कोविन : मिथक बनाम तथ्य

कोविन : मिथक बनाम तथ्य

कोविन ने भारत के कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम के डिजिटल आधारस्तंभ के रूप में सफलतापूर्वक कार्य किया है

‘समस्या बताएं’ की सुविधा के साथ कोविन में एक मजबूत शिकायत निवारण प्रणाली उपलब्ध है


मीडिया की कुछ खबरों में यह आरोप लगाया गया है कि कोविन में तकनीकी गड़बड़ियों की वजह से पुणे जिले में 2.5 लाख लाभार्थियों को कोविड के टीके की पहली खुराक लेने पर दो प्रमाण - पत्र जारी किए गए हैं।


कोविन ने भारत के कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम के डिजिटल आधारस्तंभ के रूप में सफलतापूर्वक काम किया है। इसने इस प्लेटफार्म पर पंजीकृत भारत के 100 करोड़ से अधिक निवासियों को कोविड-19 टीकाकरण की 190 करोड़ से अधिक खुराकें दिया जाना संभव बनाया है। इस किस्म की व्यापक उपलब्धि एक दिन भी बाधित हुए बिना हासिल की गई है।


यह प्लेटफार्म बेहद सरल और उपयोग करने में आसान है। इस प्लेटफार्म पर पंजीकरण के लिए, लाभार्थी को तीन विकल्प - वॉक-इन (ऑफलाइन), ऑनलाइन पोर्टल और हेल्पलाइन एवं सीएससी (सामान्य सेवा केंद्र) के माध्यम से सहायता - प्रदान किए जाते हैं। एक व्यक्ति को पंजीकरण के लिए सिर्फ अपना मोबाइल नंबर देने के साथ – साथ टीकाकरण के लिए अपॉइंटमेंट निर्धारित करने या टीकाकरण केन्द्र पर पहुंचने के बाद टीका लेने के लिए नाम, आयु (जन्म का वर्ष) और लिंग संबंधी न्यूनतम जानकारी मुहैया कराने की जरूरत होती है। पहचान संबंधी प्रमाण के तौर पर, 9 फोटोयुक्त पहचान पत्रों में से एक चुनने का विकल्प दिया गया है।


हालांकि, यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि टीकाकरण की पहली खुराक प्राप्त करने के बाद, एक लाभार्थी को टीकाकरण की पहली खुराक के समय उपयोग किए गए मोबाइल नंबर के साथ ही उसी टीके की दूसरी खुराक निर्धारित करने या लेने की जरूरत होती है। एक ही लाभार्थी को दी गई पहली और दूसरी खुराक के विवरण को दर्ज करने की यही एकमात्र विधि है। यदि कोई लाभार्थी दूसरी खुराक के लिए एक अलग मोबाइल नंबर का उपयोग करता है और टीकाकरण का समय निर्धारित करता है, तो यह स्वतः ही उस लाभार्थी के लिए पहली खुराक के रूप में दर्ज किया जाएगा। इसके अलावा, दो अलग-अलग मोबाइल नंबरों पर एक ही पहचान प्रमाण का उपयोग करने की अनुमति नहीं है।


ऐसी स्थितियों के संबंध में एक प्रावधान है जिसमें एक व्यक्ति ने एक ही पंजीकृत मोबाइल नंबर के तहत दो अलग-अलग पहचान प्रमाण प्रदान किए हों। यदि नाम, आयु और लिंग लाभार्थी द्वारा प्रस्तुत किए गए फोटो पहचान पत्र के अनुसार मेल खाते हैं, तो कोविन दोनों खुराकों के लिए एकल पूर्ण टीकाकरण प्रमाण पत्र प्रदान करने हेतु दो प्रथम खुराक के प्रमाणपत्रों को  मिलाने का तत्काल संकेत देता है।


यह धारणा बेमानी है कि इस प्रणाली को दो अलग-अलग मोबाइल नंबरों और फोटो पहचान पत्रों के साथ पंजीकृत किसी लाभार्थी के दो प्रथम खुराक के प्रमाणपत्रों को अवश्य स्वीकृत करना चाहिए। एक अरब से अधिक आबादी वाले इस देश में एक ही नाम, आयु और लिंग के सैकड़ों-हजारों व्यक्ति हो सकते हैं। यदि ऐसी सेवा प्रदान की जाती, तो हम असमंजस में फंसे रह जाते और इस बात की प्रार्थना करते रहते कि इस देश में एक ही नाम, उम्र और लिंग का कोई अन्य व्यक्ति न हो।


इसलिए, डेटा-एंट्री से संबंधित मानवीय त्रुटि को तकनीकी गड़बड़ी कहना एक निराधार तर्क है। ऐसी स्थिति हो सकती है जिसमें किसी लाभार्थी को अपने पति या माता-पिता के साथ दूसरे व्यक्ति के मोबाइल नंबर और उनके ड्राइविंग लाइसेंस के तहत टीकाकरण की पहली खुराक मिल गई हो। और फिर उसी लाभार्थी ने अपने पैन कार्ड के साथ अपने मोबाइल नंबर के तहत व्यक्तिगत रूप से अपनी दूसरी खुराक ली हो। इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि उस लाभार्थी के पास प्रथम खुराक के दो अलग-अलग प्रमाण पत्र होंगे, क्योंकि यह प्रणाली सही ही उसे दो अलग-अलग व्यक्ति के रूप में पहचानेगा।


इसके अलावा, डेटा-एंट्री संबंधी ऐसी मानवीय त्रुटि हुई होंगी। कोविन प्रणाली ऐसी संभावनाओं से अनजान नहीं है और उसमें शिकायत निवारण की एक मजबूत की व्यवस्था उपलब्ध है। लोगों के फीडबैक के लिए हमेशा खुला रहने वाले कोविन ने ऑनलाइन पोर्टल पर ‘समस्या बताएं' नाम की एक सुविधा मुहैया करायी है। सीएससी (सामान्य सेवा केंद्र) के प्रावधान और कॉल करने के लिए एक हेल्पलाइन के साथ लोगों के लिए इस प्रणाली में आम तौर पर देखे और व्यापक रूप से पाए जाने वाली आठ समस्याओं के डिजिटल तरीके से समाधान की व्यवस्था की गई है। इसी तरह, कोई भी व्यक्ति अपने दो प्रथम खुराक के प्रमाणपत्रों को आसानी से मिला सकता है, बशर्ते उसके नाम, आयु और लिंग में मेल हो और उसे दो पंजीकृत खाते ज्ञात हों।


कोविन एक बहुमुखी प्लेटफार्म है जिसने रिकॉर्ड गति से देश की पूरी आबादी के लिए अपना विस्तार किया है। इस जनोपयोगी डिजिटल व्यवस्था को दिन-रात जनता की सेवा में बनाए रखने वाली टीम की क्षमता को बदनाम करने के लिए एक मानवीय त्रुटि को “तकनीकी गड़बड़ी” के रूप में वर्णित करना निराशाजनक है।

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Journalist Anil Prabhakar

Editor UPVIRAL24 NEWS