टीबी मुक्त भारत अभियान के लिए प्राइवेट चिकित्सक और औषधि विक्रेता करें सहयोग
समय से टीबी रोगियों का पंजीकरण और इलाज बहुत जरूरी
जालौन : वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त भारत के लक्ष्य को पाने के लिए राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत प्राइवेट चिकित्सकों और औषधि विक्रेता संघ की संयुक्त बैठक मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय सभागार में हुई। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ एनडी शर्मा ने बताया कि क्षय उन्मूलन के लिए सबसे जरूरी है कि मरीजों को चिह्नीकरण किया जाए। इसके लिए टीबी से संभावित रोगियों को इलाज के साथ उनका निक्षय पोर्टल पर पंजीकरण कराना भी जरूरी है। उन्होंने सभी निजी चिकित्सकों और औषधि विक्रेताओं से कहा कि जिन भी क्षय रोगियों को दवा दें या इलाज करें। उनका पंजीकरण कराना जरूरी है। इसमें किसी तरह की हीलाहवाली बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
उन्होंने बताया कि सरकारी अस्पतालों में 2496मरीज इलाज ले रही है। वहीं प्राइवेट चिकित्सकों के पास भी 728 मरीज उपचाराधीन है। यह संख्या लक्ष्य के सापेक्ष कम है। इसे और बढ़ाने की जरूरत है। प्राइवेट चिकित्सकों को टीबी रोगी के चिह्नीकरण करने के लिए प्रोत्साहन राशि के रुप में प्रति मरीज पांच सौ रुपये दिए जाते है। उन्होंने बताया कि सभी क्षय रोगियों की बैंक डिटेल और उनका नामांकन भी समय से जरूरी है ताकि उनके खाते में समय से पोषण राशि भिजवाई जा सके। टीबी उन्मूलन अभियान में प्राइवेट चिकित्सक और औषधि विक्रेताओं की महत्वपूर्ण भूमिका है। देशहित और मरीज हित में विभाग का सहयोग करें।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के राज्य स्तरीय सलाहकार डॉ सौरभ ने बताया कि क्षय रोगियों को लक्षण के आधार पर चिह्नित करने के बाद उनकी जांच कराना जरूरी है। यदि समय से जांच हो जाती है तो रोग की रोकथाम में मदद मिलती है। उन्होंने बताया कि सभी क्षय रोगियों की एचआईवी, डायबिटीज और यूनीवर्सल ड्रग सेंसटिव टेस्ट (यूडीएसटी) टेस्ट कराना भी जरूरी है।
इस दौरान डॉ अशोक अग्रवाल, डॉ रमेश चंद्रा, डॉ अंजना गुप्ता और औषधि विक्रेता संघ के अध्यक्ष देवेंद्र सेठ समेत अन्य पदाधिकारियों ने क्षय उन्मूलन अभियान में सहयोग का आश्वासन दिया।