81.35 करोड़ लाभार्थियों को पांच साल तक नि:शुल्क अनाज : कैबिनेट निर्णय
खाद्य एवं पोषण सुरक्षा के लिए ऐतिहासिक निर्णय : केंद्र पीएमजीकेएवाई के तहत खाद्य सब्सिडी पर अगले 5 वर्षों में लगभग 11.80 लाख करोड़ रुपए व्यय करेगा
पीएमजीकेएवाई : लगभग 11.80 लाख करोड़ रुपये की लागत से 81.35 करोड़ व्यक्तियों के लिए यह विश्व की सबसे बड़ी खाद्य सुरक्षा योजनाओं में से एक
निर्धनों और निर्बल वर्गों के लिए खाद्यान्न की पहुंच, सामर्थ्य और उपलब्धता बढ़ाने के लिए पीएमजीकेएवाई के तहत पांच वर्षों तक नि:शुल्क खाद्यान्न जारी रहेगा
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने निर्णय लिया है कि केंद्र सरकार 1 जनवरी, 2024 से पांच वर्ष की अवधि के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के तहत लगभग 81.35 करोड़ लाभार्थियों को नि:शुल्क खाद्यान्न उपलब्ध कराएगी।
यह एक ऐतिहासिक निर्णय है जो पीएमजीकेएवाई को विश्व की सबसे बड़ी सामाजिक कल्याण योजनाओं में शामिल करता है, जिसका उद्देश्य 5 वर्ष की अवधि में 11.80 लाख करोड़ रुपये की अनुमानित लागत पर 81.35 करोड़ व्यक्तियों के लिए भोजन और पोषण संबंधी सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
यह निर्णय जनसंख्या की बुनियादी भोजन और पोषण आवश्यकताओं की पूर्ति के माध्यम से कुशल और लक्षित कल्याण की दिशा में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाता है। अमृत काल के दौरान इस व्यापक स्तर पर खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना एक आकांक्षी और विकसित भारत के निर्माण की दिशा में समर्पित प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
1 जनवरी, 2024 से 5 वर्षों के लिए पीएमजीकेएवाई के तहत नि:शुल्क खाद्यान्न (चावल, गेहूं और मोटा अनाज/पोषक अनाज) खाद्य सुरक्षा को सुदृढ़ बनाएगा और जनसंख्या के निर्धन और निर्बल वर्गों की किसी भी वित्तीय कठिनाई में कमी लाएगा। यह एक समान लोगो के तहत 5 लाख से अधिक उचित मूल्य की दुकानों के नेटवर्क के माध्यम से सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में नि:शुल्क खाद्यान्न वितरण में राष्ट्रव्यापी एकरूपता प्रदान करेगा।
यह ओएनओआरसी-वन नेशन वन राशन कार्ड पहल के तहत लाभार्थियों को देश में किसी भी उचित मूल्य की दुकान से नि:शुल्क खाद्यान्न उठाने की अनुमति देने के जरिए जीवन को सुगम बनाने में भी सक्षम बनाएगा। यह पहल प्रवासियों के लिए बहुत लाभप्रद है, जो डिजिटल इंडिया के तहत प्रौद्योगिकी आधारित सुधारों के हिस्से के रूप में अधिकारों की इंट्रा और इंटर स्टेट पोर्टेबिलिटी दोनों की सुविधा प्रदान करती है। नि:शुल्क खाद्यान्न एक साथ पूरे देश में वन नेशन वन राशन कार्ड (ओएनओआरसी) के तहत पोर्टेबिलिटी के समान कार्यान्वयन को सुनिश्चित करेगा और इस पसंद-आधारित प्लेटफॉर्म को और सुदृढ़ करेगा।
पीएमजीकेएवाई के तहत खाद्यान्न वितरण के लिए पांच वर्षों के लिए अनुमानित खाद्य सब्सिडी 11.80 लाख करोड़ रूपए की होगी। इस प्रकार, केंद्र लक्षित आबादी को नि:शुल्क खाद्यान्न उपलब्ध कराने के लिए पीएमजीकेएवाई के तहत खाद्य सब्सिडी के रूप में अगले पांच वर्षों की अवधि के दौरान लगभग 11.80 लाख करोड़ रूपए व्यय करेगा।
1 जनवरी 2024 से पांच वर्षों के लिए पीएमजीकेएवाई के तहत नि:शुल्क खाद्यान्न का प्रावधान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की राष्ट्रीय खाद्य और पोषण सुरक्षा पर ध्यान देने की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता और दूरदृष्टि को दर्शाता है। नि:शुल्क खाद्यान्न का प्रावधान समाज के प्रभावित वर्ग की किसी भी वित्तीय कठिनाई को स्थायी तरीके से कम करेगा और लाभार्थियों के लिए शून्य लागत के साथ दीर्घकालिक मूल्य निर्धारण कार्यनीति सुनिश्चित करेगा जो सार्वजनिक वितरण प्रणाली की प्रभावी पैठ के लिए महत्वपूर्ण है।
उदाहरण के लिए, एक अंत्योदय परिवार के लिए 35 किलो चावल की आर्थिक लागत 1371 रुपए है, जबकि 35 किलो गेहूं की कीमत 946 रूपए है, जो पीएमजीकेएवाई के तहत भारत सरकार द्वारा वहन की जाती है और परिवारों को खाद्यान्न पूरी तरह से नि:शुल्क प्रदान किया जाता है। इस प्रकार, नि:शुल्क खाद्यान्न के कारण राशन कार्ड धारकों को होने वाली मासिक बचत महत्वपूर्ण है।
भारत सरकार की राष्ट्र के नागरिकों के लिए पर्याप्त मात्रा में गुणवत्ता वाले खाद्यान्न की उपलब्धता के माध्यम से उन्हें भोजन और पोषण संबंधी सुरक्षा तक पहुंच सुनिश्चित करके एक सम्मानजनक जीवन उपलब्ध कराने की प्रतिबद्धता है। यह योजना पीएमजीकेएवाई के तहत कवर किए गए 81.35 करोड़ व्यक्तियों के लिए भारत सरकार की प्रतिबद्धता को पूरा करने में योगदान देगी।
लाभार्थियों के कल्याण को ध्यान में रखते हुए और लक्षित आबादी के लिए खाद्यान्न की पहुंच, सामर्थ्य और उपलब्धता के संदर्भ में खाद्य सुरक्षा को सुदृढ़ बनाने और राज्यों में एकरूपता बनाए रखने के लिए, पीएमजीकेएवाई के तहत पांच वर्ष तक निःशुल्क खाद्यान्न की उपलब्धता जारी रखने का निर्णय लिया गया है। ।
यह एक ऐतिहासिक निर्णय है जो प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की देश में खाद्य और पोषण संबंधी सुरक्षा सुदृढ़ बनाने की दिशा में समर्पण और प्रतिबद्धता को दर्शाता है।