केंद्र ने ओमिक्रॉन वेरिएंट के मद्देनजर राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में कोविड-19 की स्थिति और तैयारियों की समीक्षा की
राज्यों को सतर्क रहने व जिलों में संक्रमण, डबलिंग रेट और नए मामलों के समूहों की निगरानी करने की सलाह दी गई
"सभी सावधानियों का पालन करें, अपनी सतर्कता को कम न करें"
स्थानीय/जिला प्रशासन कोविड नियंत्रण और प्रबंधन के लिए प्रमाण-आधारित कार्रवाइयों को तत्काल शुरू करने के लिए जिम्मेदार
आने वाले त्यौहारों के मौसम से पहले राज्य स्थानीय नियंत्रणों/प्रतिबंधों पर विचार करेंगे
ओमिक्रॉन के लिए मौजूदा राष्ट्रीय नैदानिक प्रबंधन प्रोटोकॉल में बदलाव नहीं किया गया है
"पूर्ण टीकाकरण ओमिक्रॉन सहित अन्य गंभीर बीमारी और अस्पताल में भर्ती होने से बचाता है; डोर-टू-डोर टीकाकरण को मजबूत किया जाएगा
केंद्र ने राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों को नए ओमिक्रॉन वेरिएंट (26 नवंबर 2021 को डब्ल्यूएचओ ने इस वेरिएंट को चिंता वाला माना है) के मद्देनजर कोविड-19 (और इसके वेरिएंट) से लड़ने के लिए अपनी सतर्कता को कम न करने और अपनी तैयारियों को बनाए रखने की सलाह दी है। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव श्री राजेश भूषण ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (वीसी) के जरिए राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के स्वास्थ्य सचिवों व राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के मिशन निदेशक (एमडी) के साथ टीकाकरण की प्रगति के साथ-साथ कोविड-19 और ओमिक्रॉन वेरिएंट का मुकाबला करने के लिए राज्यों की सार्वजनिक स्वास्थ्य तैयारियों की समीक्षा की। उन्होंने कोविड मामलों में उछाल को रेखांकित किया और पूरे विश्व में कोविड-19 के ओमिक्रॉन वेरिएंट के चलते मामलों की बढ़ती संख्या को लेकर सामने आने वाले साक्ष्य पर ध्यान खींचा।
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने इस बात को दोहराया कि जब परीक्षण में संक्रमण दर 10 फीसदी से अधिक बढ़ जाती है या 40 फीसदी से अधिक ऑक्सीजन युक्त बिस्तरों पर मरीजों की भर्ती हो जाती है, उस स्थिति में जिला/स्थानीय प्रशासन को स्थानीय रोकथाम के उपाय करने हैं। हालांकि, राज्य/केंद्रशासित प्रदेश संक्रमण के इन सीमाओं तक पहुंचने से पहले ही स्थानीय स्थिति व जनसंख्या विशेषताओं जैसे कि घनत्व आदि के आधार पर और ओमिक्रॉन के उच्च संक्रमण को ध्यान में रखते हुए रोकथाम के उपाय कर सकते हैं और प्रतिबंध लगा सकते हैं। राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को किसी भी प्रतिबंध को न्यूनतम 14 दिनों के लिए लागू किए जाने की सलाह दी गई है। जैसा कि उच्च संचरण दर और दोहरीकरण समय के साथ ओमिक्रॉन वेरिएंट के लक्षण सामान्य सर्दी की तरह ही होते हैं, इसे देखते हुए कोविड रोकथाम के लिए सिंड्रोमिक दृष्टिकोण को नियोजित किया जा सकता है।
हालिया 'ओमिक्रॉन' के खतरे से निपटने के लिए निम्नलिखित 5 गुना रणनीति पर फिर से जोर दिया गया है:
1. राज्यों को रोकथाम पर सलाह दी गई है:
रात्रि कर्फ्यू को लागू करें और विशेष रूप से आने वाले त्यौहारों से पहले बड़ी भीड़ का सख्त नियमन सुनिश्चित करें।
कोविड संक्रमण के नए समूहों के मामले में "कंटेनमेंट जोन", "बफर जोन" को तत्काल अधिसूचित करें।
मौजूदा दिशा-निर्देशों के अनुरूप कंटेनमेंट जोन की परिधि पर सख्त नियंत्रण सुनिश्चित करें।
जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए सभी समूह नमूनों को बिना किसी देरी के भारतीय सार्स सीओवी जीनोमिक्स कंर्सोटियम (इन्साकॉग) प्रयोगशाल को भेजें।
2. परीक्षण और निगरानी पर, राज्यों को सभी जिलों में डेल्टा और ओमिक्रॉन मामलों की संख्या पर सख्त निगरानी रखने, दिन-प्रतिदिन और हफ्ते-दर-हफ्ते के आधार पर मामले के संक्रमण, दोहरीकरण की दर और सामने आने वाले नए समूह और इन क्षेत्रों में नियंत्रण शुरू करने के लिए कहा गया।
