जालौन : बेमौसम बरसात ने किसानों को किया बर्बाद

बेमौसम बरसात ने किसानों को किया बर्बाद   खरीफ की फसल नष्ट होने के बाद रवी की फसल पर भी अनिष्ट के बादल  रिपोर्ट :- विजय द्विवेदी   जगम्मनपुर, जालौन : बेमौसम बरसात में किसानों के बर्बादी की इबारत पर दस्तखत कर उन्हें भूखों मरने के लिए मजबूर कर दिया है।    संपूर्ण उत्तर प्रदेश सहित आसपास के अन्य जनपदों मैं इंद्र देवता एवं वरुण देवता ने कुपित होकर बेमौसम बरसात करके किसानों की आर्थिक कमर तोड कर पालतू पशुओं के लिए चारा की समस्या उत्पन्न कर दी है।   बुंदेलखंड के किसानों की मुख्य रवी की फसल भले ही हो लेकिन इसके लिए खरीफ की फसल का होना अति अनिवार्य है क्योंकि खरीफ की फसल में किसान तिली , ज्वार, बाजरा की बुवाई करके जो उपज होती है उससे भविष्य की रवी की फसल के लिए जुताई, खाद, बीज आदि के लिए धन का प्रबंध हो जाता है एवं बाजरा ज्वार की करब से छै माह तक के लिए पशुओं का चारा दाना का भी बंदोबस्त हो जाता है। इस वर्ष खरीफ की फसल के सुनहरे सपने संजोए धरती पुत्रों ने अपने खेतों को तैयार किया लेकिन तिली की बुवाई के समय अधिक वर्षा के कारण किसानों ने ज्वार बाजरा की फसल करके किसी तरह गुजारा करने का मन बना लिया लेकिन प्रकृति का प्रकोप कि किसानो द्वारा सपरिवार खेतों पर कड़ी मेहनत करने एवं रात में अन्ना पशुओं से फसल की रखवाली के लिए पूरे परिवार के प्रत्येक सदस्य द्वारा बारी बारी से पहरा देकर तैयार हुई बाजरा की फसल को लहराते देख किसान खुश था कि 20-25 दिन में हमारी फसल पक जाएगी और पशुओं के लिए चारा के साथ-साथ ज्वार बाजरा की फसल की उपज से रवी की खेती के लिए आर्थिक प्रबंध हो जाएगा, किंतु प्रकृति की ऐसी मार कि लगभग 5 दिन से लगातार हो रही वर्षा एवं तेज हवाओं के चलते खेतों में लगभग तैयार खड़ी ज्वार बाजरा की पूरी की पूरी फसल बर्बाद हो गई । किसान अपनी बर्बाद फसल को देख खेत की मेंड़ पर बैठा आंसू बहा रहा है। आज पंचनद न्यूज़ टीम ने रामपुरा क्षेत्र के खेतों पर पहुंच किसानों से उनके मन की पीड़ा को जानने का प्रयास किया तो दुःखी किसानों की आंखों में अश्रु छलक पड़े और भरे गले से उन्होंने दुःखद भविष्य की चिंता व्यक्त की।   ग्राम गुढा निवासी सचेन्द्र सिंह कहते हैं कि पहले यमुना में आयी बाढ़ ने नदी के तटवर्ती इलाके की फसल को नष्ट कर दिया बाकी फसल वर्षा के कारण नष्ट हो गई अब तो हम लोगों के पास जीवकोपार्जन एवं पशुओं को खिलाने के लिए कुछ भी नहीं बचा है। ग्राम जगम्मनपुर निवासी प्रमोद कुमार अपनी फसल की बर्बादी पर चिंता व्यक्त करते हुए सरकार से सहायता की अपेक्षा कर रहे हैं । ग्राम हुसेपुरा जागीर निवासी गजेन्द्र सिंह कहते हैं कि अन्नदाता किसान प्रकृति की मार से बर्बाद हो जाता है। सरकार की ओर से किसानों के कल्याण की कोई योजना तैयार नहीं की जाती है। बार बार बर्षा के कारण वैसे भी तिलहन की बुवाई 20 दिन पिछड़ गई है यदि चार पांच दिन तक इसी प्रकार वर्षा होती रही तो अब लाही की फसल भी नहीं बोई जा सकती है इससे होने बाला नुकसान किसानों की कमर तोड देगा।
