शिक्षा और स्वास्थ्य का व्यवसायीकरण कभी समाज के हित में नहीं : उपराष्ट्रपति
आज भारत का डंका पूरे विश्व में बज रहा है - उपराष्ट्रपति
सत्ता के सभी केंद्र भ्रष्ट तत्वों और बिचौलियों से मुक्त कर दिए गए हैं - उपराष्ट्रपति
भारत की तरक्की देखकर कुछ लोगों का हाजमा खराब हो जाता है - उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति ने राष्ट्र निर्माण में किसानों के योगदान की सराहना की, कहा "किसान ने सब कुछ सहकर भी भारत की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की है"
उपराष्ट्रपति ने कृषि क्षेत्र में अनुसंधान की आवश्यकता पर बल दिया
उपराष्ट्रपति ने श्री कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय, जोबनेर के 11वें स्थापना दिवस समारोह में शामिल हुए
कहा रावल नरेन्द्र सिंह हमारे लिए आदर्श हैं, हम सब उनके ऋणी हैं
उपराष्ट्रपति, श्री जगदीप धनखड़ ने आज राजस्थान के जोबनेर में श्री कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय के 11वें स्थापना दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया। इस अवसर पर उन्होंने विश्विद्यालय में आयोजित कृषि प्रदर्शनी का अवलोकन किया और विश्वविद्यालय की नयी वेबसाइट को लांच किया।
उपस्थित छात्र समूह व शिक्षकों को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति जी ने इस कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना में 11 सौ बीघा जमीन दान देकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले रावल नरेन्द्र सिंह जी की भूरि-भूरि प्रशंसा की। उपराष्ट्रपति ने कहा कि उनका यह कार्य भारतीय संस्कृति के मूल सिद्धांतों के अनुरूप था, वे हमारे लिए एक आदर्श हैं, हम सब उनके ऋणी हैं।
श्री धनखड़ ने कहा की भारत में पहले शिक्षा और स्वास्थ्य को व्यवसाय नहीं माना जाता था लेकिन अब स्थिति बदल गयी है। उन्होंने जोर दिया कि शिक्षा और स्वास्थ्य का व्यवसायीकरण कभी समाज के हित में नहीं हो सकता। इस संदर्भ में उपराष्ट्रपति जी ने नई शिक्षा नीति का जिक्र करते हुए कहा कि व्यापक मंथन के बाद तैयार की गयी इस नीति से स्थिति में बदलाव आयेगा।
उन्होंने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि मेरे सामने वो युवा बैठे हैं जो भारत को 2047 में नंबर वन देश बनाएंगे।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि आज भारत का डंका पूरे विश्व मे बज रहा है। एक समय था कि हमारे पास मुश्किल से पंद्रह दिन के आयात लायक विदेशी मुद्रा बची थी और सोने की चिड़िया कहे जाने वाले इस देश का सोना जहाज के द्वारा विदेश भेजना पड़ा था। लेकिन आज हमारा विदेशी मुद्रा भंडार 600 बिलियन डॉलर से ऊपर है। उन्होंने आगे कहा कि दस वर्ष पूर्व हमें विश्व की पांच कमजोर अर्थव्यवस्थाओं (fragile five) में गिना जाता था और आज हम विश्व की पांच सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक हैं।
देश मे पारदर्शिता बढ़ाने के प्रयासों की सराहना करते हुए श्री धनखड़ ने कहा कि "पहले जो सरकारी राहत मिलती थी उसे बिचौलिए चाट जाते थे, बिचौलियों के बीमा काम नही होता था, लेकिन आज वे बिचौलिए कहाँ गए? सत्ता के सभी केंद्र इन भ्रष्ट तत्वों से मुक्त कर दिए गए हैं।"
उपराष्ट्रपति ने आगे कहा कि भारत की तरक्की देखकर कुछ लोगों का हाजमा खराब हो जाता है और वे देश के बारे में उल्टी सीधी बातें करने लगते हैं।
श्री धनखड़ ने कहा कि आज 11 करोड़ किसानों को साल में तीन बार धनराशि भेजी जाती है और खुशी इस बात की है कि लेने वाला भी तकनीकी रूप से पूरी तरह सक्षम है। राष्ट्र निर्माण में किसानों के योगदान की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि किसान ने सब कुछ सहकर भी भारत की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की है। एक दौर था जब अमेरिका से PL 480 के जरिये हमें खाद्यान्न मिलते थे।
भारत के विकास में कृषि के महत्व को रेखांकित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि देश मे बड़ा बदलाव किसान की तरफ से ही आएगा। उन्होंने इस बात और भी बल दिया कि कृषि के अंदर अनुसंधान की जितनी आवश्यकता है उतनी किसी और क्षेत्र में नहीं।
डॉ. (श्रीमती) सुदेश धनखड़, श्री लालचंद कटारिया, कृषि मंत्री, राजस्थान सरकार, कर्नल राज्यवर्धन राठौड़, सांसद जयपुर (ग्रामीण), श्री बलराज सिंह, उप-कुलपति, श्री कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय, शिक्षकगण, छात्र व अन्य उपस्थित रहे।