रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने बेंगलुरु में आयोजित 'इंडिया मैन्युफैक्चरिंग शो' का उद्घाटन किया
"लघु उद्योग भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं"
उद्योग की सक्रिय भागीदारी के साथ, भारत जल्द ही 'आत्मनिर्भर' और वैश्विक विनिर्माण केंद्र बन जाएगा : श्री राजनाथ सिंह
रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने आज बेंगलुरु (कर्नाटक) में तीन दिवसीय 'इंडिया मैन्युफैक्चरिंग शो' का उद्घाटन किया। इस शो का लघु उद्योग भारती और आईएमएस फाउंडेशन द्वारा संयुक्त रूप से आयोजन किया गया है और यह रक्षा उत्पादन विभाग, रक्षा मंत्रालय द्वारा समर्थित है। इस आयोजन का केंद्रीय विषय 'मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड' है।
उद्घाटन समारोह में उपस्थित उद्योग जगत की हस्तियों और युवा उद्यमियों को संबोधित करते हुए, रक्षा मंत्री ने लघु उद्योगों को भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ बताते हुए कहा कि इनका राष्ट्र के विकास में बहुत बड़ा योगदान है। लघु उद्योग भारतीय अर्थव्यवस्था के मोटर हैं। मोटर जितनी तेज़ चलती है, अर्थव्यवस्था की गाड़ी भी उतनी ही तेज़ी से आगे बढ़ती है। उन्होंने अर्थव्यवस्था में स्थिरता को बनाए रखने के लिए छोटे उद्योगों को भी श्रेय दिया।
श्री राजनाथ सिंह ने इन उद्योगों द्वारा देश के सामाजिक-आर्थिक विकास में दिए गए महत्वपूर्ण योगदान पर भी प्रकाश डाला। किए गए निवेश की तुलना में, छोटे उद्योग ने बड़े उद्योगों की तुलना में अधिक रोजगार के अवसरों का सृजन किया है। ये समाज में धन का कहीं अधिक समान वितरण भी सुनिश्चित करते हैं। अनेक एमएसएमई निर्यात में अच्छा प्रदर्शन करके विश्व की सबसे बड़ी कंपनियों की वैश्विक आपूर्ति चेन का हिस्सा बन रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारी उद्योग भी राष्ट्र के विकास में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं, लेकिन छोटे उद्योगों को नजरअंदाज करके देश पूरी तरह से प्रगति नहीं कर सकता है।
श्री राजनाथ सिंह ने उस समय का स्मरण किया जब भारत को 'सोने की चिड़िया' कहा जाता था। इसका बड़ा कारण यह था कि गांवों और कस्बों में कई छोटे उद्योग थे, जो लोगों को रोजगार उपलब्ध कराते थे। उन्होंने कहा कि प्राचीनकाल में भारत में बड़े पैमाने के उद्योग नहीं थे, बल्कि छोटे उद्योग ही थे। कपड़ा, लोहा और जहाज निर्माण ही ऐसे तीन उद्योग थे, जिनके लिए भारत पूरी दुनिया में जाना जाता था। ये हमारी औद्योगिक क्षमता का प्रदर्शन भी करते थे।
श्री राजनाथ सिंह ने बड़े उद्योगों की तुलना में बड़ी आसानी से परिवर्तनों को अधिक आसानी से अपनाने के लिए छोटे उद्योगों की क्षमता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि यह छोटे उद्योगों की अनुकूलनता है जो नवाचार की संभावनाओं को बढ़ाती है। छोटे उद्योगों ने कई बार नए उत्पादों, सेवाओं और व्यवसाय मॉडल के मामले में बड़े उद्योगों की तुलना में अधिक नवाचार लाए हैं।
रक्षा मंत्री ने अर्थव्यवस्था के बारे में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के दर्शन का स्मरण किया जिसमें उन्होंने भारी उद्योगों की तुलना में छोटे उद्योगों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रोत्साहन देने की तरफदारी की है। इसका कारण यह है कि छोटे उद्योगों के स्थानीय समुदायों के साथ मजबूत संबंध हैं। उन्होंने कहा कि भले ही उनका उत्पादन स्तर छोटा हो, लेकिन वे स्थानीय जरूरतों के हिसाब से कहीं बेहतर हैं।
श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि बड़े उद्योग, जिनका आज वार्षिक टर्नओवर हजारों करोड़ रुपये है, कभी वे भी छोटे उद्योग ही थे। यह छोटे उद्योगों के महत्व को दर्शाता है। उन्होंने छोटे उद्योगों को औद्योगिक विकास का युवा बताते हुए कहा कि इनमें अधिक ऊर्जा, नवीनता और कुछ नया करने की क्षमता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि छोटे उद्योगों की ओर ध्यान आकर्षित करने का मतलब यह नहीं है कि भारी उद्योगों का महत्व नहीं है। उन्होंने दोनों के बीच के रिश्ते को सहजीवी बताते हुए कहा कि लाभ के लिए ये परस्पर एक-दूसरे पर निर्भर हैं।
