नशे से आजादी - राष्ट्रीय युवा एवं छात्र संवाद कार्यक्रम
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय नशा मुक्त भारत अभियान (एनएमबीए) नाम का एक प्रमुख अभियान चला रहा है, जिसका शुभारंभ 15 अगस्त 2020 को भारत के 272 जिलों में किया गया था। जैसा कि हमारा देश इस वर्ष अपनी स्वतंत्रता के 75 वर्ष मनाते हुए आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग ने नशा मुक्त भारत अभियान के तहत 4 अगस्त 2022 को “नशे से आजादी” - राष्ट्रीय युवा एवं छात्र संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया।
इस ऑनलाइन कार्यक्रम का आयोजन सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा माननीय केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार की अध्यक्षता में और माननीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री श्रीमती प्रतिमा भौमिक, माननीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री श्री ए. नारायणस्वामी, माननीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री श्री रामदास अठावले की सम्मानित उपस्थिति में किया गया था। सचिव (सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता) श्री आर. सुब्रह्मण्यम, अपर सचिव (सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता) श्री सुरेंद्र सिंह, संयुक्त सचिव (सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता) श्रीमती राधिका चक्रवर्ती और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया। 75 विश्वविद्यालयों और लगभग 700 संस्थानों ने इस ऑनलाइन कार्यक्रम में भाग लिया, जिसमें उनके कुलपति, संकाय सदस्य और चिन्हित किए गए विश्वविद्यालयों / संस्थानों के छात्र शामिल थे।
अपने मुख्य भाषण में, माननीय केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री ने कहा कि मादक पदार्थों का सेवन संबंधी विकार एक गंभीर समस्या है जो देश के सामाजिक ताने-बाने को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर रही है। किसी भी मादक पदार्थ पर निर्भरता न केवल व्यक्ति के स्वास्थ्य को प्रभावित करती है बल्कि उसके परिवार और पूरे समाज को भी प्रभावित करती है। भारत को नशीली दवाओं के प्रति संवेदनशील बनाना सरकार के साथ-साथ समुदाय और व्यक्तियों की भी जिम्मेदारी है। नशामुक्त भारत अभियान लगभग दो साल पहले 15 अगस्त 2020 को शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य युवाओं, महिलाओं और समुदाय की एक ऐसी सेना तैयार करना था जो आत्मनिर्भर और मादक द्रव्यों के सेवन के दुष्प्रभावों से अच्छी तरह से अवगत हो। नुक्कड़ नाटकों, साइकिल रैलियों, प्रतियोगिताओं और दीवार पर चित्रों के रूप में अपने अभिनव कार्यक्रमों के माध्यम से इस अभियान ने मौजूदा सामाजिक सोच को बदला है और एक क्रांति लाई है।
इस क्रांति को और अधिक ऊर्जा मिलनी चाहिए और एक ऐसी जागरूकता पैदा करनी चाहिए जो उन लोगों को रोशनी दिखाए जो मादक द्रव्यों के सेवन के विकारों से प्रभावित हैं। नशामुक्त भारत अभियान के तहत, यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि सभी को बिना किसी भेदभाव और कलंक के इलाज एवं पुनर्वास और बेहतरी के लिए एक समावेशी वातावरण मिले। मादक द्रव्यों के सेवन की इस सामाजिक समस्या को पारंपरिक प्रथाओं के माध्यम से हमारे देश के ताने-बाने में बुना गया है और इसे जनसंचार के चैनलों के माध्यम से लोकप्रिय बनाया गया है, जिसने इसको प्रभावित आबादी की दुर्दशा के प्रति असंवेदनशील बना दिया है। अक्सर यह कहा जाता है कि सामाजिक समस्याओं को समाप्त नहीं किया जा सकता है, लेकिन मैं वास्तव में एक ऐसे राष्ट्र की कल्पना करता हूं जहां सामूहिक प्रयास से इस समस्या का समाधान हो जाएगा। इस अभियान के माध्यम से उठाए अपने हर कदम के साथ हम सामूहिक प्रयास से इस सपने को साकार करने की ओर बढ़ रहे हैं। सभी को दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ एकजुट होना चाहिए और मादक पदार्थों के उपयोग के प्रति एक जागरूक भारत के भविष्य में विश्वास करना चाहिए।
मध्य प्रदेश के समाज कल्याण विभाग में प्रधान सचिव श्री प्रतीक हजेला द्वारा “एनएमबीए के तहत प्रशासन कैसे शैक्षणिक संस्थानों के साथ जुड़ा” के बारे में एक प्रस्तुति दी गई। इस प्रस्तुति में इस अभियान के तहत मध्य प्रदेश में नशीली दवाओं के उपयोग और इसके प्रभाव से उत्पन्न चुनौती से निपटने के तौर - तरीकों को प्रदर्शित किया गया था।
इसके बाद, देश के सभी चार क्षेत्रों के नौ विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने अपने विचारों को साझा किया और इस अभियान के तहत उनके द्वारा की गई विभिन्न गतिविधियों की जानकारी दी। माननीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री ने कुछ छात्रों और मादक द्रव्यों के सेवन की समस्या से उबरने वालों के साथ बातचीत भी की। इन छात्रों ने एनएमबीए के तहत अपने संस्थानों द्वारा की जा रही विभिन्न गतिविधियों के बारे में बताया। इस कार्यक्रम में लगभग एक लाख छात्रों ने भाग लिया।
इन 75 विश्वविद्यालयों और उनके अधीन आने वाले लगभग 700 संस्थानों ने 04.08.2022 को दिन भर ऑनलाइन / ऑफलाइन मोड में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए।