विश्व अंगदान दिवस (13 अगस्त ) पर विशेष
मृत्यु के बाद अपने अंग दान से दे सकते हैं दूसरों को जीवनदान
युग दधीचि संस्था के माध्यम से जल्द लगेगा अंगदान पंजीकरण शिविर
जालौन : अंग दान के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाने और अंगों को दान करने से संबंधित मिथकों को दूर करने के लिए हर साल 13 अगस्त को विश्व अंगदान दिवस मनाया जाता है। यह दिन व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसके अंग दान के द्वारा किसी दूसरे व्यक्ति को जीवनदान के महत्व के बारे में जागरूक एवं प्रोत्साहित करता हैI किडनी, हार्ट, आंखें, फेफड़े आदि जैसे अंगों के दान से उन लोगों के जीवन को बचाने में मदद मिल सकती है, जिनके अंग किसी प्रकार की बीमारी द्वारा खराब हो गए हैं। अंगदान पूर्ण रूप से स्वेच्छा से किया जाने वाला कार्य है।
राजकीय मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा. डी नाथ ने बताया कि अंग दान करना किसी को एक नया जीवन देना है। कोई भी स्वेच्छा से अपनी उम्र, जाति और धर्म की परवाह किए बिना अंग दाता बन सकता है। हालांकि, यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि स्वेच्छा से अपने अंग दान करने वाले व्यक्ति को एचआईवी, कैंसर, हृदय और फेफड़ों से संबन्धित किसी प्रकार की कोई बीमारी तो नहीं है।
मरने के बाद भी शरीर काम आएगा तो मिलेगी आत्मिक शांति
अंगदान करने की घोषणा कर चुके रेलवे में तैनात कर्मचारी डा. आर के शाक्या का कहना है कि वह समाजसेवा से जुड़े हैं, और जीते जी तो वह समाज के लिए काम कर ही रहे है, मरने के बाद भी यदि यह शरीर किसी के काम आ जाए तो उन्हें आत्मीय शांति मिलेगी। लोगों को देहदान को लेकर भ्रम नहीं पालना चाहिए।
अंगदान दिवस पर करा सकते हैं रजिस्ट्रेशन
राजकीय मेडिकल कालेज में एनाटोमी विभाग के प्रमुख डॉ. आलोक कुमार ने बताया कि राष्ट्रीय अंगदान दिवस का उद्देश्य है कि लोग जागरूक हो एवं अंगदान के लिए आगे आए। उन्होंने कहा कि अंगदान करने वाले विभाग में आकर रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। फिलहाल चार लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया है। फिलहाल कुठौंद के एक रिटायर्ड शिक्षक ने अंगदान के लिए आवेदन किया है। अंगदान कर हम दुनिया से जाने के बाद भी किसी व्यक्ति का जीवन और परिवार की खुशियां बचा सकते हैंI इसके प्रति भ्रांतियां दूर आसपास जागरूकता फैलानी चाहिए।
दधीचि संस्था के माध्यम से जल्द लगेगा अंगदान पंजीकरण शिविर
मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा. डी नाथ कहते है कि अब कानपुर की युग दधीचि देहदान संस्था के माध्यम से अंगदान की प्रक्रिया पूरी होती है। यदि कोई अंगदान करना चाहता है तो वह दधीचि संस्था के माध्यम से पंजीकरण करा सकता है। दधीचि संस्था के प्रमुख मनोज सेंगर ने आश्वासन दिया है कि जल्द ही जालौन जिले में अंगदान के इच्छुक महादानियों के लिए शिविर लगाकर पंजीकरण कराएंगे।
जीते जी और मरने के बाद अंग किए जा सकते हैं डोनेट
अंगदान दो तरह का होता है. पहला जीवित अंगदान और दूसरा मृत्यु के बाद अंगदान। जीवित अंगदान में कोई व्यक्ति किडनी और पैंक्रियास का कुछ हिस्सा जरूरतमंदों की मदद के लिए दान कर सकता है। मृत्यु के बाद अंगदान में मृत व्यक्ति के वो सभी अंग दान किए जा सकते हैं जो ठीक से काम करते हो। अंगदान में सामान्य रूप से 8 अंग शामिल हैं, जिनका दान किया जा सकता है. मृत व्यक्ति का किडनी, लीवर, फेफड़ा, ह्रदय, पैंक्रियास और आंत का अंगदान किया जा सकता है। जीवित शख्स अगर चाहे तो वो अपनी एक किडनी, एक फेफड़ा, लीवर का कुछ हिस्सा, पैंक्रियास और आंत का कुछ हिस्सा दान कर सकता है। इसके अलावा आंखों समेत बाकी तमाम अंगों दान मृत्यु के बाद ही किया जाता है।