विश्व नर्सेस डे (12 मई) पर विशेष

विश्व नर्सेस डे (12 मई) पर विशेष  शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है नर्स  जालौन, 11 मई 2022। मरीज की शारीरिक, मानसिक इलाज के साथ भावनात्मक इलाज में नर्स की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। वह मरीज, डाक्टर और तीमारदार के बीच में महत्वपूर्ण कड़ी के रुप में काम करती है। पेशेवर डाक्टर जब दूसरे काम में व्यस्त होते है तो नर्स ही मरीज के प्रति अपनी पूरी जिम्मेदारी निभाती है। नर्स मरीज को बीमारी से लड़ने और स्वस्थ रहने के लिए प्रेरित करती है। मरीजों के प्रति उनकी सेवा, साहस और सराहनीय कार्यों के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से साल 12 मई 1974 के दिन पहली बार अंतर्राष्ट्रीय नर्सिंग दिवस मनाया गया था। यह दिवस नर्स फ्लोरेंस नाइटिंगेल के जन्मदिन यानी 12 मई के दिन मनाया जाता है। जिले में 47 नियमित और80 संविदा स्टाफ नर्स तैनात है।    घर और नौकरी में सामंजस्य बैठाकर काम कर रही सत्यवती    कोंच सीएचसी में तैनात स्टाफ नर्स सत्यवती वर्ष 2014 में स्वास्थ्य सेवा में है। वह परिवार और नौकरी में सामंजस्य बैठाकर काम कर रही है। लेवर रूम में उनकी ड्यूटी लगी रहती है। जिसमें वह प्रसव के लिए आई गर्भवती की पूरे सेवाभाव के साथ मदद करती है। अप्रैल में उन्होंने बेटे को जन्म दिया। छह महीने के मैटरनिटी लीव के बाद मासूम बेटे अयांश के साथ नौकरी करने पहुंची तो शुरूआत में दिक्कत हुई लेकिन स्टाफ ने उनकी मजबूरी समझी तो उनका सहयोग करना शुरू कर दिया। पिछले सात महीने से वह अपने बेटे के साथ नौकरी कर रही है। वह बताती है कि पति खेती किसानी से जुड़े है लेकिन उनकी ड्यूटी भी जरूरी है। इसलिए वह बेटे के साथ नौकरी पर आती है। कई बार अधिकारी उन्हें बेटे के साथ काम करते देखकर शाबाशी दे चुके है और उन्हें शिद्दत के साथ काम करने के लिए सम्मानित करने की बात कह चुके है। सत्यवती को कोरोना और कायाकल्प में अच्छे काम के लिए सम्मानित किया जा चुका है। सीएचसी के अधीक्षक दिनेश वरदिया का कहना है कि सत्यवती का काम बहुत अच्छा है। सत्यवती का मरीजों के साथ सामंजस्य ठीक है। हर मरीज उनसे संतुष्ट होकर जाता है। वह सत्यवती को सम्मानित करने के लिए संस्तुति करेंगे। सत्यवती बताती है कि एक बार नदीगांव से उच्च जोखिम गर्भावस्था वाला केस महिला अस्पताल के लिए रेफर किया गया था। उन्होंने कोंच सीएचसी में ही उसका सुरक्षित प्रसव कराया।    स्लिम एरिया में स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ावा दे रही उमा    नगरीय पीएचसी जालौन में तैनात स्टाफ नर्स उमा देवी वर्ष 2014 से स्वास्थ्य विभाग में सेवारत है। उमा बताती है कि उनकी सास निर्मला देवी भी स्वास्थ्य विभाग में नौकरी करती थी। वह कुठौंद पीएचसी में तैनात थी। उन्होंने अपनी इच्छा अपनी सास को बताई तो सास ने पहले उन्हें नर्सिंग की ट्रेनिंग कराई। इसके बाद उनकी जॉब भी गई। पहली तैनात उमरारखेरा पीएचसी में हुई। इसके बाद उनका