केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, "2023 का युवा 2047 के भारत को परिभाषित करेगा"
डॉ. जितेंद्र सिंह ने 'युवा 20 परामर्श के तहत आयोजित शांति-निर्माण और समाधान: युद्ध रहित युग की शुरुआत' बैठक को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित किया
विज्ञान और प्रौद्योगिकी एवं पृथ्वी विज्ञान (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन, परमाणु ऊर्जा तथा अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि 2023 का युवा 2047 के भारत को परिभाषित करेगा।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने जम्मू विश्वविद्यालय में आयोजित 'युवा 20 परामर्श के तहत शांति-निर्माण और समाधान: युद्ध रहित युग की शुरुआत' बैठक में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित किया। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद से तीन पीढ़ियां बीत गईं और कभी भी प्रतिभा या क्षमताओं की कोई कमी नहीं रही। कमी रही तो अनुकूल माहौल की रही, जो अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उपलब्ध करा दिया है। तो यह एक शानदार अवसर है लेकिन साथ ही एक चुनौती भी है, क्योंकि वही युवा भारत@2047 की सूरत तय करेंगे। उन्होंने कहा कि जो आज तीस वर्ष के हैं वे प्रमुख नागरिक होंगे।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि 2023 देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण वर्ष है क्योंकि भारत जी20 की अध्यक्षता कर रहा है। इस शुभ वर्ष में, कोई भी यथोचित रूप से कह सकता है कि प्रधानमंत्री मोदी ने शासन का एक ऐसा मॉडल प्रदान किया है जो टिकाऊ है, जो घटते रिटर्न के सिद्धांत को खारिज करता है और जो प्रत्येक नई चुनौती के साथ और मजबूत होता जाता है। इसलिए आज की बैठक में गौर करने वाली बात यह है कि 2023 की मोदी सरकार और 2023 के युवाओं के बीच क्या संबंध हैं।
डॉ. सिंह ने कहा कि मई 2014 में सरकार में आने के ठीक बाद प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि यह सरकार गरीबों के उत्थान, महिलाओं के सशक्तिकरण और युवाओं की भलाई के लिए समर्पित रहेगी। 2014 से पहले देश में हताशा और निराशा का माहौल था। उन्होंने कहा कि 26 मई 2014 की शाम को जब श्री नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी, तो मैंने कहा था कि यह निराशावाद से आशावाद की यात्रा का आरंभ है। इसलिए जब प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार युवाओं को उच्च प्राथमिकता देगी, तो कई लोगों को यह मजाक लगा। लेकिन आज जब प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार के 9 साल पूरे हो रहे हैं और आप पीछे मुड़कर देखते हैं, तो आप सबूतों के साथ कह सकते हैं कि मोदी जी ने जो कहा वो किया और अपनी टीम का नेतृत्व भी किया।
डॉ. सिंह ने मई 2014 में सरकार के सत्ता में आने के तुरंत बाद का समय याद करते हुए कहा कि तब दो से तीन महीने के भीतर, राजपत्रित अधिकारियों द्वारा प्रमाणपत्र को प्रमाणित करने की प्रथा को समाप्त कर दिया गया था। तत्पश्चात एक वर्ष के भीतर प्रधानमंत्री ने लाल किले की प्राचीर से नौकरी भर्ती में साक्षात्कार को समाप्त करने की बात कही ताकि समान अवसर मिल सके। तकनीक की शुरुआत की गई ताकि बुजुर्ग नागरिकों को जीवन प्रमाण पत्र बनवाने की कठिन प्रक्रिया से न गुजरना पड़े। अधिकांश कामकाज को ऑनलाइन में बदल दिया गया और पारदर्शिता, जवाबदेही तथा जन भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए मानवीय हस्तक्षेप को न्यूनतम कर दिया गया था। यह इस बात का प्रतीक है कि अब एक ऐसी सरकार है जो इस देश के युवाओं पर भरोसा करने के लिए तैयार है।
