डिप्थीरिया के केस मिलने पर तत्काल की जाए रिपोर्टिंग:सीएमओ
टीकाकरण कार्यक्रम में न बरती जाए लापरवाही, शत -प्रतिशत टीकाकरण करें सुनिश्चित
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से पांच साल तक के बच्चों की करें लाइन लिस्टिंग
जालौन : जिले में डिप्थीरिया का केस मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह अलर्ट है। टीकाकरण और सर्वे में लगी टीमों को निर्देशित किया गया है कि डिप्थीरिया के केस मिलने पर उनकी समय सेरिपोर्टिंग की जाए। मीजल्स रुबेलाके केस पर भी ध्यान दिया जाए।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. एनडी शर्मा ने बताया कि मुख्य चिकित्सा अधीक्षक जिला एवं महिला अस्पताल, सभी सीएचसी के अधीक्षक, पीएचसी के प्रभारी चिकित्सा अधिकारियों को पत्र भेजकर निर्देशित किया गया है कि डिप्थीरिया के केस पाए जाने के बाद तत्काल टीकाकरण की प्रभावी कार्रवाई कीजाए। नियमित टीकाकरण में लगी टीम डिप्थीरिया, मीजल्स और रुबेला के मामलों की तत्काल रिपोर्टिंग करना सुनिश्चित करें। उन्होंने निर्देशित कियाकिमीजल्स रूबेला के उन्मूलन के लिए जरूरी है कि प्रत्येक गांव के पांच साल तक के 95 फीसदी से अधिक बच्चों को दोनों डोज दी जाए। उन्होंने निर्देशित किया कि 10 से 16 साल तक के ऐसे बच्चे जिन्हें टीडी (टिटनेस, डिप्थीरिया) टीकाकरण पूरा नहीं किया गया है, उन बच्चों का सर्वे कराकर उनका शत प्रतिशत टीकाकरण सुनिश्चित किया जाए। मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के सहयोग से पांच साल तक के बच्चों की लाइन लिस्टिंग की जाए। इसके बाद विशेष माइक्रो प्लान बनाकर छूटे बच्चों का शत प्रतिशत टीकाकरण सुनिश्चित किया जाए। इसमें किसी तरह की लापरवाही न बरती जाए।
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डा. वीरेंद्र सिंह ने बताया कि टीमों को निर्देशित कर दिया गया है कि वह नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के अतंर्गत अपने -अपने क्षेत्र में टीकाकरण का काम शत प्रतिशत करना सुनिश्चित करें, जिससे डिप्थीरिया, मीजिल्स, रूबेला के आउट ब्रेक को रोका जा सके।
डिप्थीरिया में न बरते लापरवाही
जिला महिला अस्पताल में तैनात बाल रोग विशेषज्ञ डा. एसके पाल कहते है कि डिप्थीरिया एक संक्रामक बीमारी है। डिप्थीरिया के जीवाणु मुंह, नाक और गले में रहते हैं। डिप्थीरिया एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में खांसने और छींकने से फैलता है। बारिश के मौसम में डिप्थीरिया सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाता है। इसमें लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। डिप्थीरिया के लक्षण पांच दिनों में दिखाई देेने लगते हैं। त्वचा का रंग नीला होने लगता है। गर्दन में सूजन, गले में दर्द रहता है। संक्रमण फैलने के बाद बुखार भी आ जाता है। डिप्थीरिया से पीड़ित व्यक्ति को प्रतिरोधी टीके लगाए जाते हैं।