बेमौसम बरसात ने किसानों को किया बर्बाद   खरीफ की फसल नष्ट होने के बाद रवी की फसल पर भी अनिष्ट के बादल  रिपोर्ट :- विजय द्विवेदी   जगम्मनपुर, जालौन : बेमौसम बरसात में किसानों के बर्बादी की इबारत पर दस्तखत कर उन्हें भूखों मरने के लिए मजबूर कर दिया है।    संपूर्ण उत्तर प्रदेश सहित आसपास के अन्य जनपदों मैं इंद्र देवता एवं वरुण देवता ने कुपित होकर बेमौसम बरसात करके किसानों की आर्थिक कमर तोड कर पालतू पशुओं के लिए चारा की समस्या उत्पन्न कर दी है।   बुंदेलखंड के किसानों की मुख्य रवी की फसल भले ही हो लेकिन इसके लिए खरीफ की फसल का होना अति अनिवार्य है क्योंकि खरीफ की फसल में किसान तिली , ज्वार, बाजरा की बुवाई करके जो उपज होती है उससे भविष्य की रवी की फसल के लिए जुताई, खाद, बीज आदि के लिए धन का प्रबंध हो जाता है एवं बाजरा ज्वार की करब से छै माह तक के लिए पशुओं का चारा दाना का भी बंदोबस्त हो जाता है। इस वर्ष खरीफ की फसल के सुनहरे सपने संजोए धरती पुत्रों ने अपने खेतों को तैयार किया लेकिन तिली की बुवाई के समय अधिक वर्षा के कारण किसानों ने ज्वार बाजरा की फसल करके किसी तरह गुजारा करने का मन बना लिया लेकिन प्रकृति का प्रकोप कि किसानो द्वारा सपरिवार खेतों पर कड़ी मेहनत करने एवं रात में अन्ना पशुओं से फसल की रखवाली के लिए पूरे परिवार के प्रत्येक सदस्य द्वारा बारी बारी से पहरा देकर तैयार हुई बाजरा की फसल को लहराते देख किसान खुश था कि 20-25 दिन में हमारी फसल पक जाएगी और पशुओं के लिए चारा के साथ-साथ ज्वार बाजरा की फसल की उपज से रवी की खेती के लिए आर्थिक प्रबंध हो जाएगा, किंतु प्रकृति की ऐसी मार कि लगभग 5 दिन से लगातार हो रही वर्षा एवं तेज हवाओं के चलते खेतों में लगभग तैयार खड़ी ज्वार बाजरा की पूरी की पूरी फसल बर्बाद हो गई । किसान अपनी बर्बाद फसल को देख खेत की मेंड़ पर बैठा आंसू बहा रहा है। आज पंचनद न्यूज़ टीम ने रामपुरा क्षेत्र के खेतों पर पहुंच किसानों से उनके मन की पीड़ा को जानने का प्रयास किया तो दुःखी किसानों की आंखों में अश्रु छलक पड़े और भरे गले से उन्होंने दुःखद भविष्य की चिंता व्यक्त की।   ग्राम गुढा निवासी सचेन्द्र सिंह कहते हैं कि पहले यमुना में आयी बाढ़ ने नदी के तटवर्ती इलाके की फसल को नष्ट कर दिया बाकी फसल वर्षा के कारण नष्ट हो गई अब तो हम लोगों के पास जीवकोपार्जन एवं पशुओं को खिलाने के लिए कुछ भी नहीं बचा है। ग्राम जगम्मनपुर निवासी प्रमोद कुमार अपनी फसल की बर्बादी पर चिंता व्यक्त करते हुए सरकार से सहायता की अपेक्षा कर रहे हैं । ग्राम हुसेपुरा जागीर निवासी गजेन्द्र सिंह कहते हैं कि अन्नदाता किसान प्रकृति की मार से बर्बाद हो जाता है। सरकार की ओर से किसानों के कल्याण की कोई योजना तैयार नहीं की जाती है। बार बार बर्षा के कारण वैसे भी तिलहन की बुवाई 20 दिन पिछड़ गई है यदि चार पांच दिन तक इसी प्रकार वर्षा होती रही तो अब लाही की फसल भी नहीं बोई जा सकती है इससे होने बाला नुकसान किसानों की कमर तोड देगा।
