महत्वपूर्ण है कि एक फिल्म दिल को कैसे आकर्षित करती है : #MIFF2022 की राष्ट्रीय ज्यूरी
#MIFF2022 फिल्मों के राष्ट्रीय निर्णायक मंडल के सदस्यों का कहना है कि फिल्मों की संपूर्ण विषय वस्तु दिल को कैसे आकर्षित करती है, यह बहुत महत्वपूर्ण है। निर्याणक मंडल के सदस्यों ने यह भी कहा कि मुंबई अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह में दिखाई गई फिल्मों में अनेक सामाजिक विषय सामने आए। निर्याणक मंडल के सदस्य महोत्सव के सिलसिले में आयोजित #MIFFDialogues में मीडिया और प्रतिनिधियों के साथ बातचीत कर रहे थे। #MIFF2022 राष्ट्रीय निर्णायक मंडल के सदस्य संजीत नार्वेकर, सुभाष सहगल, तारिक अहमद, जयश्री भट्टाचार्य तथा एशले रत्नविभूषण ने बातचीत में भाग लिया।
#MIFFDialogue प्रारंभ करते हुए डॉक्यूमेंट्री फिल्म निर्माता और लेखक संजीत नार्वेकर ने कहा कि निर्णायक मंडल अपने सभी निर्णयों के बारे में एकमत था। उन्होंने कहा कि चयन समिति की प्रशंसा की जानी चाहिए कि उन्होंने फिल्मों का एक अद्भुत विकल्प बनाया। उन्होंने कहा कि स्क्रीनिंग के दौरान हमने जो पहली चीज देखी, वह थी कहानी और इसका प्रभाव। शॉट्स, फिल्मांकन, छायांकन, संपादन, ध्वनि और ऐसे अन्य तकनीकी पहलू बाद में ही आए।
प्रश्नों का उत्तर देते हुए संजीत नार्वेकर ने कहा कि यह देखना पुराना तरीका है कि वृत्तचित्रों में कितना प्रलेखन है। अब फिल्मों के केवल दो खंड होते हैं-फिक्शन (काल्पनिक) और नन फिक्शन (गैर-काल्पनिक)। नन- फिक्शन फिल्म मनोरंजक, जीवनी, बायोपिक या कुछ भी हो सकती है। यह आवश्यक नहीं है कि नन-फिक्शन किसी व्यक्ति या संस्कृति का प्रलेखन करे।
उन्होंने इस बात की आलोचना की कि अधिकतर भारतीय वृत्तचित्र अभी भी कथन या कमेंट्री पर बहुत जोर देते हैं। लेकिन कुछ भारतीय फिल्म निर्माता विशेष रूप से युवा निर्माता कहानी कहने के गैर-रैखिक तरीकों को अपना रहे हैं।
प्रसिद्ध फिल्म संपादक सुभाष सहगल ने एमआईएफएफ द्वारा फिल्मों में बाल उत्पीड़न, महिलाओं के मुद्दे, बाल विवाह, पानी की कमी, जंगल की कमी जैसे कई विषय लिए जाने के लिए उसकी सराहना की। पुरस्कार चयन में तकनीकी कौशल की तुलना में सामग्री पर अधिक बल देने के अंतर्राष्ट्रीय जूरी के निर्णय के विपरीत, सुभाष सहगल ने कहा कि राष्ट्रीय निर्णायक मंडल ने फिल्म निर्माण के तकनीकी पक्ष और विषय वस्तु दोनों को एक समान माना। उन्होंने कहा कि एमआईएफएफ ने विभिन्न विषयों के सभी प्रकार का एक सुंदर गुलदस्ता प्रस्तुत किया है।
ढाका डॉकलैब के निदेशक तारिक अहमद ने कहा कि वृत्तचित्र फिल्म निर्माण की शैली के लिए वास्तव में रचनात्मकता अर्थ रखता है। आप कहानी कैसे सुनाते हैं यह बहुत महत्वपूर्ण है। आजकल मोबाइल फोन से कोई भी फिल्म बना सकता है। आपको ऐसा करने की स्वतंत्रता है। लेकिन क्या आप इसकी गणना एक वृत्तचित्र के रूप में कर सकते हैं यह इस बात पर निर्भर है कि आप कितने रचनात्मक रूप से इस फिल्म को बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि यही कारण है कि हमने पुरस्कार चयन में रचनात्मकता को सबसे ऊपर रखा है न कि केवल विषय वस्तु को।
फिल्म निर्माता जयश्री भट्टाचार्य भी मानती हैं कि MIFF2022 में अनेक फिल्में सामाजिक मुद्दों पर है। उन्होंने कहा कि युवा सामाजिक मुद्दों को जिस तरह से देखते हैं और जिस तरह से उन्होंने इसे पेश किया है, वह भी दिलचस्प है।
बातचीत में शामिल श्रीलंकाई पत्रकार और लेखक एशले रत्नविभूषण ने कहा कि यद्यपि डिजिटल फिल्म निर्माण बहुत आसान है, लेकिन कभी-कभी यह रचनात्मकता को मारता है। उन्होंने नेटवर्क फॉर द प्रमोशन ऑफ एशिया पैसिफिक सिनेमा (एनईटीपीएसी) के बारे में भी बताया, जिसके वे जूरी समन्वयक हैं।