फर्जी साइट के माध्यम से साइबर अपराध
भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार 'पुलिस' और 'सार्वजनिक व्यवस्था' राज्य के विषय हैं। राज्य/केंद्र शासित प्रदेश अपनी कानून प्रवर्तन एजेंसियों (एलईए) के माध्यम से फर्जी वेबसाइट के ज़रिए धोखाधड़ी सहित साइबर अपराधों की रोकथाम, पता लगाने, जांच और अभियोजन के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) अपने प्रकाशन "क्राइम इन इंडिया" में अपराधों पर सांख्यिकीय डेटा संकलित और प्रकाशित करता है। नवीनतम प्रकाशित रिपोर्ट वर्ष 2022 के लिए है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2020, 2021 और 2022 के दौरान साइबर अपराध के लिए धोखाधड़ी के अंतर्गत दर्ज मामले क्रमशः 10395, 14007 और 17470 हैं। फर्जी वेबसाइट के माध्यम से धोखाधड़ी के संबंध में विशिष्ट डेटा राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा अलग से नहीं रखा जाता है।
केंद्र सरकार अपनी कानून प्रवर्तन एजेंसियों (एलईए) की क्षमता निर्माण के लिए विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत परामर्श और वित्तीय सहायता के माध्यम से राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों की पहल को प्रोत्साहन प्रदान करती है।
केंद्र सरकार ने व्यापक और समन्वित रूप से साइबर अपराधों से निपटने के लिए व्यवस्था को मजबूत करने के लिए, साइबर अपराधों के बारे में जागरूकता फैलाने, अलर्ट/परामर्श जारी करने, कानून प्रवर्तन कर्मियों/अभियोजकों/न्यायिक अधिकारियों की क्षमता निर्माण/प्रशिक्षण, साइबर फोरेंसिक सुविधाओं में सुधार, आदि के लिए कदम उठाए हैं। सरकार ने देश में सभी प्रकार के साइबर अपराध से समन्वित और व्यापक रूप से निपटने के लिए एक संलग्न कार्यालय के रूप में 'भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र' (आई 4 सी) की स्थापना की है।
भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र' (आई 4 सी) के एक भाग के रूप में 'राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी)' (https://cybercrime.gov.in) शुरू किया गया है, ताकि जनता को विशेष रूप से सभी प्रकार के साइबर अपराधों से संबंधित घटनाओं, विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों के खिलाफ साइबर अपराधों पर ध्यान देकर, जानकारी प्रदान करने में सक्षम बनाया जा सके। इस पोर्टल पर रिपोर्ट की गई साइबर-अपराध की घटनाओं, उन्हें एफआईआर में बदलना और उसके बाद की कार्रवाई को कानून के प्रावधानों के अनुसार संबंधित राज्य/केंद्रशासित प्रदेश कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
संदिग्ध वेबसाइट यूनिफ़ॉर्म रिसोर्स लोकेटर (यूआरएल) का उपयोग करके साइबर अपराध करने के प्रयासों की त्वरित रिपोर्टिंग के लिए राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) पर 31.01.2024 से "रिपोर्ट संदिग्ध" सुविधा जोड़ी गई है। अब तक 5252 संदिग्ध यूनिफ़ॉर्म रिसोर्स लोकेटर (यूआरएल) सामने आए हैं। भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र' (आई 4 सी) समय-समय पर विश्लेषण करता है और संबंधित हितधारकों को आवश्यक परामर्श जारी करता है। जनता के लिए "संदिग्ध डेटा" श्रेणी के अंतर्गत किसी भी वेबसाइट की प्रामाणिकता की जांच करने के लिए राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) पर सुविधा जोड़ी गई है।
भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र' (आई 4 सी) ने 'डॉट इन' डोमेन के दुरुपयोग को रोकने के लिए भारतीय राष्ट्रीय इंटरनेट एक्सचेंज (एनआईएक्सआई) के साथ सहयोग किया है। अक्टूबर 2023 और मई 2024 के बीच, भारतीय राष्ट्रीय इंटरनेट एक्सचेंज (एनआईएक्सआई) की सहायता से 310 'दुर्भावनापूर्ण/फ़िशिंग' डोमेन को गैर-कार्यात्मक बना दिया गया है। भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र' (आई 4 सी) ने प्रौद्योगिकी-आधारित समाधान के माध्यम से इंटरनेट पर फ़िशिंग वेबसाइट का सक्रिय रूप से पता लगाने के लिए उद्योग के साथ भी सहयोग किया है। इसके अलावा, 91 फ़िशिंग/फर्जी वेबसाइटें और 379 अवैध ऋण/घोटालों को अंजाम दे रहे ऐप्स और वेबसाइट को संबंधित हितधारकों की मदद से भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र' (आई 4 सी) द्वारा गैर-कार्यात्मक बना दिया गया है।
वित्तीय धोखाधड़ी की तत्काल रिपोर्टिंग और धोखेबाजों द्वारा धन की हेराफेरी को रोकने के लिए भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र' (आई 4 सी) के अंतर्गत 'नागरिक वित्तीय साइबर धोखाधड़ी रिपोर्टिंग और प्रबंधन प्रणाली' शुरू की गई है। अब तक 7.6 लाख से अधिक शिकायतों के माध्यम से 2400 करोड़ रुपये से अधिक की वित्तीय राशि की बचत हुई है। ऑनलाइन साइबर शिकायतें दर्ज करने में सहायता प्रदान करने के लिए एक टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर '1930' चालू किया गया है।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री श्री बंदी संजय कुमार ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह बात कही।