राष्ट्रीय संग्रहालय, नई दिल्ली द्वारा आयोजित "गंतव्य पूर्वोत्तर भारत" उत्सव संपन्न
प्रगतिशील भारत की स्वतंत्रता के 75 साल पूरा होने और देश के लोगों की संस्कृति और उपलब्धियों के गौरव का जश्न मनाने के लिए जारी आजादी का अमृत महोत्सव के तहत पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय और पूर्वोत्तर परिषद (एनईसी) की पहल "गंतव्य पूर्वोत्तर भारत" के अंतर्गत, राष्ट्रीय संग्रहालय, नई दिल्ली ने पूर्वोत्तर भारत की समृद्ध विरासत का जश्न मनाया। राष्ट्रीय संग्रहालय में उत्सव का उद्घाटन 1 नवंबर, 2021 को हुआ और 7 नवंबर 2021 की शाम को यह संपन्न हुआ।
राष्ट्रीय संग्रहालय में आयोजित उत्सव के पहले दिन से तीसरे दिन (1 नवंबर से 3 नवंबर, 2021) तक असम, मणिपुर, मिजोरम, नगालैंड और सिक्किम जैसे पूर्वोत्तर भारत के विभिन्न राज्यों से संबंधित सांस्कृतिक प्रदर्शन (लोक नृत्य और संगीत) का प्रदर्शन किया गया। त्योहारों के कारण, राष्ट्रीय संग्रहालय ने 4 और 5 नवंबर, 2021 को उत्सव की गतिविधियों को ऑनलाइन आयोजित किया। पूर्वोत्तर भारत का सांस्कृतिक प्रदर्शन 6 नवंबर, 2021 को फिर से शुरू हुआ और 7 नवंबर, 2021 की शाम को समापन समारोह तक जारी रहा।
सातवें दिन के ऑनलाइन कार्यक्रमों में श्री अविनीबेश शर्मा द्वारा प्रस्तुत असम टाइप आर्किटेक्चर का इतिहास और विकास नामक कार्यक्रम शामिल रहा, जिसका लाइव स्ट्रीम किया गया।
सप्ताह भर चलने वाले उत्सव के अंतिम दिन, सुबह के सत्र में अग्रगामी डांस एंड सिने टीम द्वारा असम के विभिन्न समुदायों के लोक नृत्य प्रस्तुत किए गए। इस प्रस्तुति में असम के विभिन्न समुदायों जैसे बोडो, रवा, देवरी, हाजंग, लालोंग, गुम जनजातियों आदि के बिहू नृत्य का मेल था, जो विविधता में एकता का संदेश देता है। शाम के समापन सत्र में, मणिपुर कम्बा थियोबी नृत्य पंथोइबी जागोई मारुप द्वारा प्रस्तुत किया गया, इसके बाद अग्रगामी डांस एंड सिने टीम के कलाकारों द्वारा सिक्किम का सिंह नृत्य प्रस्तुत किया गया। फिर, अग्रगामी डांस एंड सिने टीम के कलाकारों ने असम के विभिन्न समुदायों का लोक नृत्य प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का अंतिम सांस्कृतिक प्रदर्शन पंथोइबी जागोई मारुप द्वारा प्रस्तुत मणिपुर का बसंत रास था। बसंत रास मणिपुरी नृत्य का एक रूप है जो कृष्ण, राधा और गोपियों की रासलीला से संबंधित है। रोमांचक और रंगारंग प्रस्तुतियों का दर्शकों ने खूब लुत्फ उठाया और उनकी सराहना की।
समापन समारोह में राष्ट्रीय संग्रहालय के अपर महानिदेशक श्री सुब्रत नाथ ने कहा कि सात दिनों से ऐसा लगा कि हमें सात दिनों के लिए पूर्वोत्तर में ले जाया गया है। 2007 में, इकोमोस ने संस्कृति को किसी विषय, मूर्त और अमूर्त चीजों के जरिये दिखाने की परिभाषा बदल दी। विषय-वस्तु से जुड़ी संस्कृतियों से जुड़कर हमारी पूर्वोत्तर गैलरी की चीजें अधिक सार्थक हो सकती हैं। उन्होंने सप्ताह भर चलने वाले उत्सव से संबंधित राष्ट्रीय संग्रहालय के सोशल मीडिया पोस्ट को शेयर और लाइक करने का अनुरोध किया ताकि संदेश अधिक से अधिक लोगों तक पहुंच सके। तत्पश्चात राष्ट्रीय संग्रहालय के महानिदेशक श्री पार्थ सारथी सेन शर्मा और राष्ट्रीय संग्रहालय के अपर महानिदेशक श्री सुब्रत नाथ ने कलाकारों को स्मृति चिन्ह भेंट किए।
राष्ट्रीय संग्रहालय के महानिदेशक श्री पार्थ सारथी सेन शर्मा ने अपने संबोधन में इतने कम समय में पूर्वोत्तर की संस्कृतियों का प्रदर्शन करने वाले कलाकारों की सराहना की और उनका आभार जताया। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर में विविध संस्कृतियां हैं और यह विविधता में एकता का उदाहरण है। श्री सेन शर्मा ने प्रेस और मीडिया सहित कार्यक्रम को सफल बनाने में शामिल राष्ट्रीय संग्रहालय के सभी लोगों को धन्यवाद दिया। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि आगंतुकों को आकर्षित करने के लिए संग्रहालय के नए पुनर्निर्मित सभागार में विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन किया जाना चाहिए। डॉ. केकेएस देवरी ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम का संचालन सुश्री नाजिया कमाल ने किया।