राष्ट्रीय डिमेंशिया सप्ताह (19 सितंबर से 25 सितंबर) पर विशेष
अल्जाइमर पीड़ित को पारिवारिक सहयोग की ज्यादा जरूरत
जालौन : केस-1 जनपद निवासी 55 वर्षीय महिला ने जिला अस्पताल के मनकक्ष में काउन्सलिंग के दौरान बताया कि उसे एकांत में रहना अच्छा लगता है। अपनी रखी हुई चीजें भूल जाती है। चिड़चिड़ापन रहता है। महिला की नियमित काउंसलिंग की गई और परिवार का सहयोग मिलने से उसमें आत्मविश्वास जागा।अब महिला की स्थिति पहले से बेहतर है।
केस-2-जनपद निवासी 67 वर्षीय व्यक्ति ने मनकक्ष में काउन्सलिंग के दौरान डॉक्टर से साझा किया कि उसका मन उदास रहता है। कई बार रोना आता है। याददाश्त भी ठीक नहीं रहती है। इलाज काउन्सलिंग और पारिवारिक साहियोग से अब बुजुर्ग की स्थिति पहले से बेहतर है।
यह तो केवल बानगी भर है। इस साल जिला अस्पताल में संचालित मनकक्ष में करीब 12 अल्जाइमर के मरीज काउंसलिंग के लिए पहुंचे। इनमें 20 से 25 साल तक के युवा भी शामिल थे। जिन्हें याददाश्त की कमी, पढ़ाई में याद की गई चीजें भूल जाने की समस्या थी,इन सभी की काउन्सलिंग जारी हैI
डिमेंशिया के प्रति जागरूक करने को चल रहा कार्यक्रम
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं नोडल अधिकारी (गैर संचारी रोग) डॉ. वीरेंद्र सिंह का कहना है कि 21 सितंबर को अल्जाइमर दिवस मनाया जा रहा है। साथ ही 19 से 25 सितंबर तक राष्ट्रीय डिमेंशिया सप्ताह का भी आयोजन किया जा रहा है। इसका उद्देश्य लोगों को अल्जाइमर, डिमेंशिया और अन्य प्रकार की मानसिक बीमारी के प्रति जागरूक करना है। अल्जाइमर नर्वस सिस्टम से जुड़ी एक ऐसी बीमारी है,जो याददाश्त पर सीधा असर डालती है। ऐसे में मरीज को छोटी छोटी चीजें याद रखना मुश्किल होता है। मनोभ्रंश रोग (डिमेंशिया) दिमाग की क्षमता का निरंतर कम होना है। यह दिमाग की बनावट में शारीरिक बदलावों के परिणामस्वरूप होता है। यह बदलाव स्मृति, सोच, आचरण तथा मनोभाव को प्रभावित करते हैं। अल्जाइमर रोग मनोभ्रंश रोग (डिमेंशिया) की सबसे सामान्य किस्म है।
मरीज के साथ परिवारवालों की भी होती है काउंसलिंग
मनकक्ष में तैनात क्लीनिकल साइकोलाजिस्ट अर्चना विश्वास का कहना है कि इन बीमारियों में मरीज के साथ परिवार के लोगों से भी मिला जाता है। उनसे बीमारी की पूरी हिस्ट्री ली जाती है। परिवारवालों को फैमिली थैरेपी के बारे में समझाया जाता है। उन्हें विहेवियर थैरेपी के बारे में भी बताया जाता है। इसके अलावा बीमारी से जागरूक करने के लिए सरकारी अस्पतालों के साथ वृद्धाश्रम में भी शिविर लगाया जा रहा है।
लक्षण
• मरीज छोटी छोटी बातों को भूलने लगता है।
• घड़ी, चश्मा, चप्पल जैसी जरूरी चीजें भूले लगता है।
• नाम, घर का पता, अपना व परिजनों का नाम भूल जाना।
• पहले से कम बोलना, चुपचाप रहना।
• भूख कम लगना और नींद भी कम आना।
• अपने आप बुदबुदाना।
• कुछ बोलना चाहते हो लेकिन जुबान पर न आना।
घर के सदस्य यह उपाय करें
• मरीज को अकेला न छोड़े।
• मरीज की जेब में नाम, पता, फोन नंबर रखे।
• शर्ट में उनका नाम लिखवाए।
• मरीज की देखभाल करना, उन्हें पर्याप्त समय देना।
• मरीज को चिकित्सक की सलाह के अनुसार भोजन देना।
-अल्जाइमर दिवस पर वृद्धाश्रम में लगा शिविर
जिला मानसिक स्वास्थ्य इकाई की ओर से नोडल अधिकारी डा. वीरेंद्र सिंह की मार्गदर्शन में विश्व अल्जाइमर दिवस पर राठ रोड स्थित वृद्धाश्रम में स्वास्थ्य शिविर लगाया गया। मनो चिकित्सक डा. बीमा चौहान, क्लीनिकल साइकोलाजिस्ट अर्चना विश्वास ने वहां 27 बुजुर्गों का स्वास्थ्य परीक्षण किया। इसमें छह बुजुर्ग अल्जाइमर बीमारी से पीड़ित मिले। जबकि दस बुजुर्गों ने नींद न आने की शिकायत की। कुछ ब्लडप्रेशर और शुगर से पीड़ित थे। सभी की जांच कर दवाएं दी गई और उनकी काउंसलिंग की गई।