जनजातीय युवाओं में कौशल विकास और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए ग्रामीण उद्यमी परियोजना रांची में शुरू की गई, इससे कौशल भारत अभियान को बढ़ावा मिलेगा
कौशल समृद्धि का पासपोर्ट है: कौशल विकास और उद्यमिता राज्य मंत्री श्री राजीव चंद्रशेखर
श्री नरेन्द्र मोदी ने इस बात पर बल दिया है कि आत्मनिर्भर भारत का मार्ग आत्मनिर्भर गांवों, आत्मनिर्भर कस्बों और आत्मनिर्भर जिलों से होकर जाएगा -श्री राजीव चंद्रशेखर
जनजातीय क्षेत्रों में युवाओं को बहु-कौशल युक्त करने के लिए परियोजना के दूसरे चरण की झारखंड के रांची में की गई
राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) ने सेवा भारती और युवा विकास सोसाइटी के साथ साझेदारी में जनजातीय समुदायों में उनके समावेशी और सतत विकास के लिए कौशल प्रशिक्षण बढ़ाने के लिए आज ग्रामीण उद्यमी परियोजना के दूसरे चरण का शुभारंभ किया। इस पहल के अंतर्गत, यह प्रयास भारत के युवाओं को बहु-कौशल प्रदान करना और उन्हें आजीविका उपार्जन के लिए सक्षम बनाने के लिए कार्यात्मक कौशल प्रदान करना है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने जनजातीय समुदायों को कार्यबल में शामिल करने, उनके समग्र विकास को सुनिश्चित करने और उन्हें अपने संबंधित भौगोलिक क्षेत्रों में शामिल करने पर बल दिया है।
केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कौशल विकास और उद्यमिता राज्य मंत्री (एमओएस); और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री श्री राजीव चंद्रशेखर ने वर्चुअल माध्यम से इस कार्यक्रम को संबोधित किया। इसके अलावा जनजातीय कार्य और जल शक्ति राज्य मंत्री ने अपने उत्साहजनक शब्दों से कार्यक्रम में उपस्थित जन समूह को प्रेरित किया।
इस कार्यक्रम में प्रमुख गणमान्य व्यक्तियों में श्री वी. सतीश, महामन्त्री, राष्ट्रीय सह संगठन, श्री समीर उरांव, राष्ट्रीय अध्यक्ष, अनुचित जाति मोर्चा और राज्यसभा के सदस्य तथा, झारखंड में गुमला के विधायक श्री शिवशंकर उरांव ने भी भाग लिया।
ग्रामीण उद्यमी एक अनूठी बहु-कौशल परियोजना है, जिसे राष्ट्रीय कौशल विकास निगम-एनएसडीसी द्वारा वित्त पोषित किया गया है, जिसका उद्देश्य मध्य प्रदेश और झारखंड में 450 जनजातीय विद्यार्थियों को प्रशिक्षित करना है। यह परियोजना छह राज्यों- महाराष्ट्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, झारखंड और गुजरात में लागू की जा रही है। इस अवधारणा को केंद्रीय राज्य मंत्री श्री राजीव चंद्रशेखर और आदिवासी सांसदों द्वारा कार्यान्वित किया गया था।
इस अवसर पर अपने संबोधन में, श्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि हमारा पूरा ध्यान जनजातीय आबादी के लिए स्थायी आजीविका को मजबूत करने पर है। श्री मुंडा ने कहा कि इस कार्य के लिए विशेष रूप से आदिवासी क्षेत्रों के लिए, केंद्र सरकार ने 85,000 करोड़ के बजट को मंजूरी दी है। उन्होंने कहा कि स्वामित्व बढ़ाने की भी सख्त जरूरत है ताकि ऐसी योजनाओं और पहलों के बारे में जागरूकता पैदा हो। श्री मुंडा ने कहा कि आदिवासी युवाओं में इतनी शक्ति और क्षमता है कि हमें बस इतना करना है कि वे अपनी प्रतिभा का सही जगह उपयोग कर सकें। उन्होंने कहा कि ग्रामीण उद्यमी परियोजना झारखंड के जनजातीय समुदायों के लिए बड़ा बदलाव करने वाली साबित होगी और उन्हें अपने पैरों पर खड़े होने के सही अवसर प्रदान करेगी। उन्होंने ग्राम पंचायतों, गांवों और प्रखंडों से युवाओं की प्रगति के लिए इन पहलों को लाने का आग्रह किया।
श्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि हमने हाल ही में भारत के समृद्ध अतीत का सम्मान करने के लिए आजादी का अमृत महोत्सव मनाया और 25 वर्षों के लिए नए भारत के लिए एक दृष्टि अमृत काल के लिए खुद को प्रतिबद्ध किया। यह नया भारत देश के युवाओं के लिए नए अवसर और बेहतर संभावनाएं लेकर आएगा। हम सभी ने कोविड-19 से पैदा हुई चुनौतियों को देखा, लेकिन इस गंभीर स्थिति पर भारत की जीत का भी अनुभव किया और हमारे प्रयासों को विश्व स्तर पर मान्यता मिली। हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इस बात पर बल दिया है कि आत्मनिर्भर भारत का मार्ग आत्मनिर्भर गांवों, आत्मनिर्भर कस्बों और आत्मनिर्भर जिलों से होकर जाएगा। उन्होंने कहा कि इसी लिए, हमारे जनजातीय समुदाय भारत के आर्थिक विकास को आगे बढ़ाने के हमारे प्रयासों में वरीयता प्राप्त करते हैं। उन्होंने आशा व्यक्त की कि ग्रामीण उद्यमी परियोजना ने मध्य प्रदेश में जो सफलता प्राप्त की है, उसे झारखंड में भी वही प्रतिक्रिया मिलेगी क्योंकि कौशल किसी भी क्षेत्र की समृद्धि का पासपोर्ट है।
