साइबर अपराध
भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार ‘पुलिस’ और ‘सार्वजनिक व्यवस्था’ राज्य के विषय हैं। राज्य/केंद्र शासित प्रदेश मुख्य रूप से अपनी कानून प्रवर्तन एजेंसियों के माध्यम से साइबर अपराध सहित अपराधों की रोकथाम, उसका पता लगाने, उसकी जांच और अभियोजन के लिए जिम्मेदार हैं। केंद्र सरकार राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों की पहलों को उनकी कानून प्रवर्तन एजेंसियों (एलईए) की क्षमता निर्माण के लिए विभिन्न योजनाओं के तहत सलाह और वित्तीय सहायता के माध्यम से पूरक बनाती है।
साइबर अपराधों से व्यापक और समन्वित तरीके से निपटने हेतु तंत्र को मजबूत करने के लिए केंद्र सरकार ने कई कदम उठाए हैं, जिनमें अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित शामिल हैं:
i. गृह मंत्रालय ने देश में सभी प्रकार के साइबर अपराधों से समन्वित और व्यापक तरीके से निपटने के लिए एक संबद्ध कार्यालय के रूप में ‘भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र’ (आई4सी) की स्थापना की है।
ii. मेवात, जामताड़ा, अहमदाबाद, हैदराबाद, चंडीगढ़, विशाखापत्तनम और गुवाहाटी के लिए आई4सी के तहत सात संयुक्त साइबर समन्वय दल (जेसीसीटी) गठित किए गए हैं, जो पूरे देश में साइबर अपराध हॉटस्पॉट/बहु-क्षेत्राधिकार वाले क्षेत्रों पर आधारित हैं। इसका उद्देश्य राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच समन्वय ढांचे को बढ़ाना है। 2023 में हैदराबाद, अहमदाबाद, गुवाहाटी, विशाखापत्तनम, लखनऊ, रांची और चंडीगढ़ में जेसीसीटी के लिए सात कार्यशालाएं आयोजित की गईं।
iii. राज्य/केंद्र शासित प्रदेश की पुलिस के जांच अधिकारियों (आईओ) को प्रारंभिक चरण की साइबर फोरेंसिक सहायता प्रदान करने के लिए आई4सी के एक भाग के रूप में नई दिल्ली में अत्याधुनिक 'राष्ट्रीय साइबर फोरेंसिक प्रयोगशाला (जांच)' की स्थापना की गई है। अब तक, राष्ट्रीय साइबर फोरेंसिक प्रयोगशाला (जांच) ने साइबर अपराधों से संबंधित मामलों की जांच में मदद करने के लिए मोबाइल फोरेंसिक, मेमोरी फोरेंसिक, सीडीआर विश्लेषण आदि जैसे लगभग 10,200 साइबर फोरेंसिक में राज्य एलईए को अपनी सेवाएं प्रदान की हैं।
iv. राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल’ (https://cybercrime.gov.in ) को आई4सी के एक भाग के रूप में लॉन्च किया गया है, ताकि जनता सभी प्रकार के साइबर अपराधों विशेषतौर से महिलाओं और बच्चों के खिलाफ साइबर अपराधों से संबंधित घटनाओं की रिपोर्ट कर सके। इस पोर्टल पर रिपोर्ट की गई साइबर अपराध की घटनाएं, उनका एफआईआर में रूपांतरण और उसके बाद की कार्रवाई कानून के प्रावधानों के अनुसार संबंधित राज्य/केंद्र शासित प्रदेश कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा पूरी की जाती है।
v. वित्तीय धोखाधड़ी की तत्काल रिपोर्टिंग और धोखेबाजों द्वारा धन की हेराफेरी को रोकने के लिए आई4सी के तहत ‘नागरिक वित्तीय साइबर धोखाधड़ी रिपोर्टिंग और प्रबंधन प्रणाली’ शुरू की गई है। अब तक 7.6 लाख से अधिक शिकायतों में 2400 करोड़ रुपये की बचत हुई है। ऑनलाइन साइबर शिकायत दर्ज करने में सहायता प्राप्त करने के लिए एक टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर ‘1930’ शुरू किया गया है।