उन्होंने एक ऐसे वर्ग के मत का उल्लेख किया जो यह मानता है कि निजी उद्योग स्वार्थी उद्देश्यों पर काम करते हैं। रक्षा मंत्री ने कहा कि हमें अर्थव्यवस्था की अवधारणा को समझने की जरूरत है। स्वार्थी उद्देश्य और लाभ के उद्देश्य के बीच एक महीन रेखा होती है। निजी उद्योगों का लाभ भारत के करोड़ों परिवारों तक पहुंचता है, जिससे इस देश की अर्थव्यवस्था गतिमान है। अगर निजी उद्योग लाभ के उद्देश्य से काम नहीं करेंगे तो वे देश की अर्थव्यवस्था में योगदान नहीं कर पायेंगे। लाभ स्वार्थी नहीं बल्कि लाभ तर्कसंगत लाभ होता है।
श्री राजनाथ सिंह ने सरकार द्वारा लघु उद्योगों को दिए जाने वाले महत्व पर जोर दिया और उनके कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए किए गए कई निर्णयों को भी सूचीबद्ध किया। इनमें 2015 में शुरू की गई मुद्रा योजना भी शामिल है, जिसके तहत एमएसएमई को बिना गारंटी के ऋण प्रदान करने का प्रावधान किया गया था। सरकार ने कोविड-19 महामारी के दौरान एमएसएमई के लिए करोड़ों रुपये के अतिरिक्त ऋण भी प्रदान किए हैं।
रक्षा मंत्री ने रक्षा क्षेत्र में एमएसएमई के लिए उठाए गए अभूतपूर्व कदमों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कियह ऐसी पहली सरकार हैं जिसने हथियारों के आयात के लिए अपने आप पर भी प्रतिबंध लगाए हैं। हमने पांच सकारात्मक स्वदेशीकरण सूचियां जारी कीं, जिसके तहत 509 उपकरणों की पहचान की गई है, जिनका अब भारत में निर्माण किया जाएगा। इसके अलावा, रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (डीपीएसयू) के लिए चार सकारात्मक स्वदेशीकरण सूचियां भी तैयार की गईं हैं, जिसके तहत 4,666 वस्तुओं की पहचान की गई, जिनका निर्माण देश में ही किया जाएगा। हमारे घरेलू उद्योगों के लिए पर्याप्त मांग आश्वासन सुनिश्चित करने के लिए, हमने रक्षा पूंजी अधिग्रहण बजट का 75 प्रतिशत आरक्षित किया है, जो लगभग एक लाख करोड़ रुपए है, जिसका उपयोग स्थानीय कंपनियों से खरीदारी करने के लिए निर्धारित किया गया है। ये कदम हमारे एमएसएमई को मजबूत बनाएंगे और उन्हें आत्मनिर्भर भी बनाएंगे।
श्री राजनाथ सिंह ने रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार (आईडीईएक्स) पहल का भी उल्लेख करते हुए कहा कि इसे स्टार्ट-अप और इनोवेटर्स के माध्यम से रक्षा विनिर्माण में नए विचारों को आमंत्रित करने के लिए शुरू किया गया था। उन्होंने कहा कि आईडीईएक्स प्राइम को रक्षा क्षेत्र में स्टार्ट-अप की मदद के लिए 1.5 करोड़ रुपये से 10 करोड़ रुपये तक की सहायता की आवश्यकता वाली परियोजनाओं का समर्थन करने के लिए लॉन्च किया गया था।
रक्षा मंत्री ने लघु उद्योग भारती को सरकार और उद्योग के बीच एक पुल बताते हुए कहा कि एक संस्था के रूप में, लघु उद्योग भारती को छोटे उद्योगों की समस्याओं के बारे में सरकार को अवगत कराना चाहिए। हम यथा शीघ्र समाधान ढूंढेंगे। इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है। सरकार और समाज को उद्योगों से कुछ अपेक्षाएं भी हैं। एक उद्योग संघ के रूप में, उसे अपेक्षाओं के अनुरूप काम करना चाहिए। उद्योग की जितनी जिम्मेदारी अपनी बैलेंस शीट और प्रॉफिट एंड लॉस स्टेटमेंट के प्रति है, उतनी ही जिम्मेदारी उसकी देश के प्रति भी है। आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आप उच्च गुणवत्ता और लागत प्रभावी उत्पादों को उपलब्ध कराएं। आपको सभी हितधारकों के हितों का भी ध्यान रखना चाहिए। पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए स्वच्छ प्रौद्योगिकियों के उपयोग को बढ़ावा देना चाहिए।
श्री राजनाथ सिंह ने इस बात की सराहना की कि लघु उद्योग भारती के माध्यम से देश के छोटे उद्योग आज अच्छी प्रगति कर रहे हैं। उन्होंने यह विश्वास भी जताया कि अगर उद्योग कड़ी मेहनत और समर्पण भाव के साथ आगे बढ़ते रहेंगे तो आने वाले समय में भारत आत्मनिर्भर और वैश्विक विनिर्माण केंद्र बन जाएगा।
इस अवसर पर संसद सदस्य डॉ. सुधांशु त्रिवेदी और श्री तेजस्वी सूर्या, भारत फोर्ज लिमिटेड के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक श्री बाबा कल्याणी और एलएंडटी डिफेंस केकार्यकारी उपाध्यक्ष और प्रमुख श्री अरुण रामचंदानी उपस्थित थे।
'इंडिया मैन्युफैक्चरिंग शो' का छठा संस्करण प्रदर्शकों को एयरोस्पेस और रक्षा इंजीनियरिंग, ऑटोमेशन, रोबोटिक्स और ड्रोन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में अपनी प्रौद्योगिकियों, उपकरणों और अनुसंधान एवं विकास का प्रतिभागियों के सामने अपना प्रदर्शन करने के लिए एक मंच उपलब्ध कराएगा। इसका उद्देश्य अपने प्रतिभागियों के लिए व्यवसाय और ज्ञान साझा करने का अवसर प्रदान करते हुए सर्वोत्तम ज्ञान, सर्वोत्तम प्रौद्योगिकियों और सर्वोत्तम प्रथाओं को एक साथ लाना है।