स्थानांतरण स्लिम एरिया स्थित हरीपुरा पीएचसी में हो गया। उमा ने यहां आकर परिवार नियोजन की सेवाओं को बढ़ावा दिया। टीकाकरण हो या अन्य सेवाएं, सभी में बखूबी काम किया। जिसकी समय समय पर अधिकारियों ने सराहना की। अंतरा, आईयूसीडी जैसी अस्थायी परिवार नियोजन सेवाओं को बढ़ावा दिया। उमा बताती है कि उनके पति बिजनेसमैन है। जबकि दो बच्चे है। वह स्वास्थ्य विभाग की सेवा को अच्छा काम मानती है और कहती है कि वह अपने बच्चों को भी इसी पेशे में लाना चाहती है। एसीएमओ डॉ एसडी चौधरी भी कई बार उनकी सराहना कर चुके हैं। अंतरा लगवाने वाली एक लाभार्थी ने बताया कि अंतरा लगवाने के बाद उन्हें दिक्कत होने लगी थी। जब उन्हें स्टाफ नर्स को इस बारे में बताया तो उन्होंने उसके घर आकर उनकी काउंसलिंग की। साथ ही अगले दिन अस्पताल बुलाकर डाक्टर से जांच कराकर परिवार नियोजन सेवाओं के लिए संतुष्ट किया।    इलाज में संवेदनापूर्ण व्यवहार जरूरी-चौधरी    अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी परिवार कल्याण डॉ एसडी चौधरी कहते हैं कि स्वास्थ्य सेवा में सभी स्टाफ अपनी जिम्मेदारी से काम करता है। मरीज के साथ संवेदनापूर्ण व्यवहार से इलाज करने से उन्हें बीमारी से लड़ने में मदद मिलती है। मां के गर्भ से निकलने के बाद बच्चा सबसे पहले नर्स के हाथ में ही आता है। नर्स उसके जन्म से लेकर उसके टीकाकरण तक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाती है। मां, बच्चे और मरीज की सेवा में नर्सों का काम सराहनीय है।
विश्व नर्सेस डे (12 मई) पर विशेष  शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है नर्स  जालौन, 11 मई 2022। मरीज की शारीरिक, मानसिक इलाज के साथ भावनात्मक इलाज में नर्स की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। वह मरीज, डाक्टर और तीमारदार के बीच में महत्वपूर्ण कड़ी के रुप में काम करती है। पेशेवर डाक्टर जब दूसरे काम में व्यस्त होते है तो नर्स ही मरीज के प्रति अपनी पूरी जिम्मेदारी निभाती है। नर्स मरीज को बीमारी से लड़ने और स्वस्थ रहने के लिए प्रेरित करती है। मरीजों के प्रति उनकी सेवा, साहस और सराहनीय कार्यों के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से साल 12 मई 1974 के दिन पहली बार अंतर्राष्ट्रीय नर्सिंग दिवस मनाया गया था। यह दिवस नर्स फ्लोरेंस नाइटिंगेल के जन्मदिन यानी 12 मई के दिन मनाया जाता है। जिले में 47 नियमित और80 संविदा स्टाफ नर्स तैनात है।    घर और नौकरी में सामंजस्य बैठाकर काम कर रही सत्यवती    कोंच सीएचसी में तैनात स्टाफ नर्स सत्यवती वर्ष 2014 में स्वास्थ्य सेवा में है। वह परिवार और नौकरी में सामंजस्य बैठाकर काम कर रही है। लेवर रूम में उनकी ड्यूटी लगी रहती है। जिसमें वह प्रसव के लिए आई गर्भवती की पूरे सेवाभाव के साथ मदद करती है। अप्रैल में उन्होंने बेटे को जन्म दिया। छह महीने के मैटरनिटी लीव के बाद मासूम बेटे अयांश के साथ नौकरी करने पहुंची तो शुरूआत में दिक्कत हुई लेकिन स्टाफ ने उनकी