vi. आई4सी के तहत मैसिव ओपन ऑनलाइन कोर्स (एमओओसी) प्लेटफॉर्म, जिसका नाम ‘साइट्रेन’ पोर्टल है, को विकसित किया गया है। इसका उद्देश्य साइबर अपराध जांच, फोरेंसिक, अभियोजन आदि के महत्वपूर्ण पहलुओं पर ऑनलाइन पाठ्यक्रम के माध्यम से पुलिस अधिकारियों/न्यायिक अधिकारियों की क्षमता निर्माण है। पाठ्यक्रम पूरा करने पर प्रमाण-पत्र भी प्रदान किया जाएगा। इस पोर्टल के माध्यम से राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के 96,288 से अधिक पुलिस अधिकारी पंजीकृत हैं और 70,992 से अधिक प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं।
vii. अब तक पुलिस अधिकारियों द्वारा रिपोर्ट किए गए 5.8 लाख से अधिक सिम कार्ड और 1,08,000 आईएमईआई को भारत सरकार द्वारा ब्लॉक किया गया है।
viii. आई4सी ने भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों/विभागों के 6,800 अधिकारियों को साइबर स्वच्छता प्रशिक्षण दिया है।
ix. आई4सी ने 35,000 से अधिक एनसीसी कैडेटों को साइबर स्वच्छता प्रशिक्षण दिया है।
x. गृह मंत्रालय ने महिलाओं और बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध रोकथाम (सीसीपीडब्ल्यूसी) योजना के अंतर्गत राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को साइबर फोरेंसिक-सह-प्रशिक्षण प्रयोगशालाओं की स्थापना, कनिष्ठ साइबर सलाहकारों की भर्ती और एलईए के कर्मियों, सरकारी अभियोजकों और न्यायिक अधिकारियों के प्रशिक्षण जैसी उनकी क्षमता निर्माण के लिए 131.60 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की है। 33 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में साइबर फोरेंसिक-सह-प्रशिक्षण प्रयोगशालाएं चालू की गई हैं और 24,600 से अधिक एलईए कर्मियों, न्यायिक अधिकारियों और अभियोजकों को साइबर अपराध जागरूकता, जांच, फोरेंसिक आदि पर प्रशिक्षण प्रदान किया गया है।
xi. हैदराबाद में राष्ट्रीय साइबर फोरेंसिक प्रयोगशाला (साक्ष्य) की स्थापना की गई है। इस प्रयोगशाला की स्थापना से साइबर अपराध से संबंधित साक्ष्य के मामलों में आवश्यक फोरेंसिक सहायता मिलती है और आईटी अधिनियम एवं साक्ष्य अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप साक्ष्य तथा इसके विश्लेषण को संरक्षित किया जाता है।
xii. साइबर अपराध पर जागरूकता फैलाने के लिए केंद्र सरकार ने कई कदम उठाए हैं जिसमें अन्य बातों के अलावा, एसएमएस, आई4सी सोशल मीडिया अकाउंट यानी एक्स (पूर्व में ट्विटर) (@साइबरदोस्त), फेसबुक (साइबरदोस्तआई4सी), इंस्टाग्राम (साइबरदोस्तआई4सी), टेलीग्राम (साइबरदोस्तआई4सी), रेडियो अभियान के जरिए संदेशों का प्रसार, कई माध्यमों में प्रचार के लिए माईगव को शामिल करना, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के सहयोग से साइबर सुरक्षा और सुरक्षा जागरूकता सप्ताह का आयोजन, किशोरों/छात्रों के लिए हैंडबुक का प्रकाशन आदि शामिल है। राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को भी साइबर सुरक्षा और सुरक्षा जागरूकता सप्ताह के आयोजन के लिए प्रोत्साहित किया गया है।
यह जानकारी गृह राज्य मंत्री श्री बंदी संजय कुमार ने राज्य सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।