बेमौसम बरसात ने किसानों को किया बर्बाद   खरीफ की फसल नष्ट होने के बाद रवी की फसल पर भी अनिष्ट के बादल  रिपोर्ट :- विजय द्विवेदी   जगम्मनपुर, जालौन : बेमौसम बरसात में किसानों के बर्बादी की इबारत पर दस्तखत कर उन्हें भूखों मरने के लिए मजबूर कर दिया है।    संपूर्ण उत्तर प्रदेश सहित आसपास के अन्य जनपदों मैं इंद्र देवता एवं वरुण देवता ने कुपित होकर बेमौसम बरसात करके किसानों की आर्थिक कमर तोड कर पालतू पशुओं के लिए चारा की समस्या उत्पन्न कर दी है।   बुंदेलखंड के किसानों की मुख्य रवी की फसल भले ही हो लेकिन इसके लिए खरीफ की फसल का होना अति अनिवार्य है क्योंकि खरीफ की फसल में किसान तिली , ज्वार, बाजरा की बुवाई करके जो उपज होती है उससे भविष्य की रवी की फसल के लिए जुताई, खाद, बीज आदि के लिए धन का प्रबंध हो जाता है एवं बाजरा ज्वार की करब से छै माह तक के लिए पशुओं का चारा दाना का भी बंदोबस्त हो जाता है। इस वर्ष खरीफ की फसल के सुनहरे सपने संजोए धरती पुत्रों ने अपने खेतों को तैयार किया लेकिन तिली की बुवाई के समय अधिक वर्षा के कारण किसानों ने ज्वार बाजरा की फसल करके किसी तरह गुजारा करने का मन बना लिया लेकिन प्रकृति का प्रकोप कि किसानो द्वारा सपरिवार खेतों पर कड़ी मेहनत करने एवं रात में अन्ना पशुओं से फसल की रखवाली के लिए पूरे परिवार के प्रत्येक सदस्य द्वारा बारी बारी से पहरा देकर तैयार हुई बाजरा की फसल को लहराते देख किसान खुश था कि 20-25 दिन में हमारी फसल पक जाएगी और पशुओं के लिए चारा के साथ-साथ ज्वार बाजरा की फसल की उपज से रवी की खेती के लिए आर्थिक प्रबंध हो जाएगा, किंतु प्रकृति की ऐसी मार कि लगभग 5 दिन से लगातार हो रही वर्षा एवं तेज हवाओं के चलते खेतों में लगभग तैयार खड़ी ज्वार बाजरा की पूरी की पूरी फसल बर्बाद हो गई । किसान अपनी बर्बाद फसल को देख खेत की मेंड़ पर बैठा आंसू बहा रहा है। आज पंचनद न्यूज़ टीम ने रामपुरा क्षेत्र के खेतों पर पहुंच किसानों से उनके मन की पीड़ा को जानने का प्रयास किया तो दुःखी किसानों की आंखों में अश्रु छलक पड़े और भरे गले से उन्होंने दुःखद भविष्य की चिंता व्यक्त की।   ग्राम गुढा निवासी सचेन्द्र सिंह कहते हैं कि पहले यमुना में आयी बाढ़ ने नदी के तटवर्ती इलाके की फसल को नष्ट कर दिया बाकी फसल वर्षा के कारण नष्ट हो गई अब तो हम लोगों के पास जीवकोपार्जन एवं पशुओं को खिलाने के लिए कुछ भी नहीं बचा है। ग्राम जगम्मनपुर निवासी प्रमोद कुमार अपनी फसल की बर्बादी पर चिंता व्यक्त करते हुए सरकार से सहायता की अपेक्षा कर रहे हैं । ग्राम हुसेपुरा जागीर निवासी गजेन्द्र सिंह कहते हैं कि अन्नदाता किसान प्रकृति की मार से बर्बाद हो जाता है। सरकार की ओर से किसानों के कल्याण की कोई योजना तैयार नहीं की जाती है। बार बार बर्षा के कारण वैसे भी तिलहन की बुवाई 20 दिन पिछड़ गई है यदि चार पांच दिन तक इसी प्रकार वर्षा होती रही तो अब लाही की फसल भी नहीं बोई जा सकती है इससे होने बाला नुकसान किसानों की कमर तोड देगा।
