अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं : krishna bhajan lyrics

अच्युतम केशवम् एक प्रसिद्ध कृष्ण भजन है जो भगवान कृष्ण के दिव्य गुणों का गुणगान करता है। इसके बोल पारंपरिक हैं और गहरी भक्ति को दर्शाते हैं, जिसमें कृष्ण के जीवन और चरित्र के विभिन्न पहलुओं का वर्णन किया गया है।  भजन की शुरुआत इस प्रकार होती है:  अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं    राम नारायणं जानकी वल्लभं    अच्युतम केशवम कृष्ण दामोदरम  राम नारायणम जानकीवल्लभम  कौन कहता है भगवान आते नहीं  तुम मीरा के जैसे बुलाते नहीं  अच्युतम केशवम कृष्ण दामोदरम  राम नारायणम जानकीवल्लभम  कौन कहता है भगवान खाते नहीं  बेर शबरी के जैसे खिलाते नहीं  अच्युतम केशवम कृष्ण दामोदरम  राम नारायणम जानकीवल्लभम  कौन कहता है भगवान सोते नहीं  माँ यशोदा के जैसे सुलाते नहीं  अच्युतम केशवम कृष्ण दामोदरम  राम नारायणम जानकीवल्लभम  कौन कहता है भगवान नाचते नहीं  तुम गोपियों के जैसे नचाते नहीं  अच्युतम केशवम कृष्ण दामोदरम  राम नारायणम जानकीवल्लभम  कौन कहता है भगवान आते नहीं  तुम मीरा के जैसे बुलाते नहीं  अच्युतम केशवम कृष्ण दामोदरम  राम नारायणम जानकीवल्लभम  इसका अनुवाद है: "अच्युतम" (अपराजेय), "केशवम्" (सुंदर बालों वाले), और "दामोदरं" (जो माता यशोदा द्वारा रस्सी से बंधा गया) के रूप में कृष्ण की प्रशंसा करना। यह उनके दिव्य रूपों और संबंधों को स्वीकार करता है, और राधा और गोपियों के साथ उनके संबंध को उजागर करता है।  मुख्य विषय  दिव्य उपस्थिति: बोल यह चुनौती देते हैं कि भगवान दूर या अप्राप्य हैं। "कौन कहते हैं भगवान आते नहीं" जैसे पंक्तियाँ इस विश्वास को व्यक्त करती हैं कि भगवान हमेशा निकट हैं, भक्तों की सच्ची पुकार का इंतजार कर रहे हैं।  भगवान की करुणा: भजन कृष्ण की स्वीकार्यता को उजागर करता है, शबरी के बेरों का उल्लेख करते हुए, और उनकी मातृवत प्रेमपूर्ण प्रकृति को दर्शाता है।  आनंद और नृत्य: यह दिव्य खेल के आनंद पर जोर देता है, यह प्रश्न उठाते हुए कि भगवान नृत्य नहीं करते या आनंदित नहीं होते, जैसे गोपियों के साथ उनकी खेल-खिलवाड़।  निष्कर्ष  अच्युतम केशवम् भगवान कृष्ण की हमेशा उपस्थित और प्रेमपूर्ण प्रकृति की याद दिलाता है। इसे अक्सर भक्ति सभा और त्योहारों, विशेष रूप से जन्माष्टमी के दौरान गाया जाता है, ताकि भक्तों को दिव्य से जोड़ने और कृष्ण के जीवन के आनंदमय पहलुओं का जश्न मनाने का माध्यम मिल सके। भजन की सुरम्य संरचना और दिल से लिखे गए बोल इसे भक्तों के बीच एक पसंदीदा बनाते हैं, जो सामुदायिकता और आध्यात्मिक उत्थान को बढ़ावा देते हैं।  जो लोग पूरे बोलों में रुचि रखते हैं, वे विभिन्न संगीत स्ट्रीमिंग प्लेटफार्मों और भक्ति वेबसाइटों पर उन्हें पा सकते हैं, जिससे भक्त साथ में गा सकें और भक्ति के अनुभव में डूब सकें।

krishna bhajan lyrics : अच्युतम केशवम् एक प्रसिद्ध कृष्ण भजन है जो भगवान कृष्ण के दिव्य गुणों का गुणगान करता है। इसके बोल पारंपरिक हैं और गहरी भक्ति को दर्शाते हैं, जिसमें कृष्ण के जीवन और चरित्र के विभिन्न पहलुओं का वर्णन किया गया है।

