कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय

किसानों पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव

भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने जलवायु अनुकूल कृषि में राष्ट्रीय नवाचार (एनआईसीआरए) नामक एक प्रमुख समग्र परियोजना शुरू की है। इस महत्वपूर्ण पहल का उद्देश्य फसलों, पशुधन, बागवानी और मत्स्यपालन सहित तमाम कृषि क्षेत्रों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का अध्ययन करना तथा कृषि में जलवायु अनुकूल प्रौद्योगिकियों को विकसित करना व बढ़ावा देना है। इससे देश के संवेदनशील क्षेत्रों की समस्या का समाधान हो सकेगा और परियोजना के परिणाम सूखा, बाढ़, पाला व गर्म हवाओं आदि जैसी चरम मौसमी परिस्थितियों से प्रभावित जिलों व क्षेत्रों को ऐसी चरम स्थितियों से निपटने में मदद करेंगे। आईसीएआर की प्रमुख उपलब्धियां इस प्रकार हैं:

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा पिछले 10 वर्षों (2014-2024) के दौरान कुल 2593 किस्में चिन्हित की गई हैं, इनमें से 2177 किस्में एक या एक से अधिक जैविक और/या अजैविक तनावों के प्रति सहनशील पाई गई हैं।

जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (आईपीसीसी) प्रोटोकॉल के अनुसार कृषि प्रधान 651 जिलों में जिला स्तर पर जलवायु परिवर्तन के जोखिम और संवेदनशीलता का आकलन किया जाता है। कुल 109 जिलों को ‘बहुत अधिक’ तथा 201 जिलों को ‘अत्यधिक’ संवेदनशील श्रेणी में रखा गया है।

इन 651 जिलों के लिए जिला कृषि आकस्मिकता योजनाएं (डीएसीपी) तैयार की गई हैं, जिनमें सूखा, बाढ़, बेमौसम बारिश एवं चरम मौसम की घटनाओं जैसे लू, शीत लहर, पाला, ओलावृष्टि तथा चक्रवात आदि के लिए तैयार किया गया है और राज्य के कृषि विभागों व किसानों द्वारा उपयोग के लिए स्थान-विशिष्ट जलवायु अनुकूल फसलों और किस्मों तथा प्रबंधन पद्धतियों की सिफारिश की गई है।

एनआईसीआरए के तहत जलवायु परिवर्तनशीलता के प्रति किसानों की लोच और अनुकूलन क्षमता को बढ़ाने के लिए “जलवायु लचीले गांवों” (सीआरवी) की अवधारणा शुरू की गई है।

किसानों द्वारा 151 जलवायु संवेदनशील जिलों के 448 सीआरवी में अपनाए जाने के लिए स्थान-विशिष्ट जलवायु लचीली प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन किया गया है।

आईसीएआर अपनी एनआईसीआरए परियोजना के माध्यम से किसानों के बीच कृषि में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के बारे में जागरूकता उत्पन्न करता है। जलवायु परिवर्तन के विभिन्न पहलुओं पर किसानों को शिक्षित करने के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, ताकि जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशील प्रौद्योगिकियों को व्यापक रूप से अपनाया जा सके। जलवायु संवेदनशील कृषि (सीआरए) प्रौद्योगिकी 28 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के 151 जिलों में 448 सीआरवी में कार्यान्वित की जा रही है।

सरकार ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (एनएमएसए) के माध्यम से कई पहल की हैं, जो जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपीसीसी) के अंतर्गत आने वाले मिशनों में शामिल हैं। इस मिशन का उद्देश्य भारतीय कृषि को बदलती जलवायु के प्रति अधिक लचीला बनाने के लिए रणनीति विकसित करना और उसे लागू करना है। किसानों की जागरूकता/क्षमता निर्माण एनएमएसए रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

प्रारंभ में एनएमएसए को तीन प्रमुख घटकों के लिए अनुमोदित किया गया था, जिनमें वर्षा आधारित क्षेत्र विकास (आरएडी), खेत पर जल प्रबंधन (ओएफडब्ल्यूएम) और मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन (एसएचएम) शामिल थे। इसके बाद, मृदा स्वास्थ्य कार्ड (एसएचसी), परम्परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई), पूर्वोत्तर क्षेत्र में जैविक मूल्य श्रृंखला विकास मिशन (एमओवीसीडीएनईआर), प्रति बूंद अधिक फसल, राष्ट्रीय बांस मिशन (एनबीएम) आदि जैसे नए कार्यक्रम भी शामिल किए गए।

यह जानकारी केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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Journalist Anil Prabhakar

Editor UPVIRAL24 NEWS