मजबूरी समझी तो उनका सहयोग करना शुरू कर दिया। पिछले सात महीने से वह अपने बेटे के साथ नौकरी कर रही है। वह बताती है कि पति खेती किसानी से जुड़े है लेकिन उनकी ड्यूटी भी जरूरी है। इसलिए वह बेटे के साथ नौकरी पर आती है। कई बार अधिकारी उन्हें बेटे के साथ काम करते देखकर शाबाशी दे चुके है और उन्हें शिद्दत के साथ काम करने के लिए सम्मानित करने की बात कह चुके है। सत्यवती को कोरोना और कायाकल्प में अच्छे काम के लिए सम्मानित किया जा चुका है। सीएचसी के अधीक्षक दिनेश वरदिया का कहना है कि सत्यवती का काम बहुत अच्छा है। सत्यवती का मरीजों के साथ सामंजस्य ठीक है। हर मरीज उनसे संतुष्ट होकर जाता है। वह सत्यवती को सम्मानित करने के लिए संस्तुति करेंगे। सत्यवती बताती है कि एक बार नदीगांव से उच्च जोखिम गर्भावस्था वाला केस महिला अस्पताल के लिए रेफर किया गया था। उन्होंने कोंच सीएचसी में ही उसका सुरक्षित प्रसव कराया।    स्लिम एरिया में स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ावा दे रही उमा    नगरीय पीएचसी जालौन में तैनात स्टाफ नर्स उमा देवी वर्ष 2014 से स्वास्थ्य विभाग में सेवारत है। उमा बताती है कि उनकी सास निर्मला देवी भी स्वास्थ्य विभाग में नौकरी करती थी। वह कुठौंद पीएचसी में तैनात थी। उन्होंने अपनी इच्छा अपनी सास को बताई तो सास ने पहले उन्हें नर्सिंग की ट्रेनिंग कराई। इसके बाद उनकी जॉब भी गई। पहली तैनात उमरारखेरा पीएचसी में हुई। इसके बाद उनका स्थानांतरण स्लिम एरिया स्थित हरीपुरा पीएचसी में हो गया। उमा ने यहां आकर परिवार नियोजन की सेवाओं को बढ़ावा दिया। टीकाकरण हो या अन्य सेवाएं, सभी में बखूबी काम किया। जिसकी समय समय पर अधिकारियों ने सराहना की। अंतरा, आईयूसीडी जैसी अस्थायी परिवार नियोजन सेवाओं को बढ़ावा दिया। उमा बताती है कि उनके पति बिजनेसमैन है। जबकि दो बच्चे है। वह स्वास्थ्य विभाग की सेवा को अच्छा काम मानती है और कहती है कि वह अपने बच्चों को भी इसी पेशे में लाना चाहती है। एसीएमओ डॉ एसडी चौधरी भी कई बार उनकी सराहना कर चुके हैं। अंतरा लगवाने वाली एक लाभार्थी ने बताया कि अंतरा लगवाने के बाद उन्हें दिक्कत होने लगी थी। जब उन्हें स्टाफ नर्स को इस बारे में बताया तो उन्होंने उसके घर आकर उनकी काउंसलिंग की। साथ ही अगले दिन अस्पताल बुलाकर डाक्टर से जांच कराकर परिवार नियोजन सेवाओं के लिए संतुष्ट किया।    इलाज में संवेदनापूर्ण व्यवहार जरूरी-चौधरी    अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी परिवार कल्याण डॉ एसडी चौधरी कहते हैं कि स्वास्थ्य सेवा में सभी स्टाफ अपनी जिम्मेदारी से काम करता है। मरीज के साथ संवेदनापूर्ण व्यवहार से इलाज करने से उन्हें बीमारी से लड़ने में मदद मिलती है। मां के गर्भ से निकलने के बाद बच्चा सबसे पहले नर्स के हाथ में ही आता है। नर्स उसके जन्म से लेकर उसके टीकाकरण तक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाती है। मां, बच्चे और मरीज की सेवा में नर्सों का काम सराहनीय है।

