पीएम विश्वकर्मा योजना की मुख्य विशेषताएं और दिशानिर्देश
प्रधानमंत्री ने 17 सितंबर, 2023 को केंद्रीय पीएम विश्वकर्मा योजना शुरू की थी जिसका उद्देश्य अपने हाथों और औजारों की मदद से काम करने वाले कारीगरों और शिल्पकारों को शुरू से अंत तक सहायता प्रदान करना है। इस योजना में 18 व्यवसायों जैसे (i) बढ़ई; (ii) नाव निर्माता; (iii) हथियार निर्माता; (iv) लोहार; (v) हथौड़ा और टूल किट निर्माता; (vi) ताला बनाने वाला; (vii) सोनार; (viii) कुम्हार; (ix) मूर्तिकार (मूर्तिकार, पत्थर तराशने वाला), पत्थर तोड़ने वाला; (x) मोची/जूता कारीगर; (xi) राजमिस्त्री; (xii) टोकरी/चटाई/झाड़ू निर्माता/कॉयर बुनकर; (xiii) गुड़िया और खिलौना निर्माता (पारंपरिक); (xiv) नाई; (xv) माला बनाने वाला; (xvi) धोबी; (xvii) दर्जी; और (xviii) मछली पकड़ने का जाल निर्माण में लगे कारीगरों और शिल्पकारों को शामिल किया गया है।
इस योजना के तहत कारीगरों और शिल्पकारों को निम्नलिखित लाभ प्रदान करने की व्यवस्था की गई है:
(i) पहचान: पीएम विश्वकर्मा प्रमाण पत्र और आईडी कार्ड के माध्यम से कारीगरों और शिल्पकारों की पहचान।
(ii) कौशल उन्नयन: 500 रुपये प्रति दिन के वजीफे के साथ 5-7 दिनों का बुनियादी प्रशिक्षण और 15 दिनों या उससे अधिक का उन्नत प्रशिक्षण।
(iii) टूलकिट प्रोत्साहन: बुनियादी कौशल प्रशिक्षण की शुरुआत में ई-वाउचर के रूप में 15,000 रु. रुपये तक का टूलकिट प्रोत्साहन।
(iv) कर्ज सहायता: बिना कुछ गिरवी रखे 'उद्यम विकास ऋण' के रूप में तीन लाख रुपए तक का ऋण एक लाख और दो लाख रुपए के दो किश्तों में क्रमशः 18 महीने और 30 महीने की अवधि के लिए 5 प्रतिशत निर्धारित रियायती ब्याज दर पर भारत सरकार द्वारा 8 प्रतिशत की सीमा तक छूट के साथ प्रदान किया जाएगा । जिन लाभार्थियों ने बुनियादी प्रशिक्षण पूरा कर लिया है, वे एक लाख रुपये तक की ऋण सहायता की पहली किश्त का लाभ उठाने के पात्र होंगे। दूसरी ऋण किश्त उन लाभार्थियों के लिए उपलब्ध होगी जिन्होंने पहली किश्त का लाभ उठाया है और एक मानक ऋण खाता बनाए रखा है और अपने व्यवसाय में डिजिटल लेनदेन को अपनाया है या उन्नत प्रशिक्षण प्राप्त किया है।
(v) डिजिटल लेनदेन के लिए प्रोत्साहन: प्रत्येक डिजिटल भुगतान या रसीद के लिए प्रति डिजिटल लेनदेन एक रुपये की राशि के हिसाब से अधिकतम 100 लेनदेन मासिक तक लाभार्थी के खाते में जमा किया जाएगा।
(vi) विपणन सहायता: मूल्य श्रृंखला से जुड़ाव में सुधार के लिए कारीगरों और शिल्पकारों को गुणवत्ता प्रमाणन, ब्रांडिंग, जीईएम जैसे ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों पर मौजूदगी, विज्ञापन, प्रचार और अन्य विपणन गतिविधियों के रूप में विपणन सहायता प्रदान की जाएगी।
उपर्युक्त लाभों के अलावा, यह योजना लाभार्थियों को औपचारिक एमएसएमई परितंत्र में 'उद्यमियों' के रूप में उदयम असिस्ट प्लेटफॉर्म पर शामिल करेगी।
लाभार्थियों का नामांकन पीएम विश्वकर्मा पोर्टल पर आधार-आधारित बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण के साथ सामान्य सेवा केंद्रों के माध्यम से किया जाएगा। लाभार्थियों के नामांकन के बाद तीन-चरणों में सत्यापन किया जाएगा जिसमें (i) ग्राम पंचायत/यूएलबी स्तर पर सत्यापन, (ii) जिला कार्यान्वयन समिति द्वारा जांच और सिफारिश (iii) स्क्रीनिंग समिति द्वारा अनुमोदन शामिल होगा।