कृषि में उच्च शिक्षा के लिए मिश्रित शिक्षण पारिस्थितिकी तंत्र पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन
कृषि क्षेत्र की चुनौतियों के समाधान के लिए शिक्षा, तकनीक और ज्ञान अत्यंत आवश्यक : श्री तोमर
कृषि में उच्च शिक्षा के लिए मिश्रित शिक्षण पारिस्थितिकी तंत्र (ब्लेंडेड लर्निंग इकोसिस्टम फार हायर एजुकेशन इन एग्रीकल्चर) पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन आज केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किया। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) द्वारा विश्व बैंक के सहयोग से आयोजित सम्मेलन में श्री तोमर ने ब्लेंडेड लर्निंग प्लेटफार्म लांच किया। इस अवसर पर श्री तोमर ने कहा कि आने वाले कल में कृषि के समक्ष विद्यमान चुनौतियों का समाधान करने के लिए कृषि शिक्षा, तकनीक व ज्ञान होना आवश्यक है।
मुख्य अतिथि केंद्रीय मंत्री श्री तोमर ने खुशी जताते हुए कहा कि कृषि मेघ जैसी सुविधाएं, जिसे अगस्त-2020 में शुरू किया गया व अप्रैल-2021 में प्रारंभ वर्चुअल क्लासरूम ने महामारी के दौरान शिक्षण में अहम भूमिका निभाई। यह ब्लेंडेड लर्निंग प्लेटफार्म देशभर में कृषि विश्वविद्यालयों व कालेजों के शिक्षकों एवं विद्यार्थियों के लिए कृषि मेघ को और भी उपयोगी बनाएगा। कृषि मेघ आधारभूत ढांचा को ब्लेंडेड लर्निंग प्लेटफार्म के लिए मजबूत किया गया है, ताकि विद्यार्थी लाभान्वित हों। श्री तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के आह्वान अनुसार देश की आजादी के 75 वर्ष पूरे होने के बाद 100 वर्ष होने तक बीच के 25 साल अमृत काल में हमारा सोच-विचार, कार्यपद्धति, गति व दृष्टि इतनी व्यापक होना चाहिए कि वर्ष 2047 तक भारत सारी तकनीकों से लैस होकर विकसित देशों की अग्रपंक्ति में खड़ा दिखाई दे। इस यात्रा में ब्लेंडेड लर्निंग का बड़ा योगदान होगा। तकनीक का खेत तक विस्तार हमारी जिम्मेदारी है। खेती का क्षेत्र सरल हो, नई पीढ़ी के लिए आकर्षक हो, रोजगार के अवसर सृजित करने वाला हो, आदान लागत कम करने व उत्पादन की गुणवत्ता बढ़ाने वाला हो, इस दिशा में तकनीक का समर्थन अत्यंत आवश्यक है। इसे पूरी गंभीरता व मनोयोग से करने की जरूरत है। विकसित भारत के निर्माण के लक्ष्य की पूर्ति में भी कृषि क्षेत्र का योगदान बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि कृषि देश की अर्थव्यवस्था की बैकबोन है। इसकी मजबूती देश को किसी भी स्थिति में खड़ा रखने, आगे बढऩे में मददगार होगी। साथ ही वर्ष 2047 तक की जो चुनौतियां खाद्यान्न आवश्यकता व जलवायु परिवर्तन को लेकर आने वाली हैं, उसके लिए भी तैयार रहने की जरूरत है।
श्री तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री समग्र-संतुलित विकास की कल्पना पर काम करते हैं। देश के गरीब, मजदूर, किसान व आदिवासी भाई-बहनों सहित सभी के जीवन स्तर में बदलाव आएं, यह सरकार की प्राथमिकता है। साथ ही, दुनिया के राजनीतिक परिदृश्य में भारत अपने विचार, कृतित्व व अच्छाइयों के बल पर और आगे बढ़ सकें, इस व्यापक लक्ष्य की पूर्ति के लिए भी वे काम करते रहते हैं। आगामी चुनौतियों, तकनीक की आवश्यकता, डिजिटलाइजेशन के महत्व की दिशा में भी जितने सुधारात्मक कार्य करने की आवश्यकता है, सरकार वह कर रही है। डिजिटल ट्रांजेक्शन के मामले में भारत की भूमिका सर्वश्रेष्ठ है। आज करोड़ों किसानों के खातों में 2.40 लाख करोड़ रुपये बिना किसी बिचौलिए की भूमिका के शत-प्रतिशत जमा हो जाते हैं, यह देश के साथ ही दुनिया के लिए भी आश्चर्यजनक है। आयुष्मान भारत योजना, गैस सब्सिडी व एमएसपी पर खरीद का भुगतान डीबीटी से होने की दिशा में भी भारत ने तेजी से कदम बढ़ाए हैं, जिसके कारण दुनिया में हमारी साख और प्रतिष्ठा भी बढ़ी है।
उन्होंने कहा कि आज सभी क्षेत्रों में तेजी से विकास किया जा रहा है, लेकिन कृषि का क्षेत्र विशेष है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सरकार ने कृषि क्षेत्र को नए आयामों से जोड़ा है। लंबे समय से मौजूद चुनौतियों का समाधान करने की कोशिश की गई है। आज फसल बीमा योजना पूरे देश में काम कर रही है। जबसे यह योजना शुरू हुई, तब से अभी तक किसानों को उनकी फसल के नुकसान की भरपाई में बीमा कंपनियों द्वारा 1.30 लाख करोड़ रु. दिए गए हैं। किसानों को 20 लाख करोड़ रु. तक का अल्पकालिक ऋण देने का लक्ष्य रखा गया है, जिससे किसानों की खेती करने की ताकत बढ़े। इसी तरह, कृषि व सम्बद्ध क्षेत्रों में लंबे समय से निजी निवेश, तकनीक व इंफ्रास्ट्रक्चर के अभाव को पाटने के लिए आत्मनिर्भर भारत पैकेज के अंतर्गत डेढ़ लाख करोड़ रु. से ज्यादा के प्रावधान किए गए है। एग्री इंफ्रा फंड से 14 हजार करोड़ रु. से अधिक के प्रोजेक्ट बैंकों ने स्वीकृत भी कर दिए हैं। इसका सद्परिणाम भविष्य में खेती के क्षेत्र को मिलेगा। इससे पहले, श्री तोमर ने श्री अन्न से बना केक काटा।
कार्यक्रम में डेयर के सचिव व आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक, उप महानिदेशक (कृषि शिक्षा) व राष्ट्रीय निदेशक-राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना डॉ. आर.सी. अग्रवाल आदि उपस्थित थे।