग तेरह के पुल के मसान बाबा के रूप में पूजने के लिए बड़ी संख्या में एकत्रित होते हैं । रामपुरा थाना क्षेत्र के ग्राम टीहर एवं जगम्मनपुर से क्रमशः दो व तीन किलोमीटर की दूरी पर नहर के किनारे तेरह का पुल नामक स्थल है , बताते हैं कि मुगल एवं अंग्रेजी शासन काल में ऊमरी से जगम्मनपुर आने के लिए इसी रास्ते का उपयोग किया जाता रहा है । नहर किनारे अनेक हरे-भरे वृक्ष एवं एक देवस्थल था जिसे लोग मसान बाबा के रूप में पूछते थे । मान्यता है कि इस रास्ते से गुजरने वाले प्रत्येक व्यक्ति को यहां रुक कर मंदिर में मसान बाबा को प्रणाम करने के लिए अनिवार्य रूप से जाना ही पड़ता है । पहले यहां एक छोटे से चबूतरे पर आड़ी तिरछी ईंटों से मकान बाबा का थान (घर) बनाया गया था , वर्तमान में यह स्थाव बहुत विकास कर गया है,अब यहां अनेक मंदिर , अतिथि गृह , बरामदा , कई कमरे आदि बन चुके हैं और यहां वर्ष भर भक्तों की भीड़ जुटने लगी है। आसपास गांव के कुछ स्थानीय लालची प्रवृत्ति एवं संकुचित सोच के लोगों ने श्रद्धालुओं की श्रद्धा का लाभ उठाने के लिए प्रसाद चढ़ाने के लिए अखाद्य मिठाई की दुकान खोल दी है और उन पर न जाने किस पदार्थ से निर्मित मिष्ठान बेचना शुरू कर दिया जिसे देवता क्या - मनुष्य भी इसे नहीं खा सकते है और तो और वहां घूमने वाले आवारा कुत्ते भी उस प्रसाद रूपी मिष्ठान को सूंघकर पूंछ दबाकर अजीब सी आवाज करते हुए भाग खड़े होते हैं । यदि इस प्रसाद को कोई एक ग्राम से ज्यादा खा ले तो उसे अपना इलाज करना ही पड़ेगा। आश्चर्यजनक यह है कि इस अखाद्य प्रसाद को देवता पर चढ़ाकर लोग अपनी मन्नत पूरी होने की कामना करते हैं ।

*खाद्य निरीक्षक की निगाह बड़े शिकारों पर*

उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य विभाग द्वारा नियुक्त खाद्य निरीक्षक होली, दीपावली ,रक्षाबंधन आदि पर्वों पर अपने सर्किल क्षेत्र के बाजारों में बड़े-बड़े दुकानदारों के संपर्क में रहते हैं । वार्षिक नजराना के अतिरिक्त त्यौहारी भेंट प्राप्त करने के बाद दुकानदारों से पूंछ कर किसी अच्छी क्वालिटी की वस्तु का सैंपल भर के अपने कर्तव्य की इतिश्री भी कर लेते हैं लेकिन छोटे-छोटे धार्मिक स्थलों पर प्रसाद रूप में खुलेआम विक्रय की जा रही बदवूदार मिठाई पर इन जिम्मेदार अधिकारियों ने कभी कोई ध्यान नहीं दिया । जिस दिन ऐसी खराब मिठाइयां खाकर कोई बड़ी घटना घटित होगी वह दिन इस क्षेत्र के लिए बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण होगा।

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Journalist Anil Prabhakar

Editor UPVIRAL24 NEWS