रोजाना पांच से 12 लोगों की हो रही काउंसलिंग और मिल रहा इलाज
जालौन : मानसिक रूप से अस्वस्थ लोगों को घर बैठे हरसंभव मदद पहुंचाने के लिए शासन के निर्देश पर दो हेल्पलाइन जारी की गई है। इसमें एक हेल्पलाइन हर वक्त सक्रिय रहती है तो दूसरी हेल्पलाइन स्थानीय स्तर की है, जो सुबह आठ बजे से दोपहर दो बजे तक संचालित रहती है। स्थानीय स्तर की हेल्प लाइन पर रोजाना पांच से बारह मानसिक परेशानी से जूझ रहे लोगों की कॉल आती है। ऐसे में जिला मानसिक स्वास्थ्य इकाई में तैनात कर्मचारी मानसिक परेशानी से छुटकारा दिलाने को उचित सलाह देते हैं।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. एनडी शर्मा का कहना है कि आज की भागदौड़ भरी जीवनशैली ने लोगों की मानसिक परेशानियों को बढ़ा दिया है। इस वजह से मनुष्य अवॉसाद, चिंता जैसी बीमारियों का शिकार हो रहा है। खानपान का ख्याल न रखने और अति चिंता से ह्दय संबंधी बीमारियों में भी इजाफा हो रहा है। इसके लिए जरूरी है कि लोग समय से संतुलित भोजन करें और सकारात्मक सोच-विचार रखें । व्यायाम को अपनी दिनचर्या में अवश्य शामिल करें।
मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ वीरेंद्र सिंह का कहना है कि मानसिक विकार के इलाज के लिए जिला अस्पताल के बी ब्लॉक में सितंबर 2017 से मनकक्ष बनाया गया है, जिसमें मानसिक अस्वस्थ का इलाज और काउंसलिंग की जाती है। इसके अलावा सीएचसी व पीएचसी के अंतर्गत क्षेत्रों में भी भ्रमण कर लोगों को मानसिक और शारीरिक रोगों के बारे में जानकारी दी जाती है। दवा से दुआ तक कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार की हेल्पलाइन किरण - 18005990019 बनाई गई है, जिसमें व्यक्ति चौबीस घंटे फोन के माध्यम से सलाह ले सकता है। इसके अलावा जिला स्तर पर हेल्पलाइन 8738830715 है, जो सुबह आठ बजे से दोपहर दो बजे तक सक्रिय रहती है। इसमें व्यक्ति मनकक्ष में आकर या फिर घर बैठकर भी सलाह ले सकता है।
मनकक्ष में तैनात क्लीनिकल साइकोलाजिस्ट अर्चना विश्वास बताती हैं कि मनकक्ष में आने वाले मानसिक रोगियों की काउंसलिंग की जाती है। काउंसलिंग का मुख्य उद्देश्य मानसिक रोगियों को लक्षण के आधार पर सलाह और इलाज मुहैया कराना है। उन्होंने बताया कि मानसिक विकार सम्बन्धी हेल्पलाइन पर जो कॉल आती है, उसमें मरीज के परिजनों से कहा जाता है कि वह मरीज के क्रियाकलापों पर नजर रखें। काउंसलिंग में मुख्य रूप से परिवार का सहयोग, प्रेमपूर्वक व्यवहार करना, मरीज को अकेला न छोड़ना, मरीज के साथ समय बिताना, समय पर दवाएं देते रहना, मरीज के अंदर आत्मविश्वास जगाना जैसे काम किए जाते हैं । इससे मरीज जल्द स्वस्थ हो जाता है। उन्होंने बताया कि इस साल 680 मरीजों की काउंसलिंग की गई, जिसमें करीब 300 लोग पूरी तरह से स्वस्थ हो गए हैं । 50 मरीज दोबारा दिखाने नहीं आए और 330 का इलाज चल रहा है। कोरोना काल में भी हेल्पलाइन का बहुत से लोगों ने लाभ उठाया है।
मानसिक अस्वस्थता के लक्षण
• नींद न आना
• अवसाद या डिप्रेशन
• चिंता, सिरदर्द या माइग्रेन
• याददाश्त में कमी, अल्जाइमर
• नशे की लत
• मोबाइल व सोशल मीडिया की लत
• मिर्गी के दौरे आना, बेहोश हो जाना
• भूत प्रेत का आभास होना
मानसिक रोग से बचने के उपाय
दवा समय से लें
अच्छी नींद लें
योगा और व्यायाम करें
अपनी जीवनशैली में सुधार करें
संतुलित आहार जिसमें हरी सब्जियां और मौसमी फल हों
ध्रूमपान और मदिरापान से बचे
परिवारवाले मरीज का सपोर्ट करें
ऐसी आती है समस्या
• केस-1 कदौरा क्षेत्र के 22 वर्षीय एक मरीज के अनुसार, उसे अत्यधिक सोचने की बीमारी है, इसके चलते उसे नींद नहीं आती है। उसे लगता है कि उसे कुछ हो गया है और उसकी जिन्दगी ख़त्म हो जाएगी । वह कभी ठीक नहीं हो पाएगा। इस मरीज का फोन आया था, जिसके बाद उसे मनकक्ष में बुलाकर इलाज किया गया। उसे कई प्रकार के नशे की लत है, जिसका इलाज जारी है।
• केस-2 कुठौंद क्षेत्र के एक 21 वर्षीय युवक ने बताया कि उसके कानों में कुछ आवाज सी आती रहती है। लगता है कि कोई कुछ कहना चाह रहा है, लेकिन साफ नहीं सुनाई देता है कि वह क्या कह रहा है। कभी पीछे से किसी के रोकने या जाने की कहने जैसी आवाजें आती है।
• केस-3 शहर निवासी 70 वर्षीय महिला के अनुसार, उसे खुद से बात करने की बीमारी है। किसी न किसी बात पर हंसी आती रहती है। दुख की जगह पर भी हंसी निकल आती है। भरपूर नींद नहीं आती है, जिसकी वजह से कई बार लोगों से विवाद हो जाता है और तनाव बना रहता है।
फोटो कैप्शन-मनकक्ष में काउंसलिंग करती क्लीनिकल साइकोलाजिस्ट अर्चना विश्वास
फोटो कैप्शन-सीएमओ डा. एनडी शर्मा
फोटो कैप्शन-नोडल अधिकारी डा. वीरेंद्र सिंह