शिकायत निवारण तंत्र का जिक्र करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि शिकायत निवारण तंत्र को सीपीजीआरएएमएस (CPGRAMS) में तब्दील कर दिया गया था। इसका असर यह हुआ कि जहां सरकार के आने से पहले हर साल मात्र 2 लाख शिकायतें प्राप्त होती थीं वहीं यह आंकड़ा अब प्रतिवर्ष बढ़कर 20 लाख हो गया है, क्योंकि इस सरकार ने एक समयबद्ध निवारण की नीति और लोगों का विश्वास हासिल किया है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह प्रधानमंत्री मोदी ही थे, जिन्होंने कुछ महीने पहले देश से वादा किया था कि वह जल्द ही युवाओं को 10 लाख सरकारी नौकरियां प्रदान करेंगे। उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री मोदी जो कहते हैं वह करते हैं और वह सब कुछ "मुमकिन" करने की क्षमता रखते हैं।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, प्रधानमंत्री मोदी ने शुरुआत से ही युवाओं से जुड़े मुद्दों और चिंताओं को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री ने लगातार युवाओं के लिए आजीविका, सरकारी नौकरी और आय के नए अवसर पैदा करने को कहा है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत के भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 का उल्लेख किया, जिसे मोदी सरकार ने 30 वर्षों के बाद 2018 में संशोधित कर कई नए प्रावधानों को पेश किया। इसमें रिश्वत लेने के अलावा रिश्वत देने के कृत्य को आपराधिक बनाना भी शामिल है। लोगों के साथ-साथ कॉर्पोरेट संस्थाओं ने भी इस तरह के कार्यों के लिए एक प्रभावी निवारण स्थापित किया है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह प्रधानमंत्री मोदी ही थे, जिन्होंने 2015 के अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में, "स्टार्टअप इंडिया स्टैंडअप इंडिया" का आह्वान किया था, जो जल्द ही एक देशव्यापी आंदोलन में बदल गया। इसका नतीजा यह है कि भारत में स्टार्टअप्स की संख्या जहां 2014 में 300 से 400 के बीच थी वो आज बढ़कर 75,000 से अधिक हो गई है और स्टार्टअप इकोसिस्टम के मामले में भारत दुनिया में तीसरे स्थान पर है। इसके अलावा, देश में बायोटेक स्टार्टअप्स की संख्या पिछले 8 वर्षों के दौरान 50 से बढ़कर 5,000 से अधिक हो गई है। यह सब इसलिए संभव हो पाया क्योंकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 2014 में पदभार संभालने के बाद से एक माहौल तैयार किया तथा मदद प्रदान की गई। 2025 तक यह आकंडा 10,000 के पास जाने की उम्मीद है। 2014 से पहले बायो इकोनॉमी सिर्फ 10 बिलियन डॉलर थी, आज यह 80 बिलियन डॉलर है और 2025 तक 100 बिलियन डॉलर का लक्ष्य है।
