एसीएफ अभियान में जिले में खोजे गए 32 नए क्षय रोगी
जालौन : राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन अभियान के तहत सक्रिय क्षय रोगी खोज अभियान (एसीएफ) में जिले में 32 नए क्षय रोगी खोजे गए। टीमों ने पूरे जिले में सक्रियता से अभियान चलाकर लक्षित जनसंख्या की स्क्रीनिंग की। टीम ने इसमें कुछ ऐसे रोगी भी खोजे है, जिन्हें पता नहीं था कि उन्हें टीबी जैसा रोग भी है। टीम की प्रेरणा से उन्होंने जांच कराई और उन्हें टीबी निकली। अब विभाग ने उनका पंजीकरण कराकर इलाज शुरू कर दिया है।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ देवेंद्र कुमार भिटौरिया ने बताया कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन अभियान के तहत जिले में 24 फरवरी से शुरू हुए सघन क्षय रोगी खोज अभियान में 3.50 लाख मरीजों की घर घर जाकर स्क्रीनिंग की गई। इसमें 1748 मरीजों में टीबी के संभावित लक्षण मिलने पर उनकी एक्सरे और बलगम जांच कराई गई। इसमें 32 मरीजों में टीबी होने की पुष्टि हुई। जांच में सबसे ज्यादा मरीज उरई शहरी क्षेत्र में निकले है। यहां 19 टीबी के मरीज मिले।
एसीएफ में निकले मरीजों का पंजीकरण के बाद इलाज शुरू
जिला क्षय रोग अधिकारी का कहना है खोजे गए मरीजों का पंजीकरण कर उनका इलाज शुरु कर दिया गया है। साथ ही निक्षय पोर्टल से भी सभी नए मरीजों को जोड़ दिया गया है। अब निक्षय पोषण योजना के तहत उपचार होने तक उन्हें पांच सौ रुपये महीना पोषण भत्ता दिया जाएगा। उन्होंने लोगों से अपील की कि यदि किसी मरीज का लगातार वजन कम हो रहा है, हल्का बुखार आ रहा हो या फिर भूख कम लग रही है। 15 दिन से खांसी आ रही हो तो ऐसे मरीजों को अपनी जांच जरूर करानी चाहिए।
संभावित मरीजों के सैंपल लेकर कराई जांच
एसीएफ अभियान में लगे सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाइजर राजीव उपाध्याय और संजय अग्रवाल बताते हैं कि उन्होंने उरई शहर में घर घर जाकर रोगियों को खोजने का काम किया। कई जगह लोगों ने खांसी, बुखार, वजन कम होने जैसे लक्षण की बात घर में किसी को न होने की बात कही तो कई लोगों ने ऐसे लक्षण होने की बात कही। इस पर उनके और उनके परिजनों के सैंपल लेकर जांच कराई गई।
कभी जांच न कराने वाले मरीज को निकली टीबी और शुगर
शहर के मोहल्ला तुलसीनगर निवासी एक मरीज को टीबी क साथ शुगर की भी बीमारी निकली है। एसीएफ अभियान में लगी टीमों ने घर घर जाकर खोज की तो एक मरीज ने बताया कि उन्हें भूख कम लगती है, कमजोरी और बेचैनी महसूस होती है। खांसी भी आती है। जब टीम न उन्हें जांच की सलाह दी तो सैंपल देने को कहा। वह सैंपल के लिए राजी हो गए। टीम ने जांच कराई तो उन्हें टीबी के साथ शुगर भी निकली। उन्होंने बताया कि यदि टीम जांच न करती तो वह लापरवाही बरतते रहते है। उन्हें टीबी और शुगर जैसी गंभीर बीमारी होने का पता ही नहीं लगता। उन्होंने कभी अपनी जांच ही नहीं कराई थी।