दस फरवरी से चलेगा फाईलेरिया की दवा खिलाने का अभियान
सीएमओ कार्यालय में आयोजित हुआ एमडीए अभियान का प्रशिक्षण
जालौन : फाइलेरिया से बचाव केलिए सामूहिक दवा सेवन (एमडीए) अभियान की जिला स्तरीय प्रशिक्षण का दूसरे चरण की ट्रेनिंग मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में स्थित अचल प्रशिक्षण केंद्र में हुई। इस प्रशिक्षण में सभी ब्लाकों के चिकित्सा अधिकारी, प्रभारी चिकित्सा अधिकारी, बीसीपीएम और स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारियों ने प्रतिभाग किया।
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी व नोडल अधिकारी वेक्टर बोर्न डिसीज डॉ अरविंद भूषण ने बताया कि जिले में मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन यानि सामूहिक दवा सेवन (एमडीए) अभियान 10 फरवरी से 27 फरवरी तक संचालित किया जाना है। इसमें जिले की 19.43 लाख आबादी को फाइलेरिया से बचाव की दवा घर घर जाकर खिलाई जाएगी। उन्होंने बताया कि जल्द ही इसके लिए टीमें गठित कर दी जाएगी, जो घर घर जाकर अपने सामने दवा खिलाने का कार्य करेंगी I
जिला मलेरिया अधिकारी डॉ जीएस स्वर्णकार ने बताया कि फाइलेरिया मच्छरजनित बीमारी है। इसका मच्छर गंदे पानी में अंडे देता है। फाइलेरिया का संक्रमण होने पर शुरूआत में इसके लक्षण नजर नहीं आते हैं। इसके लक्षण दिखाई देने में पांच से 15 साल तक लग जाते हैं। इसे आम बोलचाल की भाषा में हाथी पांव के नाम से भी जाना जाता है। हालांकि यह बीमारी पांव के अलावा हाथ, स्तन, पुरुषों के अंडकोष आदि को भी प्रभावित करती है। इससे बचाव के लिए दवा खाना जरूरी है।
बायोलाजिस्ट भावना वर्मा ने बताया कि फाइलेरिया बीमारी से बचाव के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि जलजमाव न होने दें। गंदे पानी के जमाव में पैदा होने वाले मच्छर ही फाइलेरिया का कारण बनते है। मच्छरदानी का प्रयोग करें और साल में एक बार होने वाले एमडीए कार्यक्रम के दौरान फाइलेरिया टीमों द्वारा दी जाने वाली दवा का सेवन जरूर करें। यह दवा गर्भवती महिला को नहीं खिलानी है।
पाथ संस्था के डॉ अनिकेत कुमार ने बताया कि माइक्रोप्लान इस तरह बनाया जाए कि शत प्रतिशत आबादी तक टीमें पहुंच सके। जिले में फाइलेरिया के इस समय 632 मरीज उपचाराधीन है।
प्रशिक्षण में आशुतोष वाजपेयी, मैत्रेय प्रभाकर. अमित कुमार, अमर सिंह आदि फाइलेरिया निरीक्षक मौजूद रहे।