केन्द्रीय आयुर्वेद अनुसंधान परिषद के चार अन्य पोर्टलों का भी लोकार्पण करेंगे : रिजिजू

आयुर्वेदिक क्लीनिकल ट्रायल अब आयुर्वेद की शब्दावली में बने सीटीआरआई पोर्टल का हिस्सा पांच जुलाई को जारी होगा आईसीएमआर के सहयोग से बना सीटीआरआई में आयुर्वेद डाटासेट, आयुष मंत्री किरेन रिजिजू करेंगे लोकार्पण केन्द्रीय आयुर्वेद अनुसंधान परिषद के चार अन्य पोर्टलों का भी लोकार्पण करेंगे रिजिजू Ayurvedic clinical trial now part of CTRI portal made in the terminology of Ayurveda Ayurveda dataset will be released in CTRI in collaboration with ICMR on July 5, Ayush Minister Kiren Rijiju will inaugurate Rijiju will also inaugurate four other portals of Central Council for Research in Ayurveda Rijiju will also inaugurate four other portals of the Central Council for Research in Ayurveda Hindi News

 आयुर्वेदिक क्लीनिकल ट्रायल अब आयुर्वेद की शब्दावली में बने सीटीआरआई पोर्टल का हिस्सा

पांच जुलाई को जारी होगा आईसीएमआर के सहयोग से बना सीटीआरआई में आयुर्वेद डाटासेट, आयुष मंत्री किरेन रिजिजू करेंगे लोकार्पण

केन्द्रीय आयुर्वेद अनुसंधान परिषद के चार अन्य पोर्टलों का भी लोकार्पण करेंगे रिजिजू
भारतीय परंपरागत चिकित्सा पद्धतियों हो रहे चिकित्सीय परीक्षण या क्लीनिकल ट्रायल को अब विश्व व्यापी पहचान मिलने की राह और मजबूत हो गई है। आयुर्वेद के तहत किए जा रहे चिकित्सीय परीक्षणों को क्लिनिकल ट्रायल रजिस्ट्री-इंडिया में आयुर्वेद की शब्दावली में ही शामिल किए जाने से यह संभव हो पाया है। सीटीआरआई पोर्टल में इस आयुर्वेद अंश को शामिल करने का लोकार्पण सोमवार को आयुष मंत्री श्री किरेन रिजिजू के हाथों होगा। ध्यान रहे कि इस काम को अंजाम देने में आईसीएमआर का विशेष सहयोग रहा है। इसके साथ ही केन्द्रीय आयुर्वेद विज्ञान अनुसंधान परिषद द्वारा विकसित चार अन्य पोर्टलों का भी लोकार्पण आयुष मंत्री करेंगे।


उल्लेखनीय है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक के अनुसार मानवों पर दवा, उपचार आदि का किसी भी तरह का क्लीनिकल ट्रायल सार्वजनिक रूप की किसी भी रजिस्ट्री में दर्ज किया जाना जरूरी है और भारत में यह काम विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से प्रमाणित सीटीआर-इंडिया पोर्टल पर किया जा रहा है।


ऐसा नहीं है कि आयुर्वेद में अभी तक क्लीनिकल ट्रायल नहीं हो रहे थे। आयुर्वेद में क्लीनिकल ट्रायल लगातार हो रहे हैं। आयुर्वेद की अपनी चिकित्या पद्धति है और उसमें चिकित्सीय परीक्षण की अपनी शब्दावली है। यह शब्दावली अभी तक सीटीआरआई का हिस्सा नहीं बन पाई थी। इस वजह से आयुर्वेद में क्लीनिकल ट्रायल करने वालों को अनुवाद और ऐलोपैथी की चिकित्सीय शब्दावली का सहारा लेना पड़ता था।  


अब भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान-राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान सांख्यिकी संस्थान ने सीटीआरआई पोर्टल में आयुर्वेद की चिकित्सीय शब्दावाली को शामिल कर लिया है। इसके लिए आयुष मंत्रालय की ओर से पूर्व में विकसित किए गए नमस्ते, (एनएएमएएसटीई) पोर्टल का सहारा लिया गया। इस पोर्टल में आय़ुष मंत्रालय की ओर से आर्युवेद शास्त्र में दर्ज रोगों को इंटरनेशनल क्लासिफिकेशन आफ डिजीज के मानकों के हिसाब से कोड कर दर्ज किया गया है।


सीटीआरआई रजिस्ट्री में नमस्ते पोर्टल से 3866 कोड इस तरह के लिए गए हैं। मतलब यह कि आयुर्वेद के तहत क्लीनिकल ट्रायल में अब ट्रायल की जानकारी, परिणाम आदि की जानकारी आयुर्वेद की शब्दावली में ही उपलब्ध हो सकेगी।

क्या होते हैं  क्लीनिकल ट्रायल.............

किसी भी दवा, उपचार आदि को सार्वजनिक रूप से लोगों को उपलब्ध कराने से पहले यह देखा जाना जरूरी होता है कि दवा, उपचार आदि का मानव पर प्रभाव क्या है। इसका परीक्षण खुद को प्रस्तुत करने वालों पर वैज्ञानिक तरीके से किया जाता है। यह ठीक ऐसे ही है जैसे की कोविड की वैक्सीन को बाजार में उतारने से पहले कुछ लोगों से आग्रह किया गया था कि वे वैक्सीन लगाकर देखें। इन लोगों को विशेषज्ञों की निगरानी में यह टीका लगाया गया था और टीके के आशाजनक परिणाम सामने आने पर अन्य लोगों के लिए टीका उपलब्ध कराया गया।

क्यों जरूरी है क्लीनिकल रजिस्ट्री

दुनिया में नई दवा की खोज, रोगों के इलाज आदि के लिए क्लीनिकल ट्रायल लगातार किए जा रहे हैं।परेशानी यह है कि इन परीक्षणों के परिणाम सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं हो पाते और इस कारण ट्रायल की सही जानकारी उपलब्ध न होने की आशंका बनी रहती है। इसी को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने क्लीनिकल ट्रायल की ऑनलाइन रजिस्ट्री बनाना अनिवार्य किया। भारत में यह काम  सीटीआरआई के माध्यम से किया जा रहा है और यह रजिस्ट्री विश्व स्वास्थ्य संगठन की रजिस्ट्री का भी हिस्सा है।

आयुर्वेद में लगातार हो रहे हैं क्लीनिकल ट्रायल

आयुर्वेद में रोग और उपचार का संपूर्ण शास्त्र है और शताब्दियों के अनुभव और परीक्षण की इसकी अपनी विश्वसनीयता है। फिर भी वर्तमान समय में आधुनिक चिकित्सा शास्त्र के हिसाब से अधिक विश्वास अर्जित करने के लिए आयुर्वेद में भी क्लीनिकल ट्रायल किए जा रहे हैं। पिछले कुछ समय में ही  सीटीआरआई  रजिस्ट्री में कोविड से संबंधित इस तरह के कई ट्रायल दर्ज कराए गए हैं।


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Journalist Anil Prabhakar

Editor UPVIRAL24 NEWS