जल जीवन मिशन को तेज गति से कार्यान्वित करने के लिए उत्तराखंड को 360.95 करोड़ रुपये का केंद्रीय अनुदान जारी किया गया
इस साल अब तक राज्य के ग्रामीण परिवारों को नल के जरिए जल की आपूर्ति प्रदान करने के लिए 722 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं
उत्तराखंड की योजना दिसंबर, 2022 तक 'हर घर जल' राज्य बनने की है
उत्तराखंड में जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन में तेजी लाने के लिए ध्यान केंद्रित करने के साथ, भारत सरकार ने राज्य को 360.95 करोड़ रुपये की दूसरी किश्त जारी की है। राज्य को 2020-21 में अब तक दो चरणों में 721.90 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं। जल जीवन मिशन को तेज गति से कार्यान्वित करने के लिए, उत्तराखंड को 2021-22 में 1,443.80 करोड़ रुपये की केंद्रीय निधि आवंटित की गई है। यह राशि 2020-21 के दौरान राज्य को किए गए आवंटन का चार गुना है।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार पूरे देश में हर ग्रामीण परिवार को नल के जरिए जल की आपूर्ति का प्रावधान करने को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है। इसके लिए अगस्त, 2019 से राज्यों के साथ भागीदारी में जल जीवन मिशन को लागू किया जा रहा है।
उत्तराखंड की योजना दिसंबर, 2022 तक 'हर घर जल' वाला राज्य बनने की है। वहीं, भारत सरकार 'हर घर जल' के राष्ट्रीय लक्ष्य से दो वर्ष पहले ही यानी साल 2022 के अंत तक उत्तराखंड के प्रत्येक ग्रामीण परिवार को स्वच्छ नल के जल की आपूर्ति की सुविधा प्रदान करने के लिए राज्य की पूरी सहायता कर रही है। बृहद बहु-ग्राम पेयजल आपूर्ति योजनाओं की स्वीकृति की प्रक्रिया को तेज करते हुए राज्य स्तरीय योजना स्वीकृति समिति (एसएलएसएससी) ने पिछले दो महीने में 714 करोड़ रुपये की योजनाओं को मंजूरी दी है। इससे उत्तराखंड के 11 जिलों के 846 गांवों में 58.5 हजार परिवारों के 3 लाख से अधिक लोग लाभान्वित होंगे। इससे उन महिलाओं और बच्चों को कठिन श्रम से काफी राहत मिलेगी, जिन्हें हर दिन घर से दूर स्थित जल स्रोतों से पानी लाने में कई घंटे खर्च करने पड़ते हैं।
15 अगस्त 2019 को जब जल जीवन मिशन की शुरुआत की गई थी, उस समय केवल 1.30 लाख (8.58 फीसदी) ग्रामीण परिवारों के पास नल के जरिए पीने योग्य जल की आपूर्ति की सुविधा थी। इसके बाद पिछले 28 महीनों में कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन के दौरान उत्पन्न बाधाओं का सामना करने के बावजूद राज्य ने 6.22 लाख (41.02 फीसदी) परिवारों को नल जल कनेक्शन प्रदान किया है। इस तरह अब तक राज्य के 15.18 लाख ग्रामीण परिवारों में से 7.53 लाख (49.60 फीसदी) के पास उनके घर में नल जल आपूर्ति की सुविधा है। इस कठिन भूभाग के कई इलाकों में प्रतिकूल मौसम और परिवहन की चुनौतियों के बावजूद गांवों में नल के जल की आपूर्ति की सुविधा प्रदान करने के काम को तेजी से किया जा रहा है। 2021-22 में राज्य की योजना 2.64 लाख परिवारों को नल जल कनेक्शन प्रदान करने की है। अब तक 2,438 गांवों और 620 प्रखंडों में सभी ग्रामीण परिवारों को नल से जल की आपूर्ति की सुविधा प्रदान की जा चुकी है।