भजन की शुरुआत इस प्रकार होती है:

अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं  

राम नारायणं जानकी वल्लभं  

अच्युतम केशवम कृष्ण दामोदरम

राम नारायणम जानकीवल्लभम

कौन कहता है भगवान आते नहीं

तुम मीरा के जैसे बुलाते नहीं

अच्युतम केशवम कृष्ण दामोदरम

राम नारायणम जानकीवल्लभम

कौन कहता है भगवान खाते नहीं

बेर शबरी के जैसे खिलाते नहीं

अच्युतम केशवम कृष्ण दामोदरम

राम नारायणम जानकीवल्लभम

कौन कहता है भगवान सोते नहीं

माँ यशोदा के जैसे सुलाते नहीं

अच्युतम केशवम कृष्ण दामोदरम

राम नारायणम जानकीवल्लभम

कौन कहता है भगवान नाचते नहीं

तुम गोपियों के जैसे नचाते नहीं

अच्युतम केशवम कृष्ण दामोदरम

राम नारायणम जानकीवल्लभम

कौन कहता है भगवान आते नहीं

तुम मीरा के जैसे बुलाते नहीं

अच्युतम केशवम कृष्ण दामोदरम

राम नारायणम जानकीवल्लभम

इसका अनुवाद है: "अच्युतम" (अपराजेय), "केशवम्" (सुंदर बालों वाले), और "दामोदरं" (जो माता यशोदा द्वारा रस्सी से बंधा गया) के रूप में कृष्ण की प्रशंसा करना। यह उनके दिव्य रूपों और संबंधों को स्वीकार करता है, और राधा और गोपियों के साथ उनके संबंध को उजागर करता है।

मुख्य विषय

दिव्य उपस्थिति: बोल यह चुनौती देते हैं कि भगवान दूर या अप्राप्य हैं। "कौन कहते हैं भगवान आते नहीं" जैसे पंक्तियाँ इस विश्वास को व्यक्त करती हैं कि भगवान हमेशा निकट हैं, भक्तों की सच्ची पुकार का इंतजार कर रहे हैं।

भगवान की करुणा: भजन कृष्ण की स्वीकार्यता को उजागर करता है, शबरी के बेरों का उल्लेख करते हुए, और उनकी मातृवत प्रेमपूर्ण प्रकृति को दर्शाता है।

आनंद और नृत्य: यह दिव्य खेल के आनंद पर जोर देता है, यह प्रश्न उठाते हुए कि भगवान नृत्य नहीं करते या आनंदित नहीं होते, जैसे गोपियों के साथ उनकी खेल-खिलवाड़।

निष्कर्ष

अच्युतम केशवम् भगवान कृष्ण की हमेशा उपस्थित और प्रेमपूर्ण प्रकृति की याद दिलाता है। इसे अक्सर भक्ति सभा और त्योहारों, विशेष रूप से जन्माष्टमी के दौरान गाया जाता है, ताकि भक्तों को दिव्य से जोड़ने और कृष्ण के जीवन के आनंदमय पहलुओं का जश्न मनाने का माध्यम मिल सके। भजन की सुरम्य संरचना और दिल से लिखे गए बोल इसे भक्तों के बीच एक पसंदीदा बनाते हैं, जो सामुदायिकता और आध्यात्मिक उत्थान को बढ़ावा देते हैं।

जो लोग पूरे बोलों में रुचि रखते हैं, वे विभिन्न संगीत स्ट्रीमिंग प्लेटफार्मों और भक्ति वेबसाइटों पर उन्हें पा सकते हैं, जिससे भक्त साथ में गा सकें और भक्ति के अनुभव में डूब सकें।

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Journalist Anil Prabhakar

Editor UPVIRAL24 NEWS