जालौन, 17 मार्च 2021 : क्षय रोग (टीबी) में लापरवाही घातक हो सकती है। लक्षण आते ही टीबी रोग की जांच कराकर इसका इलाज शुरू कर देने से इस जानलेवा बीमारी से न सिर्फ बचा जा सकता है, बल्कि पूरी तरह ठीक होकर नया जीवन जिया जा सकता है। इलाज में लापरवाही जानलेवा हो सकती है। बीच में इलाज छोड़ने पर यह बीमारी और ख़तरनाक रूप ले लेती है। इसलिए जरूरी है कि क्षय रोग का पूरा इलाज लिया जाए। टीबी की जांच से लेकर दवाओं तक का खर्चा सरकार उठा रही है। यही नहीं पांच सौ रुपये निक्षय पोषण योजना के तहत हर माह लाभार्थी के खाते में डायरेक्ट बेनिफिट स्कीम (डीबीटी) के जरिए भेजे जा रहे हैं।
जिला क्षय रोग अधिकारी डा. सुग्रीवबाबू ने बताया कि टीबी एक गंभीर बीमारी है, इसे लोग शुरुआत दौर में हल्के में लेते है और जब वह गंभीर हो जाती है तब इलाज शुरू कराते है। यदि समय रहते इलाज शुरू कर दिया जाए तो बीमारी को हराया जा सकता है। 2025 तक क्षय मुक्त भारत अभियान के तहत राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत विभाग की टीमें लगातार क्षय रोगियों को खोजने का काम कर रही है। 26 दिसंबर से 25 जनवरी तक चले सक्रिय क्षय रोगी खोज अभियान (एसीएफ) में कुल 147 मरीज खोजे गए हैं और उनका इलाज भी शुरू कर दिया गया है। इस समय दस्तक अभियान में भी विभाग की टीमें टीबी के नए मरीजों की खोज में लगी हुई है। जनवरी से अब तक 431 मरीजों का सरकारी अस्पताल और 161 मरीजों का प्राइवेट पंजीकृत अस्पतालों में इलाज चल रहा है। इस समय 592 मरीज उपचाराधीन है।
टीबी के लक्षण-
· 15 दिन से अधिक खांसी आना
· खांसी के साथ बलगम आना
· बलगम के साथ खून आना
· भूख न लगना
· वजन घटना
· शाम के समय बुखार का आना बचाव
खांसी, बुखार, भूख न लगने की समस्या पर नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में जाकर जांच कराएं। मुंह पर मास्क लगाकर रखे, इससे खुद के साथ दूसरों का भी बचाव होगा।
इलाज शुरु होने पर पूरा कोर्स करें, बीच में दवा न छोड़े।
पिछले तीन साल के सक्सेस रेट के आंकड़े
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वर्ष कुल मरीज ठीक हुए मरीज सक्सेज रेट
2018 3470 2292 76 प्रतिशत
2019 3491 3082 88 प्रतिशत
2020 2357 1128 77 प्रतिशत
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