विश्व नर्सेस डे (12 मई) पर विशेष

शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है नर्स

जालौन, 11 मई 2022। मरीज की शारीरिक, मानसिक इलाज के साथ भावनात्मक इलाज में नर्स की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। वह मरीज, डाक्टर और तीमारदार के बीच में महत्वपूर्ण कड़ी के रुप में काम करती है। पेशेवर डाक्टर जब दूसरे काम में व्यस्त होते है तो नर्स ही मरीज के प्रति अपनी पूरी जिम्मेदारी निभाती है। नर्स मरीज को बीमारी से लड़ने और स्वस्थ रहने के लिए प्रेरित करती है। मरीजों के प्रति उनकी सेवा, साहस और सराहनीय कार्यों के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से साल 12 मई 1974 के दिन पहली बार अंतर्राष्ट्रीय नर्सिंग दिवस मनाया गया था। यह दिवस नर्स फ्लोरेंस नाइटिंगेल के जन्मदिन यानी 12 मई के दिन मनाया जाता है। जिले में 47 नियमित और80 संविदा स्टाफ नर्स तैनात है।


घर और नौकरी में सामंजस्य बैठाकर काम कर रही सत्यवती


कोंच सीएचसी में तैनात स्टाफ नर्स सत्यवती वर्ष 2014 में स्वास्थ्य सेवा में है। वह परिवार और नौकरी में सामंजस्य बैठाकर काम कर रही है। लेवर रूम में उनकी ड्यूटी लगी रहती है। जिसमें वह प्रसव के लिए आई गर्भवती की पूरे सेवाभाव के साथ मदद करती है। अप्रैल में उन्होंने बेटे को जन्म दिया। छह महीने के मैटरनिटी लीव के बाद मासूम बेटे अयांश के साथ नौकरी करने पहुंची तो शुरूआत में दिक्कत हुई लेकिन स्टाफ ने उनकी मजबूरी समझी तो उनका सहयोग करना शुरू कर दिया। पिछले सात महीने से वह अपने बेटे के साथ नौकरी कर रही है। वह बताती है कि पति खेती किसानी से जुड़े है लेकिन उनकी ड्यूटी भी जरूरी है। इसलिए वह बेटे के साथ नौकरी पर आती है। कई बार अधिकारी उन्हें बेटे के साथ काम करते देखकर शाबाशी दे चुके है और उन्हें शिद्दत के साथ काम करने के लिए सम्मानित करने की बात कह चुके है। सत्यवती को कोरोना और कायाकल्प में अच्छे काम के लिए सम्मानित किया जा चुका है। सीएचसी के अधीक्षक दिनेश वरदिया का कहना है कि सत्यवती का काम बहुत अच्छा है। सत्यवती का मरीजों के साथ सामंजस्य ठीक है। हर मरीज उनसे संतुष्ट होकर जाता है। वह सत्यवती को सम्मानित करने के लिए संस्तुति करेंगे। सत्यवती बताती है कि एक बार नदीगांव से उच्च जोखिम गर्भावस्था वाला केस महिला अस्पताल के लिए रेफर किया गया था। उन्होंने कोंच सीएचसी में ही उसका सुरक्षित प्रसव कराया।


स्लिम एरिया में स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ावा दे रही उमा


नगरीय पीएचसी जालौन में तैनात स्टाफ नर्स उमा देवी वर्ष 2014 से स्वास्थ्य विभाग में सेवारत है। उमा बताती है कि उनकी सास निर्मला देवी भी स्वास्थ्य विभाग में नौकरी करती थी। वह कुठौंद पीएचसी में तैनात थी। उन्होंने अपनी इच्छा अपनी सास को बताई तो सास ने पहले उन्हें नर्सिंग की ट्रेनिंग कराई। इसके बाद उनकी जॉब भी गई। पहली तैनात उमरारखेरा पीएचसी में हुई। इसके बाद उनका स्थानांतरण स्लिम एरिया स्थित हरीपुरा पीएचसी में हो गया। उमा ने यहां आकर परिवार नियोजन की सेवाओं को बढ़ावा दिया। टीकाकरण हो या अन्य सेवाएं, सभी में बखूबी काम किया। जिसकी समय समय पर अधिकारियों ने सराहना की। अंतरा, आईयूसीडी जैसी अस्थायी परिवार नियोजन सेवाओं को बढ़ावा दिया। उमा बताती है कि उनके पति बिजनेसमैन है। जबकि दो बच्चे है। वह स्वास्थ्य विभाग की सेवा को अच्छा काम मानती है और कहती है कि वह अपने बच्चों को भी इसी पेशे में लाना चाहती है। एसीएमओ डॉ एसडी चौधरी भी कई बार उनकी सराहना कर चुके हैं। अंतरा लगवाने वाली एक लाभार्थी ने बताया कि अंतरा लगवाने के बाद उन्हें दिक्कत होने लगी थी। जब उन्हें स्टाफ नर्स को इस बारे में बताया तो उन्होंने उसके घर आकर उनकी काउंसलिंग की। साथ ही अगले दिन अस्पताल बुलाकर डाक्टर से जांच कराकर परिवार नियोजन सेवाओं के लिए संतुष्ट किया।


इलाज में संवेदनापूर्ण व्यवहार जरूरी-चौधरी


अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी परिवार कल्याण डॉ एसडी चौधरी कहते हैं कि स्वास्थ्य सेवा में सभी स्टाफ अपनी जिम्मेदारी से काम करता है। मरीज के साथ संवेदनापूर्ण व्यवहार से इलाज करने से उन्हें बीमारी से लड़ने में मदद मिलती है। मां के गर्भ से निकलने के बाद बच्चा सबसे पहले नर्स के हाथ में ही आता है। नर्स उसके जन्म से लेकर उसके टीकाकरण तक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाती है। मां, बच्चे और मरीज की सेवा में नर्सों का काम सराहनीय है।

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Journalist Anil Prabhakar

Editor UPVIRAL24 NEWS