यह कहना पूरी तरह से गलत है कि केंद्र सरकार किसी भी राज्य को किसी विशेष डेवलपर से अक्षय ऊर्जा खरीदने के लिए दबाव डालती है
एसईसीआई द्वारा खुली बोलियों के माध्यम से अक्षय ऊर्जा की सभी खरीद की जाती है
केंद्रीय विद्युत एवं एनआरई मंत्री श्री आर.के. सिंह ने कहा है कि यह पूरी तरह से गलत और झूठ है कि केंद्र सरकार किसी भी राज्य को किसानों के बिजली कनेक्शनों के मीटर के लिए दबाव डाल रही है
तेलंगाना में तैयार की जा रही पनबिजली क्षमता के लिए पीएफसी और आरईसी द्वारा 55,000 करोड़ का ऋण दिया जा रहा है और ये दोनों भारत सरकार के तहत केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रम हैं
अक्षय ऊर्जा खरीद दायित्व (आरपीओ) विश्व स्तर पर देशों द्वारा जीवाश्म ईंधन से गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों की ओर बढ़ने के लिए की गई अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धता का हिस्सा है
विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय को तेलंगाना के मुख्यमंत्री द्वारा 11.02.2022 को जनगांव जिला मुख्यालय में दिए गए एक भाषण में उनके वक्तव्य का एक मूलपाठ देखने को मिला है। विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री आर. के. सिंह का कहना है कि यह पूरी तरह से झूठ है।
यह कहना सरासर गलत है कि केंद्र सरकार किसी भी राज्य पर किसी विशेष डेवलपर से अक्षय ऊर्जा खरीदने के लिए दबाव डालती है। राज्य अपनी बोलियां रखने और उन बोलियों के आधार पर किसी भी डेवलपर से अक्षय ऊर्जा खरीदने के लिए स्वतंत्र हैं। भारतीय सौर ऊर्जा निगम (एसईसीआई) समय-समय पर अक्षय ऊर्जा के लिए खुली बोलियां भी आमंत्रित करता है। ये बोलियां अत्यधिक प्रतिस्पर्धी हैं, क्योंकि इस प्रतिस्पर्धा में अनेक कंपनियां हिस्सा लेती हैं और कम से कम टैरिफ की पेशकश करने वाली कंपनियों को खुली बोली के माध्यम से पारदर्शी तरीके से चुना जाता है। इसके बाद, जो राज्य उन बोलियों से बिजली खरीदना चाहते हैं, वे अपनी आवश्यकता के अनुसार ऐसा करते हैं। वे बोलियों में निर्धारित दरों पर बिजली खरीदना चाहते हैं या नहीं, यह पूरी तरह से राज्यों का अपना निर्णय है। वे खुद बोली लगाने का विकल्प भी चुन सकते हैं। इसलिए मुख्यमंत्री का बयान पूरी तरह से झूठा था।
जहां तक अक्षय ऊर्जा खरीद दायित्व (आरपीओ) का सरोकार है, यह जीवाश्म ईंधन से गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों की ओर बढ़ने के लिए देशों द्वारा की गई अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धता का एक हिस्सा है। आज पूरी दुनिया बिगड़ते पर्यावरण, बढ़ते उत्सर्जन और ग्लोबल वार्मिंग से चिंतित है और दुनिया के सभी प्रमुख देशों ने जीवाश्म ईंधन से गैर-जीवाश्म ईंधन की ओर बढ़ने तथा अक्षय ऊर्जा को अपनाकर उत्सर्जन को कम करने की प्रतिबद्धता जताई है। सभी प्रमुख देशों ने अपने लिए निर्धारित अलग-अलग तिथियों पर उत्सर्जन को शून्य के स्तर तक लाने का संकल्प लिया है। विकसित देशों ने 2050 तक उत्सर्जन को शून्य के स्तर पर लाने का संकल्प लिया है। भारत ने 2070 तक उत्सर्जन को शून्य के स्तर पर लाने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है। गैर-जीवाश्म ईंधन यानी अक्षय ऊर्जा की ओर बढ़ना उस प्रतिबद्धता का हिस्सा है।
मुख्यमंत्री ने पनबिजली की भी बात की है। वे जिस पनबिजली क्षमता की बात कर रहे हैं, उसका निर्माण पीएफसी और आरईसी द्वारा दिए गए ऋणों के बल पर किया जा रहा है और ये दोनों भारत सरकार के तहत केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रम हैं। पीएफसी और आरईसी ने मिलकर कलेश्वरम, पलामुरु और अन्य परियोजनाओं के लिए 55,000 करोड़ रुपये के ऋण दिए हैं। उन्हें इन परियोजनाओं के लिए भारत सरकार का आभारी होना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने एक और बयान दिया कि केंद्र सरकार राज्यों पर किसानों को बिजली के कनेक्शन के लिए मीटर लगाने का दबाव बना रही है। यह कथन पूर्णतया गलत - झूठ है।
इस तरह के झूठे और निराधार बयान उस व्यक्ति को शोभा नहीं देते जो मुख्यमंत्री के प्रतिष्ठित पद पर आसीन है।