पिछले दशक में आयातित कोयले की हिस्सेदारी में रिकॉर्ड गिरावट

पिछले दशक में आयातित कोयले की हिस्सेदारी में रिकॉर्ड गिरावट

भारत वैश्विक स्तर पर पाँचवें सबसे बड़े कोयला भंडार से संपन्न है और कोयले का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है, जिसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था से गति मिली है।

कुल मिलाकर कोयला खपत परिदृश्य में, हमारे भंडारों में कोकिंग कोल और उच्च श्रेणी के थर्मल कोयले की अनुपलब्धता के कारण स्टील जैसे उद्योगों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए आयात की आवश्यकता होती है। हालाँकि, घरेलू स्तर पर मध्यम और निम्न श्रेणी के थर्मल कोयले प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं, जिससे देश की घरेलू माँग को पूरा करने के लिए पर्याप्त उत्पादन करना अनिवार्य हो जाता है।

पिछले एक दशक में, कोयला उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए किए गए ठोस प्रयासों से सकारात्मक रुझान देखने को मिले हैं। उल्लेखनीय है कि वित्त वर्ष 2004-05 से वित्त वर्ष 2013-14 तक, कोयला उत्पादन की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) केवल 4.44% रही, जबकि वित्त वर्ष 2014-15 से वित्त वर्ष 2023-24 तक यह दर बढ़कर लगभग 5.63% हो गयी।


इसके अतिरिक्त, वित्त वर्ष 2004-05 से वित्त वर्ष 2013-14 तक कोयला आयात का सीएजीआर उल्लेखनीय रूप से 21.48% रहा, जबकि वित्त वर्ष 2014-15 से वित्त वर्ष 2023-24 तक कोयला आयात का सीएजीआर केवल 2.49% रहा है।


इसके अलावा, वित्त वर्ष 2004-05 से 2013-14 की अवधि के दौरान आयातित कोयले की हिस्सेदारी का सीएजीआर 13.94% रहा, जबकि यह आंकड़ा कम होकर लगभग -2.29% हो गया।


स्वदेशी कोयला संसाधनों को अनुकूल बनाने और नवीन तकनीकी समाधानों का लाभ उठाने पर रणनीतिक ध्यान केंद्रित करने के साथ, भारत राष्ट्र की ऊर्जा सुरक्षा में आत्मनिर्भरता की ओर अपनी यात्रा जारी रखे हुए है।

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Journalist Anil Prabhakar

Editor UPVIRAL24 NEWS