इसके अतिरिक्त, निम्नलिखित बातों पर भी ध्यान देने की जरूरत है:
मौजूदा आईसीएमआर और मंत्रालय के दिशानिर्देशों के अनुरूप परीक्षण करें।
कंटेनमेंट जोन में डोर-टू-डोर संक्रमितों की खोज सुनिश्चित करें।
सभी एसएआरआई /आईएलआई और कमजोर/सह-बीमार लोगों का परीक्षण करें।
हर दिन किए जा रहे कुल परीक्षणों में आरटी-पीसीआर:आरएटी का सही अनुपात (कम से कम 60:40) सुनिश्चित करें। इसे 70:30 के अनुपात तक बढ़ाया जा सकता है।
सभी कोविड संक्रमित व्यक्तियों के, विशेष रूप से संक्रमण के अधिक मामलों की रिपोर्ट करने वाले समूहों में, संपर्क का पता लगाना और उनका समय पर परीक्षण सुनिश्चित करें।
अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की निगरानी के लिए "एआईआर सुविधा" पोर्टल का उपयोग करें।
3. राज्यों को नैदानिक प्रबंधन पर सूचित किया गया कि ओमिक्रॉन के लिए मौजूदा राष्ट्रीय नैदानिक प्रबंधन प्रोटोकॉल में कोई बदलाव नहीं किया गया है। उन्हें सलाह दी गई:
बिस्तर की क्षमता में बढ़ोतरी करें, एम्बुलेंस जैसी लॉजिस्टिक की उपलब्धता सुनिश्चित करें और रोगियों के बाधारहित स्थानांतरण के लिए प्रणाली को लागू करें।
ऑक्सीजन उपकरण की परिचालन तैयारी सुनिश्चित करें।
आवश्यक दवाओं का कम से कम 30 दिनों का बफर स्टॉक रखें।
आपातकालीन कोविड प्रतिक्रिया पैकेज (ईसीआरपी-II) के तहत स्वीकृत रकम का उपयोग यह सुनिश्चित करने के लिए करें कि किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए हॉटस्पॉट में/उसके नजदीक स्वास्थ्य प्रणालियों की अपेक्षित क्षमता विकसित की गई है। इस संबंध में राज्य के स्वास्थ्य सचिव दैनिक आधार पर वित्तीय खर्च की स्थिति व प्रगति और भौतिक प्रगति की निगरानी करेंगे।
मौजूदा दिशा-निर्देशों के अनुरूप होम क्वारंटाइन/आइसोलेशन को सख्ती से लागू करना सुनिश्चित करें।
चूंकि, कई राज्यों ने कोविड सुविधाओं को बंद कर दिया है, इसलिए उन्हें डॉक्टरों और एम्बुलेंस की पर्याप्त उपलब्धता के साथ-साथ कोविड मामलों में बढ़ोतरी होने की स्थिति में इन्हें चालू करने के लिए एक कार्य योजना तैयार रखने की जरूरत है।
4. राज्यों को कोविड सुरक्षित व्यवहार के मोर्चे पर सलाह दी गई:
अग्रिम संपर्क और जानकारी सुनिश्चित करें, जिससे कोई गलत सूचना प्रेषित न हो या घबराहट की स्थिति उत्पन्न न हो।
अस्पताल और परीक्षण संबंधित बुनियादी ढांचे की उपलब्धता पर पारदर्शी रूप से संवाद करें।
नियमित तौर पर प्रेस वार्ता आयोजित करें।
सामुदायिक भागीदारी को प्रोत्साहित करें और कोविड उचित व्यवहार को सख्ती से लागू करें।
5. राज्यों को टीकाकरण के संबंध में सलाह दी गई:
पहले टीकाकरण से छूटे हुए लोगों और फिर दूसरी खुराक के पात्र लाभार्थियों का त्वरित तरीके से सौ फीसदी कवरेज सुनिश्चित करें।
उन जिलों पर विशेष ध्यान दें, जहां पहली और दूसरी खुराक का कवरेज राष्ट्रीय औसत से कम हैं।
डोर-टू-डोर टीकाकरण अभियान को मजबूत करें, विशेष रूप से उन राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में जहां टीकाकरण कवरेज राष्ट्रीय औसत से कम हैं।
आने वाले समय में जिन राज्यों में चुनाव होने वाले हैं, उन राज्यों में, विशेष रूप से कमजोर जनसंख्या को सुरक्षित करने के लिए कम कवरेज वाले जिलों के टीकाकरण में तेजी लाई जाए।
कम टीकाकरण कवरेज वाले क्षेत्र और कम कोविड जोखिम वाले लोगों के लिए नए ओमिक्रॉन वेरिएंट अधिक खतरनाक हो सकता है। राज्यों को इन इलाकों के टीकाकरण में तेजी लाने पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
इस बैठक में अतिरिक्त सचिव (स्वास्थ्य) श्रीमती आरती आहूजा, अतिरिक्त सचिव व एनएचएम के मिशन निदेशक श्री विकास शील, संयुक्त सचिव (स्वास्थ्य) डॉ. मनदीप भंडारी, नई दिल्ली स्थित एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया, एनसीडीसी के निदेशक डॉ. सुजीत सिंह और आईसीएमआर के एडीजी डॉ. समीरन पांडा भी उपस्थित थे।