जालौन : जिला महिला चिकित्सालय में महिला ने एक साथ तीन शिशुओ को जन्म दिया
चिकित्सक और स्टाफ की मेहनत रंग लाई, कराया सुरक्षित प्रसव
जालौन : जिला महिला अस्पताल में चिकित्सक और स्टाफ नर्स की देखरेख में उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था वाली गर्भवती का सुरक्षित प्रसव कराया गया। गर्भवती को रक्त की कमी थी। गर्भवती को परिजन अस्पताल में पेट दर्द की शिकायत पर दिखाने आए थे। जहां पता चला कि उसकी डिलेवरी होने वाली है। चिकित्सक और स्टाफ ने कड़ी मेहनत के बाद सुरक्षित प्रसव करा दिया। महिला ने दो बेटी और एक बेटे को जन्म दिया। महिला अस्पताल में मिली इस सुविधा की परिजन काफी सराहना कर रहे हैं।
परासन निवासी विनीता फिरोजाबाद ब्याही है। उसके पति श्याम सिंह भट्टा मजदूर है। विनीता ने बताया कि उसकी शादी वर्ष 2016 में हुई थी। वर्ष 2018 में उसने एक बेटे को जन्म दिया लेकिन 13 दिन बाद ही बेटे की मौत हो गई। वह पति के साथ ही मजदूरी का कार्य करती है। बीती 16 अगस्त को वह जन्माष्टमी पर अपने मायके परासन आ गई थी। मंगलवार को उसे तेज दर्द हुआ तो उसने परिजनों को बताया। परिजनों ने गांव की आशा जसोदा को बुलाया। जसोदा ने एंबुलेंस की मदद से विनीता को महिला अस्पताल की लेबर रूम में भर्ती कराया। जहां तैनात डा. नीलम चितौरिया, सिस्टर प्रियंका, सिस्टर रीना, सिस्टर शशि ने महिला की हालत गंभीर देखी।विनीता का सातवा महीना चल रहा था। इसी स्थिति में पूरी सावधानी से सामान्य प्रसव कराया गया। महिला ने मंगलवार की शाम 6.40 बजे बेटी के रुप में पहला बच्चा। इसके बाद शाम सात बजे बेटी के रुप में दूसरा बच्चा जन्म दिया। इसके बाद 7.04 बजे से बेटे को जन्म दिया। पहली बेटी 1310 ग्राम वजन की है। जबकि दूसरी बेटी का वजन 1200 ग्राम है। बेटे का वजन 1230 ग्राम है। बच्चे के कम वजन के कारण उनको सिक न्यू बोर्न केयर (एसएनसीयू) वार्ड में भेज दिया गया। अत्यधिक कम वजन होने की वजह से उन्हें एडवांस लाइफ सपोर्ट (एएलएस) एंबुलेंस के द्वारा झांसी मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर कर दिया गया है।
आशा कार्यकर्ता जसोदा का कहना है कि गर्भवती विनीता 16 अगस्त को गांव आई थी। जैसे ही सुबह उसके परिजनों ने उसे बुलाया पेटददर्द की शिकायत की तो वह उसके घर पहुंची और एंबुलेंस की मदद से अस्पताल ले आयी।
चिकित्सक डा. नीलम ने बताया कि महिला में खून की कमी थी, जिस कारण उसका समय से पहले ही प्रसव हो गया। वह दूसरे जनपद की निवासी है, जहां उसने कोई भी प्रसव पूर्व जांच नहीं करायी हैं, जबकि प्रसव के पहले जांच कराना बहुत जरूरी होता है, जिससे कि प्रसव के दौरान होने वाले खतरों से माँ एवं शिशु को बचाया जा सके।
गर्भावस्था के दौरान चार प्रकार की जांचें होती है।
• पहली जांच 12 सप्ताह के भीतर होती है। इसमें गर्भावस्था का पता चल जाता है।
• दूसरी जांच 14 से 26 सप्ताह के भीतर होती है।
• तीसरी जांच 28 से 34 सप्ताह के भीतर होती है।
• चौथी जांच 36 सप्ताह से प्रसव काल तक होती है।
क्यों जरूरी होती हैं जांचें
• गर्भवस्था के दौरान जांच कराने से एनीमिया का पता चल जाता है।
• बच्चों की सही स्थिति का पता चल जाता है।
• प्रसव के दौरान होने वाली जोखिम को बचाया जा सकता है।
सुरक्षित प्रसव के लिए जरूरी होती हैं जांचें
जिला महिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. एनआर वर्मा कहते है कि गर्भावस्था में सुरक्षित प्रसव एवं मातृत्व के लिए जांचें बहुत आवश्यक होती है। महिला अस्पताल के स्टाफ ने जिस तरह उच्च जोखिम गर्भावस्था वाली महिला का सुरक्षित प्रसव कराया है। वह सराहनीय है।