देश में चीनी की पर्याप्त उपलब्धता : केंद्र
चीनी की अंतर्राष्ट्रीय कीमतों में रिकॉर्ड बढोतरी के बावजूद देश में चीनी की खुदरा कीमतें स्थिर
पिछले 5 वर्षों में केंद्र के हस्तक्षेप के कारण, चीनी क्षेत्र आत्मनिर्भर हो गया है
भारत सरकार ने देश में चीनी की खुदरा कीमतों को सफलतापूर्वक स्थिर बनाये रखा है। हालांकि चीनी की अंतर्राष्ट्रीय कीमतें अप्रैल-मई 2023 में एक दशक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई हैं, चीनी की घरेलू कीमतों में लगभग 3 प्रतिशत की मामूली मुद्रास्फीति है जो गन्ने के उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) में वृद्धि के अनुरुप है।
वास्तव में, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चीनी की कीमतें भारत की तुलना में लगभग 50 प्रतिशत अधिक हैं। देश में चीनी की औसत खुदरा कीमत लगभग 43 रुपये प्रति किलोग्राम है और इसके सीमित दायरे में ही बने रहने की संभावना है। वास्तव में, नीचे दिए गए चार्ट से पता चलता है कि पिछले 10 वर्षों में चीनी की कीमतों में देश में 2 प्रतिशत से भी कम की वार्षिक मुद्रास्फीति रही है। व्यावहारिक सरकारी नीतिगत हस्तक्षेपों के परिणामस्वरूप, चीनी की घरेलू कीमतों को थोड़ी वृद्धि के साथ स्थिर रखा गया है।
ठीक समय पर सरकार द्वारा कदम उठाये जाने से चीनी सेक्टर खतरे के बाहर आ गया है। चीनी सेक्टर के मजबूत बुनियादी कारकों और देश में गन्ने तथा चीनी के पर्याप्त से अधिक उत्पादन ने यह सुनिश्चित किया है कि चीनी तक प्रत्येक भारतीय उपभोक्ता की पहुंच सरल बनी रहे।
चालू चीनी सीजन (अक्टूबर-सितंबर) 2022-23 के दौरान, भारत में इथेनॉल उत्पादन के लिए लगभग 43 एलएमटी के डायवर्जन के बाद 330 एलएमटी चीनी का उत्पादन होने का अनुमान है। इस प्रकार, देश में सुक्रोज का कुल उत्पादन लगभग 373 एलएमटी होगा जोकि पिछले पांच वर्षों में दूसरा सबसे अधिक है। इसके अतिरिक्त, पिछले 10 वर्षों में चीनी के उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। बहरहाल, उपभोग उसी अनुपात में नहीं बढ़ा है, जिसके कारण किसी भी अप्रत्याशित स्थिति के लिए पर्याप्त स्टॉक की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है।
जुलाई, 2023 के अंत में, भारत के पास लगभग 108 एलएमटी का चीनी का स्टॉक है जो 2022-23 के चालू चीनी सीजन के बचे हुए महीनों के लिए और सीजन के अंत में लगभग 62 एलएमटी के इष्टतम स्टॉक के लिए भी घरेलू मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त है। इस प्रकार, घरेलू उपभोक्ताओं के लिए पूरे वर्ष उचित मूल्य पर पर्याप्त चीनी उपलब्ध है।
इसके अतिरिक्त, उचित और लाभकारी मूल्य के साथ-साथ चीनी मिलों द्वारा समय पर भुगतान सुनिश्चित करने तथा चीनी मिलों द्वारा समय पर उनके भुगतान के जरिये गन्ना किसानों के हितों पर भी ध्यान दिया जा रहा है। 2021-22 तक के चीनी सीजन के लिए गन्ना किसानों का 99.9 प्रतिशत गन्ना बकाया चीनी मिलों द्वारा पहले ही चुकाया जा चुका है। यहां तक कि 2022-23 के चालू चीनी सीजन के लिए भी, 1.05 लाख करोड़ रुपये से अधिक के भुगतान के साथ, अब तक लगभग 93 प्रतिशत गन्ने का बकाया भुगतान पहले ही चुकाया जा चुका है।
इस प्रकार, भारत सरकार द्वारा अपनी उचित नीतियों, स्थिर कीमतों और किसानों को गन्ना बकाया का समय पर भुगतान के साथ चीनी सेक्टर में सुधार करके सभी तीन प्रमुख हितधारकों- उपभोक्ताओं, किसानों एवं चीनी मिलों के हितों की रक्षा की गई है।