जालौन : आरबीएसके ने फैलाया काजल की अंधेरी दुनिया में उजाला
जन्मजात मोतियाबिंद से ग्रस्त काजल का कराया आपरेशन, देखने के साथ पढऩे भी लगी काजल
जालौन : मेरी बिटिया शायद कभी देख नहीं पाती। यदि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) योजना के तहत बच्ची का मुफ्त इलाज न होता है। यह कहना है रामपुरा ब्लाक के पचोखरा गांव निवासी अमर सिंह का। उनका कहना है कि वह दूसरों से खेती बंटाई पर लेकर उसमें सब्जियां उगाकर किसी तरह सात सदस्यी परिवार का भरण पोषण करते हैं। इसमें इतना नहीं कमा पाते है कि महंगा इलाज करा पाते है। रामपुरा ब्लाक की आरबीएसके टीम के डॉ महेंद्र कुशवाहा और पैरामेडिकल स्टाफ आशुतोष ने मदद की। जिसका नतीजा यह है कि बेटी आज देख सुन और पढ़ पा रही है।
रामपुरा ब्लाक की आठ वर्षीय काजल जन्मजात मोतियाबिंद की बीमारी से पीडि़त थी। जिसकी वजह से परिजन परेशान थे। अमर सिंह बताते हैं कि पत्नी सरस्वती भी दोनों पैरों से दिव्यांग है, वह चल नहीं पाती है। दो बेटे संजय और मयंक है। बेटी की बीमारी और आर्थिक हालत की वजह से चिंतित रहा करते थे। करीब तीन साल पहले आरबीएसके की टीम ने बेटी की एक आंख का आपरेशन कराया था। साथ ही आश्वासन दिया था कि उसकी दूसरी आंख का भी आपरेशन कराएंगे। इसके बाद दोबारा टीम आई और आपरेशन कराने को कहा। टीम ने पूरी मदद की। अपने साथ इलाज के लिए ले गई और झांसी मेडिकल कालेज में जन्मजात मोतियाबिंद से ग्रस्त बच्चों के आपरेशन के लिए कैंप लगाया गया था। जहां बीती पिछले माह बेटी का आपरेशन हुआ। अब बेटी दोनों आंखों दे देख सकती है। आपरेशन के बाद काजल भी बहुत खुश है और वह स्कूल भी जाने लगी है। काजल का कहना है कि वह पढ़ लिखकर शिक्षक बनेगी। काजल के आपरेशन के बाद परिजन काफी खुश है और आरबीएसके की योजना की सराहना कर रहे हैं।
तीन का आपरेशन हुआ, एक रेफर
जिला शीघ्र हस्तक्षेप केंद्र के प्रबंधक रवींद्र सिंह चौधरी ने बताया कि जिले से मोतियाबिंद के आपरेशन के लिए चार बच्चे भेजे गए थे। जिसमें तीन बच्चों का आपरेशन हो गया है और एक बच्चे का जटिल आपरेशन होने की वजह से उसे एम्स रेफर कर दिया गया है।
पंजीकृत अस्पतालों में निशुल्क कराया जाता है इलाज
आरबीएसके के नोडल अधिकारी डॉ एसडी चौधरी का कहना है कि आरबीएसके योजना में 19 साल तक के बच्चों का इलाज किया जाता है। जिसमें जन्मजात बीमारियों के साथ टीबी, कुष्ठ रोग, ह्दय रोग संबंधी इलाज भी होता है। इसमें कटे होंठ, टेढ़ें पांव, जन्मजात अंधता, जन्मजात बहरापन जैसी करीब पचास तरह की बीमारियों का इलाज कानपुर, झांसी, लखनऊ, अलीगढ़ आदि शहरों के पंजीकृत अस्पतालों में निशुल्क कराया जाता है।