“कृषि स्टार्टअप्स में महिलाएं : आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन के साथ मूल्यवर्धन” पर वेबिनार
“प्रगतिशील महिला किसानों और कृषि उद्यमियों की सफलता की कहानियों” पर ई-बुक लॉन्च की गई
एफपीओ से एक क्रांतिकारी रूप में महिला किसान लाभान्वित होंगी : श्री कैलाश चौधरी
महिलाएं खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने और कृषि जैव विविधता के संरक्षण में एक निर्णायक भूमिका निभाई है : श्री कैलाश चौधरी
सरकार विभिन्न योजनाओं/ कार्यक्रमों के तहत महिलाओं के लिए धनराशि के आवंटन के द्वारा ‘कृषि में जेंडर मेनस्ट्रीमिंग’ को प्रोत्साहन देती है
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने महिला किसान दिवस, 2021 मनाने के लिए हो रही कार्यक्रमों की श्रृंखला में “कृषि स्टार्टअप्स में महिलाएं : आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन के साथ मूल्यवर्धन” पर आज एक वेबिनार का आयोजन किया। यह वेबिनार केंद्रीय कृषि मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर के मार्गदर्शन और कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री कैलाश चौधरी की उपस्थिति में आयोजित की गई थी। वेबिनार के दौरान, श्री चौधरी ने आजादी के 75 साल के उपलक्ष्य में ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ मनाने के क्रम में 75 प्रगतिशील महिला किसानों और महिला उद्यमियों की सफलता की कहानियों का वर्णन करने वाली एक ई-बुक का भी विमोचन किया।
वेबिनार का शुभारम्भ करते हुए, श्री कैलाश चौधरी ने कहा कि कृषि के विकास में महिलाओं का योगदान कई गुना बढ़ गया है। खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने और स्थानीय कृषि जैव विविधता के संरक्षण में महिलाओं ने एक निर्णायक भूमिका निभाई है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के विजन के तहत, भारत सरकार महिलाओं को कृषि विकास की मुख्यधारा में लाकर उन्हें प्राथमिकता देने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि भारत की स्वतंत्रता के बाद महिलाओं की भूमिका सिर्फ कृषि तक सीमित नहीं रही है, बल्कि उनका योगदान रक्षा, अंतरिक्ष, प्रशासन, खेल आदि सहित सभी क्षेत्र में दिखा है। यह देखना पर्याप्त संतुष्टि और गौरव की अनुभूति देता है कि महिलाएं आत्मनिर्भर भारत में अपने सपने साकार कर रही हैं और उपलब्धियां हासिल कर रही हैं। केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि कृषक उत्पादक संगठनों के निर्माण से महिला किसानों को एक क्रांतिकारी रूप से लाभ होगा।
कृषि स्टार्टअप्स में महिलाओं पर वेबिनार में कृषि कारोबार में महिला उद्यमियों; भारत में कृषि स्टार्टअप्स को समर्थन देने के लिए रणनीति और योजनाओं; व्यवसायीकरण के लिए स्टार्टअप्स को प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण; मूल्य श्रृंखला प्रबंधन और कृषि स्टार्टअप्स उद्यमियों के सामने आने वाली चुनौतियों पर जोर दिया गया था। कृषि क्षेत्र आर्थिक रूप से सक्रिय महिलाओं में से 80 प्रतिशत को योगदान देता है; इनमें 33 प्रतिशत कृषि श्रम बल और 48 प्रतिशत स्वरोजगारी किसान शामिल हैं।
कटाई पूर्व, फसल प्रसंस्करण के बाद, पैकेजिंग, विपणन सहित कृषि मूल्य श्रृंखला के उत्पादन के सभी स्तरों पर महिलाओं की बहुतायत के साथ कृषि में उत्पादकता बढ़ाने के लिए, लैंगिक विशेष उपाय अपनाना उचित है। सरकार ने विभिन्न योजनाओं/ कार्यक्रमों और विकास उपायों के तहत महिलाओं के लिए धनराशि के आवंटन; विभिन्न कार्यक्रमों के सभी लाभार्थी-केंद्रित भागों के लाभों को महिलाओं तक पहुंचाने में मदद करने के लिए ‘महिला समर्थक पहलों’ की पेशकश के द्वारा ‘कृषि में जेंडर मेनस्ट्रीमिंग’ के एजेंडे को प्रोत्साहन देने की कोशिश की है। महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी), महिला संगठनों और महिला कृषक उत्पादक संगठनों के गठन; क्षमता विकास उपाय; उन्हें सूक्ष्म कर्ज के साथ जोड़ने; सूचनाओं तक उनकी पहुंच बढ़ाने और विभिन्न स्तरों पर फैसले लेने वाली संस्थाओं में उनका प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने ध्यान केंद्रित किया गया है।
कार्यक्रम में वरिष्ठ और मध्यम स्तर के अधिकारियों, महिला किसानों और कृषि उद्यमियों और विभिन्न प्रशिक्षण संस्थानों के लोगों ने भाग लिया। इस अवसर पर विभिन्न राज्यों से आई सफल महिला उद्यमियों ने भी अपने विचार और अनुभव साझा किए।