बेमौसम बरसात ने किसानों को किया बर्बाद   खरीफ की फसल नष्ट होने के बाद रवी की फसल पर भी अनिष्ट के बादल  रिपोर्ट :- विजय द्विवेदी   जगम्मनपुर, जालौन : बेमौसम बरसात में किसानों के बर्बादी की इबारत पर दस्तखत कर उन्हें भूखों मरने के लिए मजबूर कर दिया है।    संपूर्ण उत्तर प्रदेश सहित आसपास के अन्य जनपदों मैं इंद्र देवता एवं वरुण देवता ने कुपित होकर बेमौसम बरसात करके किसानों की आर्थिक कमर तोड कर पालतू पशुओं के लिए चारा की समस्या उत्पन्न कर दी है।   बुंदेलखंड के किसानों की मुख्य रवी की फसल भले ही हो लेकिन इसके लिए खरीफ की फसल का होना अति अनिवार्य है क्योंकि खरीफ की फसल में किसान तिली , ज्वार, बाजरा की बुवाई करके जो उपज होती है उससे भविष्य की रवी की फसल के लिए जुताई, खाद, बीज आदि के लिए धन का प्रबंध हो जाता है एवं बाजरा ज्वार की करब से छै माह तक के लिए पशुओं का चारा दाना का भी बंदोबस्त हो जाता है। इस वर्ष खरीफ की फसल के सुनहरे सपने संजोए धरती पुत्रों ने अपने खेतों को तैयार किया लेकिन तिली की बुवाई के समय अधिक वर्षा के कारण किसानों ने ज्वार बाजरा की फसल करके किसी तरह गुजारा करने का मन बना लिया लेकिन प्रकृति का प्रकोप कि किसानो द्वारा सपरिवार खेतों पर कड़ी मेहनत करने एवं रात में अन्ना पशुओं से फसल की रखवाली के लिए पूरे परिवार के प्रत्येक सदस्य द्वारा बारी बारी से पहरा देकर तैयार हुई बाजरा की फसल को लहराते देख किसान खुश था कि 20-25 दिन में हमारी फसल पक जाएगी और पशुओं के लिए चारा के साथ-साथ ज्वार बाजरा की फसल की उपज से रवी की खेती के लिए आर्थिक प्रबंध हो जाएगा, किंतु प्रकृति की ऐसी मार कि लगभग 5 दिन से लगातार हो रही वर्षा एवं तेज हवाओं के चलते खेतों में लगभग तैयार खड़ी ज्वार बाजरा की पूरी की पूरी फसल बर्बाद हो गई । किसान अपनी बर्बाद फसल को देख खेत की मेंड़ पर बैठा आंसू बहा रहा है। आज पंचनद न्यूज़ टीम ने रामपुरा क्षेत्र के खेतों पर पहुंच किसानों से उनके मन की पीड़ा को जानने का प्रयास किया तो दुःखी किसानों की आंखों में अश्रु छलक पड़े और भरे गले से उन्होंने दुःखद भविष्य की चिंता व्यक्त की।   ग्राम गुढा निवासी सचेन्द्र सिंह कहते हैं कि पहले यमुना में आयी बाढ़ ने नदी के तटवर्ती इलाके की फसल को नष्ट कर दिया बाकी फसल वर्षा के कारण नष्ट हो गई अब तो हम लोगों के पास जीवकोपार्जन एवं पशुओं को खिलाने के लिए कुछ भी नहीं बचा है। ग्राम जगम्मनपुर निवासी प्रमोद कुमार अपनी फसल की बर्बादी पर चिंता व्यक्त करते हुए सरकार से सहायता की अपेक्षा कर रहे हैं । ग्राम हुसेपुरा जागीर निवासी गजेन्द्र सिंह कहते हैं कि अन्नदाता किसान प्रकृति की मार से बर्बाद हो जाता है। सरकार की ओर से किसानों के कल्याण की कोई योजना तैयार नहीं की जाती है। बार बार बर्षा के कारण वैसे भी तिलहन की बुवाई 20 दिन पिछड़ गई है यदि चार पांच दिन तक इसी प्रकार वर्षा होती रही तो अब लाही की फसल भी नहीं बोई जा सकती है इससे होने बाला नुकसान किसानों की कमर तोड देगा।

