जालौन : प्रसव प्रबंधन में कुशल परिचारक का होना आवश्यक : डॉ. त्रिपाठी
जालौन : जनपद में स्टाफ नर्स और एएनएम को प्रसूति पीड़ा और प्रसव के दौरान होने वाली देखभाल के बारे में प्रशिक्षित किया जा रहा है। पांच दिवसीय यह प्रशिक्षण सत्र जिला महिला अस्पताल की दक्षता लैब में चल रहा है।
जिला महिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एके त्रिपाठी ने कहा कि इस प्रशिक्षण का उद्देश्य मातृ एवं शिशु मृत्यु दर रोकना और उन्हें समय से सुरक्षित प्रसव कराना है। कुशल प्रसव सहायक की मौजूदगी में मातृ मृत्यु दर में कमी आती है और प्रसव संबंधी किसी दिक्कत के समय महिला के घर के नजदीक जरूरी प्रसव सेवाओं का पैकेज उपलब्ध होने से भी मातृ मृत्यु दर में कमी आती है। कुशल प्रसव सहायक वह होता है जो प्रसव संबंधी दिक्कतों को संभाल सके।
जिला महिला अस्पताल की दक्षता लैब में 28 प्रशिक्षणार्थियों को पांच दिन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रशिक्षण के चौथे दिन मंगलवार को बाल रोग विशेषज्ञ एवं एसएनसीयू वार्ड के प्रभारी डा. एस.के पाल ने कहा कि प्रसूति पीड़ा के दौरान महिला और उसके परिवार को साफ और सुरक्षित प्रसव के लिए प्रेरित करें। प्रत्येक जन्म के समय कुशल सहायक की उपस्थिति सुनिश्चित करें। प्रसूति पीड़ा के दौरान महिला को उस स्थिति में रखे, जो उसे ठीक लगे और आरामदायक हो। प्रसव पीड़ा के तीसरे चरण का प्रबंधन सुनिश्चित करें ताकि प्रसव के उपरांत रक्तस्राव को बचाया जा सके।
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. संजीव प्रभाकर ने कहा कि सबसे पहले यह समझना चाहिए कि हर गर्भवती महिला जोखिम में है। गर्भवती की सभी जांचें सुनिश्चित होनी चाहिए।
लेबर रूम की इंचार्ज सिस्टर रामजानकी ने सच्ची प्रसव पीड़ा के बारे में बताते हुए कहा कि महिला रुक रुककर होने वाले पेटदर्द की शिकायत करती है, जो गर्भ के 22 सप्ताह केबाद कभी भी शुरू हो सकता है। इस दर्द के साथ अक्सर रक्तमिश्रित स्राव देखा जा सकता है। नर्स मेंटर प्रज्ञा सचान ने कहा कि प्रत्येक मुलाकात के बाद गर्भवती महिला के साथ दोस्ताना व्यवहार करें। महिला की समस्याएं और चिंताएं ध्यान से सुने और उसे सही सलाह दें। जरूरी होने पर उसे उच्चतर सेंटर के लिए रेफर करें। रेफरल इकाई जो भी नजदीक हो, उसे रेफर करें। इस दौरान सुशील मौर्या, आरती परिहार, वंदना मौर्या, पुष्पलता, रोशनी पाल, आरती सोलंकी, अनीता पाल, वीना मिश्रा, आदि मौजूद रहे।