जल जीवन मिशन को 'बॉटम-अप' (नीचे से ऊपर की ओर) दृष्टिकोण का अनुपालन करते हुए विकेंद्रीकृत तरीके से लागू किया गया है, जिसमें स्थानीय ग्राम समुदाय योजना तैयार करने से लेकर इसके कार्यान्वयन और प्रबंधन से लेकर संचालन व रखरखाव तक में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके लिए राज्य सामुदायिक गतिविधियों का संचालन करता है। इनमें समुदाय के साथ जुड़ना और ग्राम जल व स्वच्छता समिति/पानी समिति को मजबूत करना शामिल है। उत्तराखंड ने अब तक 14,376 गांवों में पानी समिति का गठन किया है और 14,524 गांवों के लिए ग्राम कार्य योजनाएं विकसित की गई हैं। किसी भी परिवार में महिलाओं के हाथ में जल प्रबंधन की जिम्मेदारी होने के चलते यह कार्यक्रम महिलाओं की भागीदारी को प्रोत्साहित करता है। विभाग ने इस मिशन के बारे में लोगों के बीच जागरूकता पैदा करने, स्वच्छ जल के महत्व के बारे में लोगों को संवेदनशील बनाने, समुदाय के साथ जुड़ने और कार्यक्रम के कार्यान्वयन के लिए पंचायती राज संस्थानों को सहायता देने के लिए 171 कार्यान्वयन सहायता एजेंसियों (आईएसए) को काम पर लगाया है। राज्य में 39,202 महिलाओं को फील्ड टेस्ट किट (एफटीके) का उपयोग करके जल की गुणवत्ता का परीक्षण करने के लिए प्रशिक्षित किया गया है। इसके अलावा आम जनता के लिए राज्य में 27 जल गुणवत्ता परीक्षण प्रयोगशालाएं खोली गई हैं, जिससे जब भी लोगों की इच्छा हो, वे मामूली लागत पर अपने जल के नमूनों की जांच करवा सकें।
देश में विद्यालय, आश्रमशाला और आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को स्वच्छ नल के जल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 100 दिनों के अभियान की घोषणा की थी। इसके बाद केंद्रीय मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने 2 अक्टूबर, 2020 को इसकी शुरुआत की। शिक्षण केंद्रों में उपलब्ध कराए गए नल के जल का उपयोग बच्चे और शिक्षक पीने, मध्याह्न भोजन पकाने, हाथ धोने और शौचालयों में करते हैं। उत्तराखंड के सभी विद्यालय और आंगनबाड़ी केंद्रों को उनके परिसरों में नल का जल उपलब्ध कराया गया है।
2019 में इस मिशन की शुरुआत में देश के कुल 19.20 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से केवल 3.23 करोड़ (17 फीसदी) के पास नल के जल की आपूर्ति की सुविधा थी। कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन के चलते निरंतर उत्पन्न बाधाओं के बावजूद इस मिशन को शुरू किए जाने के बाद 5.47 करोड़ ग्रामीण परिवारों (28.47 फीसदी) को नल जल कनेक्शन प्रदान किए गए हैं। वर्तमान में, पूरे देश में 8.70 करोड़ (45.32 फीसदी) ग्रामीण परिवारों को नल के जरिए पीने योग्य जल मिल रहा है। गोवा, तेलंगाना, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, दादरा और नगर हवेली व दमन और दीव, पुडुचेरी और हरियाणा 'हर घर जल' राज्य/केंद्रशासित प्रदेश बन चुके हैं। यानी इनके 100 फीसदी ग्रामीण परिवारों के घरों में नल के जरिए जल की आपूर्ति हो रही है। प्रधानमंत्री के 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास' की सोच का अनुपालन करते हुए, इस मिशन का आदर्श वाक्य 'कोई भी छूटा नहीं' है और इसका उद्देश्य सभी ग्रामीण परिवारों को पीने योग्य नल के जल की आपूर्ति प्रदान करना है। वर्तमान में, 83 जिलों और 1.29 लाख से अधिक गांवों के प्रत्येक घर में नल से जल की आपूर्ति हो रही है।