डॉ. सिंह ने कहा कि उत्तराखंड सहित हिमालयी राज्य सुगंधित स्टार्ट-अप के स्रोत बन गए हैं। इसके अलावा "पर्पल रेवोल्यूशन" या अरोमा मिशन "स्टार्टअप्स इंडिया" में जम्मू -कश्मीर का योगदान है। यह उल्लेख करना जरूरी है अरोमा मिशन देश भर के स्टार्टअप्स और कृषकों को आकर्षित कर रहा है। 44,000 से अधिक लोगों को प्रशिक्षित किया गया है और कई करोड़ किसान इससे राजस्व पैदा कर रहे हैं।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पूर्वोत्तर क्षेत्र की तरक्की और विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है और उनके नेतृत्व में 100 साल पुराने भारतीय वन अधिनियम के दायरे से घरेलू बांस को छूट देना एक क्रांतिकारी फैसला था। उन्होंने कहा कि इससे युवा उद्यमियों को बांस क्षेत्र में व्यापार करने में आसानी हुई है। पहले की सरकारों ने कभी भी भारत के विशाल महासागर संसाधनों का पता लगाने की जहमत नहीं उठाई और यह पहली बार है कि श्री नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के बाद, समुद्री संसाधनों का पता लगाने और उनका दोहन करने तथा भारत की नीली अर्थव्यवस्था को प्राथमिकता देने का गंभीर प्रयास किया जा रहा है।
पारंपरिक शिक्षा के क्षेत्र में, 2014 की शुरुआत में जहां 725 विश्वविद्यालय थे, वहां अब हर हफ्ते 1 नए विश्वविद्यालय की दर से पिछले 9 वर्षों के दौरान 300 और इस सूची में शामिल हो गए हैं. उन्होंने कहा कि देश में 2004 से 2014 के बीच 145 मेडिकल कॉलेज खोले गए। 2014 से 2022 के दौरान 260 से अधिक मेडिकल कॉलेज खुले, यानि एक मेडिसिन कॉलेज और 2 डिग्री कॉलेज प्रतिदिन की दर से खोले गए हैं। इसका मकसद हर युवा तक शिक्षा को पहुंचाना है। उन्होंने कहा कि यह केवल इसलिए किया जा रहा है ताकि कोई शिक्षा से इसलिए वंचित ना रह जाए क्योंकि यह उपलब्ध नहीं रही।
डॉ. सिंह ने कहा कि हाल ही में जम्मू केंद्रीय विश्वविद्यालय ने उत्तर भारत में अंतरिक्ष का पहला शिक्षण विभाग खोला है। उन्होंने कहा कि एनईपी-2020 का एक उद्देश्य डिग्री को शिक्षा से अलग करना है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि डिग्री को शिक्षा से जोड़ने से हमारी शिक्षा प्रणाली और समाज पर भी काफी असर पड़ा है और इसकी वजह से शिक्षित बेरोजगारों की संख्या बढ़ती गई।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि हम पहले से ही वैश्विक दुनिया का हिस्सा हैं चाहे हम इसे पसंद करें या न करें। इसलिए अगर हमें वैश्विक मानकों पर खरा उतरना है तो हमें खुद को वैश्विक चुनौतियों के लिए तैयार करना होगा और हमें जलवायु परिवर्तन, स्वच्छ ऊर्जा जैसी वैश्विक चिंताओं का भी समाधान करना होगा। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में ईंधन के रूप में हरित हाइड्रोजन की क्षमता से हमें रूबरू कराया। निकट भविष्य में भारत हरित हाइड्रोजन के प्रमुख निर्यातकों में से एक होगा।
मंत्री ने कहा कि जी20 के अंतर्गत आठ आधिकारिक अनुबंधित समूहों में से यूथ20 एक है। यह जी20 सरकारों और उनके स्थानीय युवाओं के बीच संपर्क स्थापित करने का एक प्रयास है। 2023 का ‘वाई20 इंडिया समिट’ भारत के युवा-केंद्रित प्रयासों का उदाहरण होगा और दुनिया भर के युवाओं को उनके मूल्यों और नीतिगत उपायों को प्रदर्शित करने का अवसर प्रदान करेगा।
डॉ. सिंह ने यह कहते हुए अपनी बात समाप्त की कि, आज के उन युवाओं के कंधों पर अहम जिम्मेदारी है तो अपने तीसवें दशक में हैं और जो 2047 में प्रमुख नागरिक बनने जा रहे हैं। वे इस अवसर का कितना अच्छा उपयोग कर सकते हैं यह उन पर निर्भर करता है। उन्होंने उम्मीद जताई कि उस समय के युवा यह कहने में सक्षम होंगे कि "मैं भारत@100 का वास्तुकार हूं" और इसलिए हमारी पहले की पीढ़ी के पास आज के युवाओं की उस क्षमता निर्माण के लिए प्रेरित करने की जिम्मेदारी है।