बेमौसम बरसात ने किसानों को किया बर्बाद 

खरीफ की फसल नष्ट होने के बाद रवी की फसल पर भी अनिष्ट के बादल

रिपोर्ट :- विजय द्विवेदी

 जगम्मनपुर, जालौन : बेमौसम बरसात में किसानों के बर्बादी की इबारत पर दस्तखत कर उन्हें भूखों मरने के लिए मजबूर कर दिया है।

  संपूर्ण उत्तर प्रदेश सहित आसपास के अन्य जनपदों मैं इंद्र देवता एवं वरुण देवता ने कुपित होकर बेमौसम बरसात करके किसानों की आर्थिक कमर तोड कर पालतू पशुओं के लिए चारा की समस्या उत्पन्न कर दी है।

 बुंदेलखंड के किसानों की मुख्य रवी की फसल भले ही हो लेकिन इसके लिए खरीफ की फसल का होना अति अनिवार्य है क्योंकि खरीफ की फसल में किसान तिली , ज्वार, बाजरा की बुवाई करके जो उपज होती है उससे भविष्य की रवी की फसल के लिए जुताई, खाद, बीज आदि के लिए धन का प्रबंध हो जाता है एवं बाजरा ज्वार की करब से छै माह तक के लिए पशुओं का चारा दाना का भी बंदोबस्त हो जाता है। इस वर्ष खरीफ की फसल के सुनहरे सपने संजोए धरती पुत्रों ने अपने खेतों को तैयार किया लेकिन तिली की बुवाई के समय अधिक वर्षा के कारण किसानों ने ज्वार बाजरा की फसल करके किसी तरह गुजारा करने का मन बना लिया लेकिन प्रकृति का प्रकोप कि किसानो द्वारा सपरिवार खेतों पर कड़ी मेहनत करने एवं रात में अन्ना पशुओं से फसल की रखवाली के लिए पूरे परिवार के प्रत्येक सदस्य द्वारा बारी बारी से पहरा देकर तैयार हुई बाजरा की फसल को लहराते देख किसान खुश था कि 20-25 दिन में हमारी फसल पक जाएगी और पशुओं के लिए चारा के साथ-साथ ज्वार बाजरा की फसल की उपज से रवी की खेती के लिए आर्थिक प्रबंध हो जाएगा, किंतु प्रकृति की ऐसी मार कि लगभग 5 दिन से लगातार हो रही वर्षा एवं तेज हवाओं के चलते खेतों में लगभग तैयार खड़ी ज्वार बाजरा की पूरी की पूरी फसल बर्बाद हो गई । किसान अपनी बर्बाद फसल को देख खेत की मेंड़ पर बैठा आंसू बहा रहा है। आज पंचनद न्यूज़ टीम ने रामपुरा क्षेत्र के खेतों पर पहुंच किसानों से उनके मन की पीड़ा को जानने का प्रयास किया तो दुःखी किसानों की आंखों में अश्रु छलक पड़े और भरे गले से उन्होंने दुःखद भविष्य की चिंता व्यक्त की।

 ग्राम गुढा निवासी सचेन्द्र सिंह कहते हैं कि पहले यमुना में आयी बाढ़ ने नदी के तटवर्ती इलाके की फसल को नष्ट कर दिया बाकी फसल वर्षा के कारण नष्ट हो गई अब तो हम लोगों के पास जीवकोपार्जन एवं पशुओं को खिलाने के लिए कुछ भी नहीं बचा है। ग्राम जगम्मनपुर निवासी प्रमोद कुमार अपनी फसल की बर्बादी पर चिंता व्यक्त करते हुए सरकार से सहायता की अपेक्षा कर रहे हैं । ग्राम हुसेपुरा जागीर निवासी गजेन्द्र सिंह कहते हैं कि अन्नदाता किसान प्रकृति की मार से बर्बाद हो जाता है। सरकार की ओर से किसानों के कल्याण की कोई योजना तैयार नहीं की जाती है। बार बार बर्षा के कारण वैसे भी तिलहन की बुवाई 20 दिन पिछड़ गई है यदि चार पांच दिन तक इसी प्रकार वर्षा होती रही तो अब लाही की फसल भी नहीं बोई जा सकती है इससे होने बाला नुकसान किसानों की कमर तोड देगा।

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Journalist Anil Prabhakar

Editor UPVIRAL24 NEWS