संसार में मित्र से बड़ा कोई नाता नहीं : दद्दा जी महाराज
रिपोर्ट :- विजय द्विवेदी
रामपुरा, जालौन : संसार में मित्र से बड़ा कोई संबंध नहीं क्योंकि मित्र ही दूसरे मित्र के हृदय की भावनाओं को जानकर उसके सुख दुख का साथी होता है। आज ग्राम जालौन खुर्द (झराहला) में श्रीमद्भागवत पुराण कथा विश्राम दिवस के अवसर पर सुप्रसिद्ध कथावाचक पंडित सुशील कुमार मिश्र 'दद्दा जी महाराज' ने सुदामा चरित्र कथा में कहा कि बचपन की मित्रता को हृदयांगन कर भगवान श्री कृष्ण अपने पद वैभव को विस्मृत कर बाल सखा सुदामा जी की दीन दशा को देखकर रो पड़े। उनकी आंखों आंखों से आंसुओं का जो सैलाब फूटा उससे सुदामा जी के रक्तिम पैर धोकर पीड़ा मुक्त कर दिया । उन्होंने बताया कि संसार में जन्म देने वाले माता पिता बन्धुबान्धवों के अतिरिक्त एक सच्चा मित्र होना आवश्यक है क्योंकि मित्र मनुष्य के हृदय के भावों को पढने एवं मित्र के जीवन की समस्त पीड़ा हरने का जज्बा रखता है । दद्दा जी महाराज की संगीतमय कथा के दौरान श्रोताओं की आंखों से आंसू छलक पड़े । परीक्षित पंडित देव नारायण द्विवेदी एवं सहपारीक्षित पंडित हरि नारायण द्विवेदी श्रीमती सुशीला देवी जी ने कथा में पधारे सभी श्रोताओं का आभार व्यक्त किया।