एसएनसीयू में नवजात को मिल रहा जीवनदान
गंभीर हालत में आने वाले बच्चों की हालत में हो रहा सुधार
जालौन : केस 1- राजेंद्रनगर की पूजा ने एक निजी अस्पताल में बेटे को 9 जून को जन्म दिया था। बेटे के पेट में संक्रमण के चलते उसे उल्टियां हो रही थी। वहां से उसे रेफर कर दिया है। वह 12 जून को एसएनसीयू में पहुंची। बच्चा 21 जून तक भर्ती रहा। जहां से पूरी तरह स्वस्थ होने पर उसे डिस्चार्ज कर दिया गया।
केस-2-कुठौंद की पूजा ने सरकारी अस्पताल में 28 मई को बेटी को जन्म दिया था। जन्म के वक्त उसका वजन सिर्फ एक किलोग्राम था। कम वजन के कारण चिकित्सक ने बेटी को एसएनसीयू में भर्ती कराने की सलाह दी। एसएनसीयू में 19 दिन तक बेटी का इलाज चला। 300 ग्राम वजन बढ़ने पर उसे डिस्चार्ज कर दिया गया।
ऐसे एक दो नहीं बल्कि कई बच्चे है। जो जिला महिला अस्पताल में संचालित सिक न्यू बोर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) में इलाज के बाद ठीक हो रहे हैं। एसएनसीयू के प्रभारी डॉ. एसके पाल बताते है कि एसएनसीयू वार्ड में गंभीर हालत में नवजात बच्चे भर्ती किए जाते है। जो उचित देखभाल के बाद ठीक हो जाते हैं। एसएनसीयू में नवजात बच्चों के लिए 12 बेड आरक्षित है। जबकि एसएनसीयू से जुड़ा कंगारु केयर मदर (केएमसी) वार्ड में भी छह बेड आरक्षित है। एसएनसीयू में तीन चिकित्सक और 11 नर्स की भी तैनाती है। जो शिफ्ट वार ड्यूटी करते हैं।
एसएनसीयू में तैनात चिकित्सक डॉ. अंकित गुप्ता का कहना है कि एसएनसीयू में गंभीर हालत में कम वजन वाले, संक्रमण वाले, पीलिया, आंतों में संक्रमण के कारण हरी उल्टियां होना जैसी बीमारी से पीड़ित नवजात भर्ती होते हैं। जिन्हें इलाज के बाद ठीक किया जाता है। जिला महिला अस्पताल की मुख्य चिकित्सा अधीक्षिका डॉ. सुनीता बनौधा का कहना है कि एसएनसीयू में सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में जन्म लेने वाले बच्चे भर्ती किए जाते हैं।
एसएनसीयू में भर्ती नवजात बच्चों का ब्योरा
वर्ष भर्ती बच्चे ठीक हुए बच्चे
2020 1190 955
2021 1158 947
2022 1266 1087
2023 383 354
-नोट-यह आंकड़े 20 जून 2023 तक के हैं।
सीएमओ ने संतुष्टि जताई
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. नरेंद्र देव शर्मा ने भी एसएनसीयू वार्ड का निरीक्षण किया और नवजात को दी जा रही बेहतर सेवाओं पर संतुष्टि जताई है।