श्री बिश्वेश्वर टुडू ने कहा कि जब यदि शहर विकसित होंगे तो एक राष्ट्र का विकास हो सकता है और अगर हम गांवों के विकास में निवेश करेंगे तो हमारे शहर विकसित होंगे। श्री टुडू ने कहा कि इसका एक प्रमुख घटक हमारे जनजातीय समुदायों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना है ताकि उनके विकास के लिए कई संभावनाएं खुल सकें। प्रधानमंत्री, श्री नरेन्द्र मोदी ने हमारे जनजातीय क्षेत्रों की समावेशिता और वित्तीय विकास पर भी ध्यान केंद्रित किया है और निश्चित रूप से, ग्रामीण उद्यमी परियोजना हमारी जनजातीय आबादी को आर्थिक सशक्तीकरण प्रदान करेगी। उन्होंने कहा कि भारत के आर्थिक इंजन को गति देने के लिए कई योजनाएं और पायलट परियोजनाएं भी शुरू की गई हैं।
प्रशिक्षण के पहले चरण में, महाराष्ट्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और गुजरात के ग्रामीण और जनजातीय क्षेत्रों के प्रतिभागियों को शामिल किया गया है। चूंकि प्रतिभागी ग्रामीण क्षेत्रों से आए थे, इसलिए प्रतिभागियों को परिवहन, खान-पान और आवास की सुविधा प्रदान की गई थी ताकि वे संसाधनों की कमी के कारण सीखने के अवसर से न चूक जाएं। मध्य प्रदेश के भोपाल में मई, 2022 के महीने में सात समूहों में 157 प्रतिभागियों का प्रशिक्षण शुरू हुआ और लगभग 133 प्रतिभागियों ने 27 जून, 2022 को सफलतापूर्वक प्रशिक्षण पूरा किया। आज रांची में शुरू की गई पायलट परियोजना के दूसरे चरण को युवा विकास सोसायटी द्वारा रांची में सेवा भारती केंद्र के माध्यम से लागू किया जा रहा है। कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के तत्वावधान में राष्ट्रीय कौशल विकास निगम ने सेवा भारती केंद्र कौशल विकास केंद्र में सेक्टर स्किल काउंसिल (एसएससीएस) के माध्यम से प्रयोगशालाओं और कक्षाओं की स्थापना में सहायता की है।
परियोजना के अंतर्गत प्रशिक्षण निम्नलिखित नौकरी की भूमिकाओं में उपयोग किया जाएगा जो स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए प्रासंगिक हैं।
इलेक्ट्रीशियन और सोलर पीवी इंस्टालेशन टेक्निशियन
प्लम्बिंग और चिनाई
2-पहिया वाहन मरम्मत और रखरखाव
ई-गवर्नेंस के साथ आईटी/आईटीईएस
फार्म मशीनीकरण
सांसद परिषद योजना के अंतर्गत ग्रामीण उद्यमी योजना लागू की गई है। जनवरी 2020 में जनजातीय समुदायों के उत्थान पर चर्चा करने के लिए माननीय सांसदों का दो दिवसीय सम्मेलन मुंबई में आयोजित किया गया था, जिसमें विभिन्न विशेषज्ञों और सरकारी संगठनों ने अपने अनुभव साझा किए। इसके अलावा, अनुसूचित जनजाति संगठनों ने 'संसदीय एसटी क्लस्टर विकास परियोजना' का आह्वान किया, जिसे शुरू किया गया है। जिसके अंतर्गत भारत के 15 राज्यों में 49 समूहों का चयन लोकसभा और राज्यसभा के 40 जनजातीय सांसदों द्वारा किया गया है। उनके नेतृत्व में योजना को संबंधित क्लस्टरों में क्रियान्वित किया जाएगा। प्रत्येक क्लस्टर में सांसदों द्वारा एक विकास सहयोगी की नियुक्ति की जाती है।
परियोजना के अंतर्गत निम्नलिखित उद्देश्यों को प्राप्त किया जाना चाहिए:
ग्रामीण/स्थानीय अर्थव्यवस्था में वृद्धि
रोजगार के अवसर बढ़ाना
स्थानीय अवसरों की कमी के कारण जबरन प्रवास को कम करना
प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण
कौशल और शिक्षा की कमी के कारण, राष्ट्रीय औसत की तुलना में संगठित क्षेत्रों में जनजातीय आजीविका में बहुत कम योगदान है। इसलिए, ग्रामीण उद्यमी परियोजना जैसी पहल उनकी बेहतरी के लिए और उनकी आजीविका सृजन सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।